नई दिल्ली। तमिलनाडु, असम और पंजाब में अगले 2 हफ्तों के दौरान कोरोनावायरस के मामले अपने चरम पर पहुंच सकते हैं। यह जानकारी 'सूत्र' मॉडल से मिली है। यह गणित मॉडल कोरोनावायरस के मामलों की तीव्रता का अनुमान जताने में मदद करता है।
मॉडल के मुताबिक राहत की बात यह है कि दिल्ली और महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्यप्रदेश में संक्रमण के मामले अपने चरम पर पहुंच चुके हैं। उसने यह भी कहा कि देश में 4 मई को मामले चरम पर पहुंच गए थे और फिर दैनिक मामलों में गिरावट दिखने लगी थी। हालांकि सात मई को देश में 4,14,188 मामले रिकॉर्ड हुए थे जो सर्वाधिक एक दिनी बढ़ोतरी थी।
आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम विद्यासागर ने बताया कि तमिलनाडु, पंजाब, हिमाचलप्रदेश, असम जैसे बड़े राज्यों में अभी मामलों की चरम स्थिति आनी है। वह मॉडल पर काम कर रहे तीन वैज्ञानिकों में से एक हैं। मॉडल बताता है कि तमिलनाडु में 29-31 मई के बीच कोरोनावायरस की चरम स्थिति आ सकती है जबकि पुडुचेरी में 19-20 मई को कोविड की चरम स्थिति आ सकती है।
मॉडल के मुताबिक, पूर्वी और पूर्वोत्तरी भारत में भी मामलों की चरम स्थिति आनी बाकी है। असम में 20-21 मई को कोरोनावायरस के मामले अपने चरम पर पहुंच सकते हैं। असम में सोमवार को एक दिन में सर्वाधिक 6394 नए मामले सामने आए हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राज्य में सोमवार को 92 लोगों की मौत भी हुई है जो अब तक एक दिन में मृतकों की सर्वाधिक संख्या है।
मॉडल में अरूणाचलप्रदेश, मणिपुर में संक्रमण में कमी का अनुमान जताया गया है और इन राज्य में मामलों में कमी रिकॉर्ड की गई है लेकिन उनमें मामूली बढ़ोतरी होने लगी है। मेघालय में कोविड-19 की चरम स्थिति 30-31 मई को जबकि त्रिपुरा में 26-27 मई को आ सकती है।
उत्तर में, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में मामले बढ़ रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में 24 मई तक मामले अपने चरम पर पहुंच सकते हैं जबकि पंजाब में यह स्थिति 22 मई तक आने के आसार हैं। ओडिशा में कोरोनावायरस की चरम स्थिति 16-17 मई को आ चुकी है। महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, झारखंड, राजस्थान, केरल, सिक्किम, उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा के साथ-साथ दिल्ली एवं गोवा में कोरोनावायरस की चरम स्थिति निकल चुकी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, बिहार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कोविड मामलों में गिरावट और संक्रमण दर में कमी देखी गई है। गणित मॉडल कोरोनावायरस के मामलों की तीव्रता का अनुमान जताने में मदद करता है और इसके आधार पर नीतिगत फैसले लिए जा सकते हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने कोरोनावायरस के मामलों में तेजी का अनुमान जताने के लिए गणित मॉडल पर काम करने के लिए वैज्ञानिकों का एक समूह गठित किया था जिसके बाद पिछले साल सूत्र मॉडल अस्तित्व में आया था।
कोविड-19 की दूसरी लहर की प्रकृति का सटीक अनुमान नहीं जताने पर मॉडल की खासी आलोचना हुई है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने एक बयान जारी किया है जिस पर विद्यासागर, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर, मनिंद्र अग्रवाल, 'इंटिग्रेटिड डिफेंस स्टाफ' की उप प्रमुख माधुरी कानिटकर के हस्ताक्षर हैं। बयान में कहा गया है कि गणिज्ञ मॉडल ने अप्रैल के तीसरे हफ्ते में कोरोनावायरस की दूसरी लहर और इसके चरम स्थिति का अनुमान जताया था जिसमें रोजाना 1 लाख मामले आने की बात कही गई थी। लेकिन मामलों की संख्या मॉडल के अनुमान की तुलना में काफी अधिक थी। (भाषा)