नई दिल्ली। कोरोनावायरस दुनियाभर में कहर ढा रहा है। इस बीच ब्रिटिश स्वास्थ्य विशेषज्ञों के नए विश्लेषण में पहली बार यह निष्कर्ष निकला है कि कोविड-19 टीके की दो खुराक कोरोनावायरस के अत्यधिक संक्रामक डेल्टा स्वरूप-बी1.617.2 के चलते अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में काफी मददगार हैं।
वायरस के डेल्टा स्वरूप की पहचान सबसे पहले भारत में की गई थी। कोविड-19 के चिंताजनक स्वरूपों (वीओसी) का नियमित रूप से विश्लेषण कर रहे पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने कहा कि नवीनतम विश्लेषण से यह प्रदर्शित होता है कि फाइजर/बायोएनटेक टीके की दो खुराक अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में 96 प्रतिशत कारगर है,
वहीं ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका का टीका अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में 92 प्रतिशत असरदार है। ब्रिटेन में हुआ अध्ययन इसलिए खास है, क्योंकि डेल्टा वैरिएंट को ही भारत में दूसरी लहर के दरमियान मची तबाही के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के इस वैरिएंट को 'चिंतित करने वाला' बताया है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि कोरोनावायरस का नया वैरिएंट 2020 के मुकाबले ज़्यादा चालाक हो गया है। अब हमें ज्यादा सावधानी बरतने की ज़रूरत है। हमें ज्यादा सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना होगा। मास्क लगातार पहने रखना होगा। इसके बिना परिस्थिति फिर खराब हो सकती है। (इनपुट भाषा)