अब देश में बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन की कवायद चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल देश में चार वैक्सीन बनाने पर काम चल रहा है।
केंद्रीय औषधि प्राधिकरण ने 2 साल से 18 साल तक के बच्चों और किशोरों को कुछ शर्तों के साथ आपात स्थिति में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लगाने की अनुमति दिए जाने की सिफारिश की। अगर सबकुछ ठीक रहा तो देश में जल्दी ही बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। लेकिन यह भी जानते हैं कि इस वक्त कौन कौन सी वैक्सीन बच्चों के लिए बनाई जा रही है।
कोवैक्सीन
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने दो साल से 18 साल तक के बच्चों और किशोरों में इस्तेमाल के लिए कोविड-19 रोधी टीके कोवैक्सीन के दूसरे-तीसरे चरण का परीक्षण पूरा कर लिया है। कंपनी ने इसके सत्यापन और आपातकालीन उपयोग की मंजूरी (ईयूएस) के लिए इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को आंकड़े सौंप दिए थे।
जायडस कैडिला
जायडस कैडिला तीन डोज वाली बगैर सुई की वैक्सीन है। इस वैक्सीन को अगस्त में वयस्कों और 12 साल से ज्यादा उम्रे के किशोरों पर इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई थी। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पाल ने कहा कि जायडस कैडिला की वैक्सीन को जल्द ही पेश करने की तैयारी चल रही है।
कोवावैक्स
सीरम इंस्टिट्यूट 7-11 साल तक के बच्चों के लिए अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स के टीके का परीक्षण कर रही है। कंपनी ने भारत में इस वैक्सीन का नाम कोवावैक्स रखा है। भारतीय दवा नियामक ने इसी साल सितंबर में सीरम इंस्टीट्यूट को अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स की वैक्सीन का सात से 11 साल की उम्र तक के बच्चों पर परीक्षण करने की अनुमति दे दी थी। नोवावैक्स वैक्सीन को सीरम की ओर से कोवावैक्स के नाम से भारत में लाया गया है।
बायोलॉजिकल ई
हैदराबाद की दवा कंपनी बायोलॉजिकल ई ने कोविशील्ड या कोवैक्सीन के सभी टीके ले चुके लोगों को बूस्टर खुराक के तौर पर अपने कोविड-19 रोधी टीके कॉर्बेवैक्स देने के संबंध में तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए औषधि नियामक से अनुमति मांगी है। देश में विकसित आरबीडी प्रोटीन आधारित कॉर्बेवैक्स के दूसरे-तीसरे चरण के परीक्षण में टीके की खुराक 18 साल से 80 साल के लोगों को दी जा रही है और नतीजे इसी महीने घोषित होने की संभावना है। कंपनी ने कोविशील्ड या कोवैक्सीन वैक्सीन ले चुके लोगों को एकल बूस्टर खुराक के तौर पर कॉर्बेवैक्स देने के संबंध में तीसरे चरण के परीक्षण के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से अनुमति के लिए आवेदन दिया है।