कोरोना के कहर के बीच सांस ले रही दुनिया को अब इसके वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है। इसी बीच चीन ने कहा है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन इस साल नवंबर या दिसंबर तक बनकर तैयार हो जाएगी। चीन के बीमारी रोकथाम और बचाव केंद्र (CDC) ने कहा कि चीन की चार कोरोना वायरस वैक्सीन अपने तीसरे और अंतिम चरण में हैं।
इधर भारत में कोरोना वैक्सीन के लिए यहां की 7 कंपनियां काम कर रही हैं।
सीडीसी की बॉयोसेफ्टी एक्सपर्ट गुइझेन वू ने कहा कि तीसरे चरण का ट्रायल सही तरीके से संचालित हो रहा है। वू ने दावा किया कि उन्होंने अप्रैल महीने में कोरोना वैक्सीन को लगवाया था लेकिन उसका उन्हें कोई असामान्य प्रभाव देखने को नहीं मिला है।
भारत बायोटेक ने 20 बंदरों को चार समूहों पर बांटकर रिसर्च किया। एक ग्रुप को प्लेसीबो दिया गया जबकि बाकी तीन ग्रुप्स को तीन अलग-अगल तरह की वैक्सीन पहले और 14 दिन के बाद दी गई। दूसरी डोज देने के बाद, सभी बंदरों को SARS-CoV-2 से एक्सपोज कराया गया। वैक्सीन की पहली डोज दिए जाने के तीसरे हफ्ते से बंदरों में कोविड के प्रति रेस्पांस डेवलप होना शुरू हो गया था। वैक्सीन पाने वाले किसी भी बंदर में निमोनिया के लक्षण नहीं मिले।
भारत में क्या है स्थिति
भारत में करीब 7 कंपनियां- Bharat Biotech, Zydus Cadila, Serum Institute, Mynvax Panacea Biotec, Indian Immunologicals और Biological E कोरोना वायरस की अलग-अलग वैक्सीन पर काम कर रही हैं। सीरम इंस्टिट्यूट ने ऑक्सफर्ड वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया है जबकि बाकी जारी हैं। आमतौर पर वैक्सीन डेवलप करने में सालों लगते हैं मगर कोरोना के चलते दुनियाभर के रिसर्चर्स ने युद्धस्तर पर काम किया है।
कोवैक्सिन के फेज 1 ट्रायल डेटा को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के सामने रखना होगा। वहां से फेज 2 ट्रायल की परमिशन मिलेगी जिसमें 750 पार्टिसिपेंट्स होंगे। तीसरी स्टेज में हजारों वालंटियर्स शामिल होंगे। भारत बायोटेक को उम्मीद है कि उसकी वैक्सीन अगले साल की पहली तिमाही तक उपलब्ध हो जाएगी।