कोरोनावायरस (Coronavirus) का संक्रमण तेजी से बढ़ने के बाद मलेशिया में सरकार हरकत में आई और 'मूवमेंट कंट्रोल' के जरिए संक्रमण को बहुत हद तक कंट्रोल भी किया। वर्तमान में यहां 'कंडीशनल मूवमेंट कंट्रोल' के जरिए जनजीवन को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है। भारतीय प्रवासी, आईटी एवं हेल्थकेयर उद्योग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अनूठी पहचान रखने वाले संजय दास ने वेबदुनिया से बातचीत के दौरान कोरोना काल के मलेशिया के बारे में विचार साझा किए।
मलेशिया में जैसे ही कोरोना संक्रमण ने अपने तेवर दिखाने आरंभ किए तो वहां की सरकार ने 'मूवमेंट कंट्रोल' का नाम देकर करीब दो महीने के लिए सख्ती से लॉकडाउन लगाया। ऑफिस, पार्क, स्कूल, सार्वजनिक स्थान, मॉल, सिनेमाघर आदि सख्ती से बंद कर दिए गए। लोगों पर घर से बाहर निकलने के लिए पूर्णत: पाबंदी लगा दी गई। यहां तक कि फ्लैट में रह रहे लोग भी नीचे तक नहीं आ सकते थे। इस दौरान सरकार ने अस्पताल मेंटेन किए, मेडिकल सुविधाएं बढ़ाईं। अधिक से अधिक टेस्ट किए। एप के जरिए कोरोना संक्रमण को कंट्रोल किया।
जरूरी सामान खरीदने के लिए एक परिवार से एक व्यक्ति ही लॉकडाउन के समय बाजार जा सकता था। इमरजेंसी सेवाएं एवं ग्रॉसरी की दुकानों को खुला रखा गया। रेस्टोरेंट में एक-दो लोगों को ही बैठने की इजाजत दी गई। लिफ्ट में भी सेनिटाइजर लगाया गया। यहां जनसंख्या कम होने के कारण स्थिति नियंत्रण में है।
सरकार की मदद : सरकार की ओर से जरूरतमंदों को मदद की जा रही है। साथ ही सरकार का प्रयास है कि किसी की नौकरी न जाए। सरकार ने निजी क्षेत्र के संस्थानों से कर्मचारियों को नहीं निकालने की अपील की। हर हाल में दिसंबर माह तक कर्मचारियों को कंपनी में रखने को कहा गया। हालांकि बावजूद इसके कई संस्थानों ने कर्मचारियों को नौकरियों से निकाल दिया।
हरिरया घर में ही मनाया : हरिरया को रमजान के महीने के अंत में मनाया जाता है। यह मलेशिया का सबसे प्रतिष्ठित त्योहार है। इस त्योहार को गांवों एवं कस्बों से देखने एवं मनाने के लिए भीड़ उमड़ती है एवं अपने आस-पास मनाते हैं। वहां सरकार ने कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए इस त्योहार के चलते आवाजाही एवं लोगों को एकत्रित होने के लिए प्रतिबंधित किया। जिसके चलते लोगों ने इस परिवार को अपने घरों में ही मनाया।
मूवमेंट कंट्रोल में थोड़ी छूट : दास बताते हैं कि मूवमेंट कंट्रोल के बाद मई माह में छूट देते हुए उसका नाम 'कंडीशनल मूवमेंट कंट्रोल' रखा गया है। इसमें दुकानें, मॉल आदि खोलने की छूट दी गई है। सैलून खोलने की अनुमति भी दी गई है। मल्टीप्लेक्स, स्पा, ब्यूटीपॉर्लर, स्कूल, कॉलेज, मंनोरंजन संस्थान एवं सार्वजनिक स्थानों को पूर्णत: बंद रखा गया है। सरकार ने अधिक मूवमेंट नहीं करने को कहा है। संजय दास ऑफिस खुलने के बाद भी एक दिन ऑफिस जाते हैं, बाकी चार दिर घर से ही काम करते हैं।
परिवार के साथ गुजारा वक्त : दास ने अपनी कंपनी का सारा काम घर से किया। उनकी आईटी कम हैल्थकेयर कंपनी है, जो कि स्मार्ट हॉस्पीटल्स के एप्स बनाती है। उन्होंने लॉकडाउन में ऑनलाइन गेम्स, प्लेइंग कार्ड, लूडो आदि खेलों का आनंद अपने परिवार के साथ लिया। इसके साथ ही परिजनों एवं स्कूल फ्रेंड्स के साथ भी समय-समय पर चैट एवं गूगलमीट करते थे। आपने परिजनों के साथ महाभारत, रामायण आदि धारावाहिक भी देखे। भागदौड़ की जिंदगी में आज तक जो समय बच्चों को नहीं दे पाए उसकी पूर्ति इस 'मूवमेंट कंट्रोल' में की। दास की इच्छा थी कि पत्नी को किचन में सहयोग करें, लेकिन पत्नी ने किचन में घुसने नहीं दिया। पत्नी को डर को था कि आप भोजन बनाने का काम कम और नुकसान ज्यादा करेंगे। एक बात अच्छी रही कि दास की बेटी ने खाना बनाना सीख लिया, जबकि आपने अपने बेटे की रोबोटिक्स में मदद की।
लॉकडाउन के दौरान आपने प्रतिदिन 12 घंटे कंपनी का काम किया। कंपनी में करीब 85 कर्मचारी काम करते हैं। सभी को नियमित रूप से वेतन दे रहे हैं। कंपनी का ऑफिस मलेशिया में है, जबकि कंपनी के विभिन्न प्रोजेक्ट्स का काम थाईलैंड, इंडोनेशिया, हांककांग एवं भारत में सुचारु रूप से चल रहा है। आपने इस अवधि में इंडिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर आदि की यात्राएं रंद्द कीं। मलेशिया के साथ ही भारत की खबरों पर भी आपकी नजर थी। दास मानते हैं कि जब तक वेक्सीन नहीं आएगा तब तक कोरोनावायरस हमारी जिंदगी में रहेगा। फिलहाल तो जरूरी सावधानियां रखकर ही इससे बचा जा सकता है।
दास मानते हैं कि चीन यदि इस खतरनाक वायरस के बारे में आरंभ में ही पूरे विश्व से जानकारी साझा कर लेता तो आज यह स्थिति नहीं होती। भारत ने समय रहते लॉकडाउन लगाया, वहीं अमेरिका ने सही समय पर निर्णय नहीं लिया है। यही कारण है कि यहां संक्रमित लोगों एवं सक्रमण से मरने वाले लोगों की संख्या विश्व में सर्वाधिक है। वे कहते हैं कि भारत में भी अभी संक्रमित लोगों की संख्या और बढ़ेगी, लेकिन डाक्टर्स को अनुभव हो गया है कि किस प्रकार से कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को बचाया जा सकता है। मलेशिया में भी सही काम हो रहा है। दोनों ही देशों की सरकारें अच्छा काम कर रही हैं।
लाइफ स्टाइल में परिवर्तन : संजय दास का कहना है कि आने वाले समय में सभी को लिविंग स्टाइल में परिवर्तन करना होगा। अभी जिसके पास पैसा है, वो राजा है। आने वाले समय में सब कुछ ठीक नहीं हो जाने तक कोई भी इन्वेस्टमेंट नहीं करेगा। इससे इकोनॉमी डाउन होगी।
रोजमर्रा की चीजों के अलावा सभी सेक्टर में मंदी का दौर रहेगा। छोटे देशों में जनसंख्या कम होने के कारण वहां इसका अधिक प्रभाव रहेगा। जिन देशों में जनसंख्या अधिक है, एग्रीकल्चर पर आधारित अर्थव्यवस्था है, वहां पर मंदी का असर कम रहेगा। सबसे अधिक प्रभाव पर्यटन, ट्रैवल, रियल एस्टेट पर आया है। मलेशिया में भी पर्यटन प्रभावित रहेगा।
कौन हैं संजय दास : संजय वर्तमान में एसडी ग्लोबल के एमडी हैं, जो कि आईटी एवं हैल्थकेयर के मिश्रण से स्मार्ट हास्पीटल के लिए ऐप बनाने का कार्य करती है। 5 लोगों से शुरू हुई इस कंपनी में अब 85 कर्मचारी हैं। एसडी ग्लोबल मलेशिया के साथ ही इंडोनेशिया, वियतनाम, म्यांमार एवं थाईलेंड में भी कार्य कर रही है। दास को 100 एमआईवाईई कार्यक्रम के तहत मलेशिया के 100 सबसे प्रभावशाली युवा उद्यमियों में शामिल हैं, वहीं 2019 में आपको विश्व के प्रतिष्ठित भूमि रत्न अंतराष्ट्रीय अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।