केरल में पिछले कुछ दिनों में देश के कुल कोविड-19 मामलों के आधे मामले सामने आए हैं, जिसे लेकर भारतीय जनता पार्टी और सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच तीखी बहस छिड़ गई। केरल, भारत में सबसे बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था रखने वाला राज्य होने का दावा करता है।
दक्षिणी राज्य में बुधवार को कोविड-19 के 22,056 नए मामले सामने आए, जो देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 43,654 मामलों के आधे से अधिक हैं। राज्य के स्वास्थ्य विशेषज्ञ और नीति निर्माता जहां कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के लिए राज्य में एंटीबॉडी की सबसे कम मौजूदगी होने को कारण बता रहे हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने राज्य की माकपा सरकार पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की विफलता पूरे भारत के लिए बड़ा खतरा है।
भाजपा और इसके मंत्री पर पलटवार करते हुए माकपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री टी एम थॉमस इसाक ने केंद्र से आग्रह किया कि मुफ्त की सलाह देने के बजाए केरल को ज्यादा टीका मुहैया कराया जाना चाहिए। कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इंस्टीट्यूट ऑफ पैलिएटिव मेडिसिन के प्रमुख डॉ. सुरेश कुमार के मुताबिक वायरस के प्रसार को रोकने के दो उपाय हैं।
सुरेश कुमार ने कहा कि एक उपाय, टीकाकरण के माध्यम से और दूसरा, प्राकृतिक रूप से है। आईसीएमआर (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार केरल में एंटीबॉडी की सबसे कम मौजूदी है जो 44 प्रतिशत है और इसलिए शेष 56 फीसदी लोगों में वायरस संक्रमण का खतरा है, जबकि अधिकतर दूसरे राज्यों में यह दर 70 फीसदी है। सुरेश कुमार ने कहा कि लोगों में प्रतिरोधक स्तर बढ़ने तक संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ती रहेगी।
इसाक ने विशेषज्ञों की राय को ट्वीट किया और कहा कि केरल में सबसे कम लोगों में एंटीबॉडी की मौजूदगी है जो 44 प्रतिशत है, जबकि मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 79 प्रतिशत है। उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि जिन राज्यों में लोगों में एंटीबॉडी की मौजूदगी कम है उन्हें ज्यादा संख्या में टीका मुहैया कराया जाना चाहिए।