दुनिया के देशों के साथ भारत भी कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं कुछ ऐसी खबरें आ रही हैं जो निराश करने वाली हैं। कोरोना संदिग्धों को रखने के लिए अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं।
इन वार्डों में भर्ती मरीज वीआईपी सुविधाओं के लिए दबाव बना रहे हैं। ऐसी ही खबर बॉलीवुड गायिका कनिका कपूर को लेकर आई। वे एक मरीज की बजाय सेलिब्रिटी की तरह व्यवहार कर रही हैं। उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं, लेकिन वे अस्पताल स्टाफ पर दबाव बना रही हैं।
ऐसे और भी कई मामले सामने आए जहां विदेशों से लौटे लोगों ने क्वारंटाइन के नाम सुरक्षा और स्वास्थ्यकर्मियों से दुर्व्यवहार तक किया। कई लोगों ने तो नाजायज मांगें तक कीं।
ऐसे संवेदनशील समय में वीआईपी ट्रीटमेंट की अपेक्षा या मांग करना अपने आपमें एक बीमारी को दर्शाता है। कोरोना वायरस किसी आम या खास को देखकर अपनी गिरफ्त में नहीं ले रहा है।
उल्लेखनीय है कि भारत में संक्रमण के बढ़ते केस को देखते हुए पर्याप्त आइसोलेशन सेंटर नहीं बनाए गए हैं। वर्तमान परिस्थितियों में यह माना जा सकता है कि अस्पतालों या स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी हो सकती है, लेकिन देश के हर नागरिक को अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी को समझने की आवश्यकता है।
आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हर मरीज में स्वस्थ होने का जज्बा होना चाहिए न कि वीआईपी सुविधाओं की चाहत। चाहे फिर वह देश का आम नागरिक या कोई सेलिब्रिटी।