बर्लिन। नए कोरोनावायरस संक्रमण से हाल में ठीक हुए करीब 100 मरीजों के एक विश्लेषण में खुलासा हुआ कि उनमें से करीब 80 प्रतिशत के हृदय पर इसका असर नजर आया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह नतीजे संकेत देते हैं कि कोविड-19 के दीर्घकालिक परिणामों को समझने के लिए और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
‘जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन’ में प्रकाशित अध्ययन में जर्मनी के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल फ्रेंकफर्ट (यूएचएफ) से अप्रैल और जून 2020 के बीच कोविड-19 बीमारी से ठीक होने वाले 100 लोगों का विश्लेषण किया गया।
शोधकर्ताओं के मुताबिक 78 मरीजों में हृदय संबंधी मामले शामिल थे और 60 लोगों के हृदय में सूजन थी। शोधकर्ताओं में अस्पताल के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह लक्षण पूर्व से नहीं थे और न ही शुरुआती जांच में कोई गंभीर रोग ही पाया गया था।
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने आरटी-पीसीआर जांच में नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित होने के बाद हाल में ठीक हुए मरीजों का विश्लेषण किया था।
शोधकर्ताओं ने मरीजों की जनसांख्यिकी विशेषताएं हृदय के स्वास्थ्य के रक्तसूचक और हृदयवाहिनी चुंबकीय अनुनाद (सीएमआर) जांचों का अध्ययन किया। इस अध्ययन में शामिल 53 मरीज पुरुष थे और औसत उम्र 49 वर्ष थी। अध्ययन के मुताबिक 67 मरीज घर पर ही ठीक हो गए जबकि 37 को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी।
हृदय की जांच के बाद वैज्ञानिकों ने कहा कि हाल में कोविड-19 से ठीक हुए 100 में से 71 मरीजों के रक्त के नमूनों में उच्च-संवेदनशीलता वाले ट्रोपोनिन टी (एचएसटीएनटी) अणु मिले, जबकि 5 में यह महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा हुआ था। उन्होंने कहा कि हाल में कोविड-19 से ठीक हुए 78 मरीजों की सीएमआर जांच के नतीजे असामान्य थे।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि हृदय के उत्तक के नमूनों के विश्लेषण में प्रतिरोधी तंत्र के कारण सूजन देखने को मिली। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में लिखा कि हमारा अध्ययन बीमारी के शुरुआती चरण में ठीक होने वालों में हृदयवाहिनी के शामिल होने के बारे में महत्वपूर्ण नजरिया देता है।