नई दिल्ली/ हैदराबाद। हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी ने कोविड-19 के टीके को भारत के औषधि नियामक द्वारा आपात इस्तेमाल की मंजूरी दिए जाने की आलोचनाओं को सोमवार को खारिज कर दिया और कहा कि इसका सुरक्षित एवं प्रभावी टीका उत्पादन का रिकॉर्ड रहा है और इसके सभी डाटा पारदर्शी हैं। कोवैक्सीन की मंजूरी पर उद्योग के विशेषज्ञों और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सवाल उठाए हैं और तीसरे चरण के परीक्षण डाटा मौजूद नहीं होने पर चिंता जताई है।
उन्होंने कहा कि प्रक्रियाओं को दरकिनार किया गया और समय से पहले मंजूरी दी गई जिससे भारत में टीके को लेकर असमंजस बढ़ा है। बहरहाल, भारत बायोटेक के अध्यक्ष कृष्णा इल्ला ने कहा कि पर्याप्त डाटा का पहले ही खुलासा कर दिया गया है और लोगों के लिए यह ऑनलाइन मौजूद है। उन्होंने सुझाव दिए कि टीके को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है कि यह एक भारतीय कंपनी का उत्पाद है। कोवैक्सीन मेडिकल जरूरतों को पूरा करता है और इसने शानदार सुरक्षा डाटा सृजित किया है और इसका रोग प्रतिरोधी क्षमता ठोस है।
उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण की प्रभाविता संबंधी डाटा मार्च तक उपलब्ध होगा। तीसरे चरण में प्रभावित का अंतरिम विश्लेषण अभी नहीं किया गया है। हम 200 फीसदी ईमानदारी से क्लीनिकल परीक्षण करते हैं और फिर भी हमारी आलोचना हो रही है। भारत बायोटेक का टीका फाइजर के टीके से कमतर नहीं है। भारतीय कंपनियों को निशाना बनाया जा रहा है उन्हें घटिया बताया जा रहा है।
इल्ला ने कहा कि यह कहना गलत है कि भारत बायोटेक का डाटा पारदर्शी नहीं है और उन्होंने कंपनी के प्रकाशनों की संख्या गिनाई। उन्होंने कहा कि आपातकालीन उपयोग की मंजूरी भारत सरकार के 2019 के नियमों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक ने सबसे पहले जीका वायरस का पता लगाया और जीका तथा चिकगुनिया के टीकों के लिए वैश्विक पेटेंट दायर करने वाली यह पहली कंपनी है।
विवादों के बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत बायोटेक के टीके को मंजूरी बैकअप के तौर पर केवल आपातकालीन स्थिति के लिए दी गई है और इन दावों को खारिज कर दिया कि टीका की पूरी प्रक्रिया को फास्ट ट्रैक किया गया। अगर मामलों में बढ़ोतरी हो रही है तो हमें टीके के बड़े डोज की जरूरत होगी और तब हम भारत बायोटेक के टीके का इस्तेमाल कर सकते हैं। भारत बायोटेक का टीका बैक-अप के लिए है।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा और प्रभाव के संदर्भ में किसी भी क्लीनिकल परीक्षण को फास्ट ट्रैक नहीं किया गया। नियामक की मंजूरी लेने में फास्ट ट्रैक किया गया है जिसमें एक चरण से दूसरे चरण तक जाने में सामान्य तौर पर ज्यादा समय लगता है। सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के टीका कोविशील्ड और स्वदेश में विकसित कोवैक्सीन को रविवार को मंजूरी दिए जाने को भारतीय नेतृत्व ने वैज्ञानिकों और देश के लिए बड़ी उपलब्धि बताई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोनावायरस के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान देश में शुरू होने वाला है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि इसके लिए देश अपने वैज्ञानिकों एवं टेक्नीशियन के योगदान पर गर्व करता है। ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के टीके को सेामवार को लगाया जाना शुरू कर दिया गया। इस टीके को 82 वर्षीय एक बुजुर्ग को लगाया गया जो डायलिसिस का मरीज है। भारतीय निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ ने कहा कि भारत सरकार को प्रति टीका 3 से 4 डॉलर (219 से 292 रुपए) का खर्च आएगा और बिक्री शुरू होने पर बाजार में इसकी कीमत दोगुनी होगी।
दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी एसआईआई को टीका उत्पादन का लाइसेंस है और इसने करीब पांच करोड़ डोज तैयार कर लिए हैं। इसके सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि कंपनी कोविशील्ड की बिक्री पहले चरण में भारत सरकार और जीएवीआई (टीका एवं प्रतिरक्षण के लिए वैश्विक गठबंधन) देशों को करेगी और इसके बाद इसे बाजार में उतारा जाएगा। केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय कर टीकाकरण अभियान की तैयारी कर रही है और 2 जनवरी को देशभर में इसका पूर्वाभ्यास किया गया।
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने सोमवार को कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों समेत कोरोना महामारी से अग्रिम मोर्चे पर जूझ रहे लोगों का पहले चरण में टीकाकरण करने के लिए देश में टीके का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है। पॉल कोविड-19 के टीकाकरण को लेकर बने राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार शीघ्र ही टीके की खरीद व उसके वितरण की अपनी योजना का खुलासा करेगी।
पॉल ने कहा कि हमारे पहले चरण में प्राथमिकता वाले समूह को टीका मिलेगा, जिसमें मृत्यु दर के उच्च जोखिम वाले लोग और हमारे स्वास्थ्य सेवा व अग्रिम पंक्ति के कर्मी शामिल हैं। हमारा मानना है कि हमारे पास उनके लिए पर्याप्त भंडार है। पॉल ने कहा कि अब से 3 से 4 महीने बाद अन्य टीके भी उपलब्ध होंगे और तब भंडार भी बढ़ेगा। तब टीकाकरण कार्यक्रम में अधिक तेजी लाई जा सकती है। कोवैक्सीन को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच वाक् युद्ध के कारण विवाद बढ़ गया और विपक्षी दल के कुछ नेताओं ने भारत बायोटेक के टीके को मंजूरी देने पर सवाल भी उठाए। (भाषा)