Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

स्पू‍तनिक-वी की Inside Story: क्यों दुनिया को नहीं भरोसा कि कोरोनावायरस से बचाएगी रूसी वैक्सीन

हमें फॉलो करें स्पू‍तनिक-वी की Inside Story: क्यों दुनिया को नहीं भरोसा कि कोरोनावायरस से बचाएगी रूसी वैक्सीन
, गुरुवार, 13 अगस्त 2020 (15:47 IST)
कोरोनावायरस (Coronavirus) से बचाव के लिए किए जा रहे प्रयासों के बीच दुनियाभर में रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी (Sputnik V) पर सवाल उठ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि रूस ने वैक्सीन बनाने के लिए तय दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया। ऐसे में इस वैक्सीन की सफलता पर भरोसा करना मुश्किल है। 
 
दरअसल 11 अगस्त को रूस द्वारा दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के दौरान पेश किए दस्तावेजों से कई खुलासे हुए हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि दस्तावेजों के मुताबिक, वैक्सीन कितनी सुरक्षित है, इसे जानने के लिए पूरी क्लीनिकल स्टडी ही नहीं हुई।
 
डेली मेल की खबर के मुताबिक, ट्रायल के नाम पर 42 दिन में मात्र 38 वॉलंटियर्स को वैक्सीन की डोज दी गई। ट्रायल के तीसरे चरण पर भी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
 
सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि रूसी सरकार के उस दावे पर कि वैक्सीन के कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखे, जबकि इसी रिसर्च से जुड़े दस्तावेज बताते हैं कि 38 वॉलंटियर्स में 144 तरह के साइड इफेक्ट देखे गए हैं। 
 
दस्तावेज के अनुसार ट्रायल के 42वें दिन भी 38 में से 31 वॉलंटियर्स इन साइडइफेक्ट से जूझते दिखे। यही नहीं कई वॉलंटियर्स को डोज लेने के बाद कई तरह दिक्कतें हुईं। उन्हें बुखार, शरीर में दर्द, शरीर का तापमान बढ़ना, खुजली होना और सूजन जैसे साइड इफेक्ट दिखे। 
 
इसके अलावा शरीर में ऊर्जा महसूस न होना, भूख न लगना, सिरदर्द, डायरिया, गले में सूजन, नाक का बहना जैसे साइड इफेक्ट आम रहे। 
 
रूसी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, वैक्सीन ट्रायल के जो नतीजे सामने आए हैं, उनमें बेहतर इम्युनिटी विकसित होने के प्रमाण मिले हैं। उन्होंने दावा किया कि अभी तक किसी वॉलंटियर में निगेटिव साइड इफेक्ट नहीं देखने को मिले। 
 
इसकी सत्यता की पुष्टि के लिए खुद राष्ट्रपति पुतिन ने बताया कि वैक्सीन की पहली डोज पुतिन की बेटी को दी गई है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी को बुखार था। वैक्सीन के बाद उसके शरीर का तापमान पहले एक डिग्री बढ़ा फिर कम हुआ। राष्ट्रपति पुतिन ने दावा किया कि मेरी बेटी के शरीर में एंटीबॉडीज बढ़ी हैं।
 
रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हम वैक्सीन तैयार करने में दूसरों से कई महीने आगे चल रहे हैं। इसी महीने में बड़े स्तर पर तीन और ट्रायल किए जाएंगे। फिर रजिस्ट्रेशन के बाद राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि वैक्सीन से जुड़े सभी जरूरी ट्रायल पूरे हो गए हैं।
 
रूस ने कोरोना के अपने टीके को लेकर उठी अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को खारिज करते हुए इसे 'बिल्कुल बेबुनियाद' बताया है। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने बुधवार को रूसी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स से कहा कि ऐसा लगता है जैसे हमारे विदेशी साथियों को रूसी दवा के प्रतियोगिता में आगे रहने का अंदाजा हो गया है और वो ऐसी बातें कर रहे हैं जो कि बिल्कुल ही बेबुनियाद हैं। 
 
लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस ने अब तक वैक्सीन के जितने भी ट्रायल किए हैं, उससे जुड़ा साइंटिफिक डाटा पेश नहीं किया है।
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि वो रूसी अधिकारियों से इस टीके की समीक्षा करने के लिए संपर्क कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन अभी छह टीकों पर नज़र रखे हुए है जिनका विकास हो रहा है और उनमें रूस का ये टीका शामिल नहीं है। 
 
इसी आधार पर WHO ने रूस द्वारा बनाई गई कोरोना की वैक्सीन को लेकर कई तरह की शंकाएं जताते हुए संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि अगर किसी वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किए बगैर ही उसके उत्पादन के लिए लाइसेंस जारी कर दिया जाता है, तो इसे खतरनाक मानना ही पड़ेगा। 
 
इसे किसी भी साइंटिफिक जर्नल या विश्व स्वास्थ्य संगठन से साझा नहीं किया गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि ऐसा लगता है कि रूस ने वैक्सीन बनाने के लिए तय दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है, ऐसे में इस वैक्सीन की सफलता और सुरक्षा पर भरोसा करना मुश्किल है। वैक्सीन उत्पादन के लिए कई गाइडलाइंस बनाई गई हैं, जो भी देश या संस्था ये काम कर रहीं हैं, उन्हें इसका पालन करना ही होगा।
 
सबसे बड़ा विरोधाभास रूसी सरकार और वैक्सीन तैयार करने वाली इंस्टीट्‍यूट के बयानों में है। जहां सरकार कह रही है कि ट्रायल में अब तक कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखा वहीं वैक्सीन तैयार करने वाले गामालेया नेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एपिडिमियोलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी के अनुसार वैक्सीन के बाद बुखार आ सकता है, लेकिन इसे पैरासिटामॉल की टेबलेट देकर ठीक किया जा सकता है।
 
इस मुद्दे पर रूसी मीडिया भी बंटा हुआ है। रूसी समाचार एजेंसी फोटांका का दावा है कि वॉलंटियर्स के शरीर में दिखने वाले साइड इफेक्ट की लिस्ट लंबी है। इस पर गामालेया रिसर्च सेंटर का कहना है कि इतने कम लोगों पर हुई रिसर्च के आधार पर यह कहना मुश्किल है कि किस में कौन सा साइड इफेक्ट दिखाई देगा।
 
मीडिया में प्रकाशित हुए दस्तावेजों के मुताबिक, 38 वॉलंटियर्स में 144 तरह के साइड इफेक्ट देखे गए। ट्रायल के 42 वें दिन भी 38 में से 31 वॉलंटियर्स इन साइड इफेक्ट से जूझ रहे हैं। इसमें 27 तरह के साइड इफेक्ट ऐसे भी हैं, जो वैक्सीन बनाने वाले विशेषज्ञों को भी समझ नहीं आ रही है।
 
हालांकि इस वैक्सीन के सफल होने की कामना पूरा विश्व कर रहा है लेकिन यह बात तो साफ है कि वैक्सीन सबसे पहले बने, इससे ज्यादा जरूरी है यह सुरक्षित हो। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

तेलंगाना में Coronavirus संक्रमण के 1,931 नए मामले, कुल 665 लोगों की मौत