बीजिंग। कोविड-19 जांच में कई बार समस्या यह होती है कि बीमारी से उबर चुके प्रतीत होने वाले लोगों की नाक के म्यूकस की रिपोर्ट नेगेटिव आ जाती है, जबकि असल में वे संक्रमित होते हैं। अनुसंधानकर्ताओं ने अब कहा है कि यदि मुंह और ग्रसनी के स्राव की जांच की जाए तो इस तरह के जोखिम से राहत मिल सकती है। ग्रसनी यानी फैरिंक्स आहार नाल का अंग होती है।
‘जर्नल ऑफ डेंटल रिसर्च’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कई रोगी ऐसे मिले जिनकी जांच रिपोर्ट नाक के म्यूकस के विश्लेषण के बाद नेगेटिव आई, जबकि मुंह और ग्रसनी के स्राव की जांच किए जाने पर वे संक्रमित पाए गए।
चीन की हुआजोंग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, अध्ययन में 75 ऐसे रोगियों को शामिल किया गया जिन्हें अस्पताल से छुट्टी देने की तैयारी हो चुकी थी और जिनकी लगातार दो बार की गई न्यूक्लेइक एसिड जांच नेगेटिव आई थी।
उन्होंने कहा कि इन लोगों की जांच मुंह और ग्रसनी स्राव के माध्यम से की गई तो इनमें से कई की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि मुंह और ग्रसनी स्राव की जांच से गलत नेगेटिव रिपोर्ट आने के जोखिम को कम किया जा सकता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि नाक के म्यूकस की जांच से निष्कर्ष पर पहुंचने पर हो सकता है कि ऐसे लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिल जाए जिनमें संक्रमण पूरी तरह दूर न हुआ हो और फिर घर जाने के बाद उनसे दूसरों को संक्रमण फैल जाए। उन्होंने कहा कि मुंह और ग्रसनी स्राव की जांच में सटीकता अधिक है।(भाषा)