मुंबई। देश में लगातार बढ़ते कोरोना (Corona) मरीजों की संख्या ने सभी को हैरान कर दिया है। देशभर में लोग दहशत में है। तबलीगी जमात से लेकर प्रवासी मजदूरों तक अलग-अलग समय बनी चैनों की वजह भारत में कोरोना संक्रमितों की 1 लाख 10 हजार के आंकड़े को भी पार कर गई है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई कोरोना मरीजों की संख्या के मामले में भी देश में पहले नंबर है।
देश में जहां चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खोलने की कवायद की जा रही है। वहीं मुंबई में चौथे लॉकडाउन में सीआरपीएफ की 5 कंपनियां तैनात की गई हैं। यह इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में राज्य में सख्ती और बढ़ेगी।
मुंबई में अब तक कोरोना के 23 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इस खौफनाक महामारी से यहां अब तक 800 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। यहां भी अमेरिका के न्यूयॉर्क की तरह ही मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या मुंबई भी न्यूयॉर्क बन जाएगा? क्या यहां भी न्यूयॉर्क वाली गलती दोहराई जा रही है?
मुंबई में न्यूयॉर्क की डेढ़ गुना आबादी है। हालांकि क्षेत्रफल के मामले में मुंबई न्यूयॉर्क का लगभग आधा है। दोनों शहरों में घनी आबादी है। ऐसे में मुंबई में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना आसान नहीं है। एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में कोरोना का फैलना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने का सबसे बड़ा उदाहरण है।
न्यूयॉर्क में साढ़े 3 लाख से अधिक पॉजिटिव केस सामने आए हैं, जबकि 28 हजार से अधिक लोग कोरोना की वजह से मारे जा चुके हैं। न्यूयॉर्क के अस्पतालों में कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ने के बाद बेड, वेंटिलेटर और PPE किट्स को लेकर अफरातफरी मच गई। दूसरी ओर मुंबई के सरकारी अस्पतालों में भी दवाइयां, उपकरण, स्टाफ और बेड की कमी महसूस की जा रही है।
भले ही मुंबई और न्यूयॉर्क के आंकड़ों में बड़ा अंतर दिखाई दे रहा हो पर अगर कोरोना पर जल्द ही काबू नहीं पाया गया तो मुंबई के न्यूयॉर्क बनते देर नहीं लगेगी। ईश्वर न करे मगर यदि ऐसा हुआ तो स्थितियां काफी भयावह हो सकती हैं।