हरिद्वार। हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जांच में कम से कम एक लाख कोरोना टेस्ट फर्जी पाए गए हैं। एक जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि उत्तराखंड सरकार की तरफ से कुंभ मेले के दौरान कराई जाने वाली कोरोना टेस्टिंग के लिए एक प्राइवेट एजेंसी ने कम से कम एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी की थीं।
हरिद्वार जिला प्रशासन ने अब उन आरोपों की जांच का आदेश दिया है, जिनमें कहा गया है हरिद्वार में कुंभ उत्सव के दौरान कोरोना टेस्टिंग करने के लिए काम करने वाली प्राइवेट लैब्स की ओर से नकली रिपोर्ट जारी की गई थीं।
हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुंभ उत्सव का आयोजन किया गया था। इस दौरान 22 प्राइवेट लैब्स की तरफ से लगभग 4 लाख कोरोना टेस्ट किए गए थे।
फरीदकोट पंजाब निवासी एक व्यक्ति ने आईसीएमआर से कोरोना जांच में फर्जीवाड़े की शिकायत की थी। इस व्यक्ति के मोबाइल पर कोरोना जांच का संदेश पहुंचा था, जबकि उसकी कभी कोरोना जांच हुई ही नहीं।
राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने मामले की प्रारंभिक जांच कराई। कोविड-19 मामलों के चीफ कंट्रोलिंग आफिसर डॉ. अभिषेक त्रिपाठी के स्तर से की गई इस जांच में प्रथम दृष्टया शिकायत सही पाई गई। यही नहीं, उन्होंने एक लाख से अधिक कोरोना जांच में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की है।
डॉ. त्रिपाठी ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में मामले को गंभीर बताते हुए इसकी विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी को कुंभ मेला अवधि, इससे पहले और इसके बाद हुई कोरोना जांच की विस्तृत छानबीन के निर्देश दिए थे।
कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में धांधली की असलियत का पता लगाने के लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है।
मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में गठित समिति में मुख्य कोषाधिकारी और जिला विकास अधिकारी शामिल हैं। समिति 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता वाली एक समिति की ओर से की गई जांच में निजी एजेंसी की रिपोर्ट में कई अनियमितताएं पाई गईं। जांच में पाया गया है कि इसमें 50 से अधिक लोगों को रजिस्टर्ड करने के लिए एक ही फोन नंबर का उपयोग किया गया था। वहीं एक एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी।
सबसे बड़े फर्जीवाड़े की ये है कि एक ही घर से 530 सैम्पल लिए गए। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि पते और नाम फर्जी थे। हरिद्वार में हाउस नंबर 5 से ही लगभग 530 सैंपल लिए गए। क्या एक ही घर में 500 से अधिक लोग रह सकते हैं? उन्होंने बताया कि फोन नंबर भी फेक थे और कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और 18 अन्य जगहों के लोगों ने एक ही फोन नंबर शेयर किए।
ये भी बताया गया कि एजेंसी में रजिस्टर्ड करीब 200 नमूना संग्राहक छात्र और डेटा एंट्री ऑपरेटर या राजस्थान के निवासी निकले, जो कभी हरिद्वार ही नहीं गए थे। सैंपल लेने के लिए एक सैंपल कलेक्टर को शारीरिक रूप से मौजूद होना पड़ता है।
एक अफसर ने बताया कि जब हमने एजेंसी के साथ रजिस्टर्ड सैंपल कलेक्टर्स से संपर्क किया, तो हमने पाया कि उनमें से 50 फीसदी राजस्थान के निवासी थे, जिनमें से कई छात्र या डेटा एंट्री ऑपरेटर थे।
बता दें कि कुंभ के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट की ओर से प्रतिदिन कम से कम 50,000 कोरोना जांच करने का निर्देश देने के बाद राज्य सरकार की ओर से 8 और सैंपल कलेक्टर एजेंसियों को टेस्टिंग करने का काम सौंपा गया था।
जांच के अंतर्गत एजेंसी की ओर से किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट में से 0.18 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट के साथ 177 पॉजिटिव निकले थे। इसके उलट अप्रैल में हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत तक चला गया था।
एजेंसी को एक टेस्ट के लिए 350 रुपए से अधिक का भुगतान किया गया था, जिसका अर्थ है कि घोटाला करोड़ों में चला है। प्राइवेट लैब द्वारा फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं की जांच कर कुम्भ मेले प्रशासन को लाखों रुपयों का चूना लगाने का प्रयास किया गया है।
इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है। कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया है।
इस प्रकरण पर हरिद्वार कुम्भ 2021 के दौरान कुम्भ मेलाधिकारी स्वास्थ्य का कार्यभार संभालने वाले डॉ. सेंगर का कहना है कि कुम्भ मेले के दौरान प्राइवेट लैब पैनलबद्ध थी।
सीएमओ और कुम्भ मेला स्वास्थ्य विभाग की तरफ से इसमें जांच में सामने आया है कि किसी लैब द्वारा गलत डाटा उपलब्ध कराया गया है। इस मामले में विभाग द्वारा जांच की जा रही है। इसमे मुख्य विकास अधिकारी के नेतृत्व में जांच की जा रही है। जांच के बाद ही प्रकरण में करवाई की जाएगी।
कुंभ मेले से कोरोना फैलने की बात को लेकर काफी बवाल हुआ था। वहीं सरकार दावा करती रही कि हरिद्वार में कोरोना का संक्रमण कम है। अब यदि टेस्ट किए बगैर ही रिपोर्ट फर्जी बनेगी तो कुंभ में कोरोना की सही स्थिति कैसे सामने आती।
अब जिस तरह से कोरोना जांच में गड़बड़ी सामने आई है, उसने स्वास्थ्य विभाग पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि जिलाधिकारी की ओर से बनाई गई टीम द्वारा किस तरह से जांच की जाती है और जो इसमें दोषी होता है उस पर कार्रवाई होती है या नहीं।
वहीं, उत्तराखंड में कोरोना से मौत के आंकड़ों में भी खेल हो रहा है। अभी भी मार्च से लेकर अब तक की मौत के पिछले आंकड़े कोरोना से कुल मौत के टोटल में हर दिन जोड़े जा रहे हैं। ऐसा 17 मई से लगातार हो रहा है। यानी कि हर बात को पहले छिपाया गया।