नई दिल्ली/ दावोस। कोविड-19 महामारी की शुरुआत के साथ डिजिटलीकरण के बढ़ते चलन के बीच साइबर हमलों की घटनाएं भी बढ़ी हैं। इस संबंध में मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में रैंसमवेयर के हमलों में रिकॉर्ड 151 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसका मतलब है कि एक संगठन को औसतन 270 साइबर हमलों का सामना करना पड़ा है।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के ऑनलाइन दावोस एजेंडा 2022 शिखर सम्मेलन के दौरान जारी 'वैश्विक साइबर सुरक्षा आउटलुक 2022' रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले साल किसी भी एक सफल साइबर हमले की जद में आने वाली कंपनी को 36 लाख डॉलर (लगभग 27 करोड़ रुपए) का नुकसान हुआ है, वहीं किसी कंपनी पर हुए साइबर हमले के सार्वजनिक होने के बाद नैस्डेक पर कंपनी के शेयर की औसत कीमत 6 महीने बाद भी लगभग 3 प्रतिशत तक कम रही।
डब्ल्यूईएफ ने कहा कि कोरोनावायरस के कारण वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था बढ़ी है। हालांकि इसी के साथ साइबर हमले भी बढ़े हैं और साइबर सुरक्षा से जुड़े लगभग 80 प्रतिशत दिग्गज अब रैंसमवेयर को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए 'खतरा' और 'चेतावनी' मानते हैं। इसके अलावा व्यावसायिक अधिकारियों के बीच धारणा का एक बड़ा अंतर भी आया है। वे सोचते हैं कि उनकी कंपनियां सुरक्षित हैं जबकि साइबर सुरक्षा जानकार उनसे असहमत हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि सर्वेक्षण में शामिल लगभग 92 प्रतिशत कारोबारी अधिकारियों ने माना कि साइबर लचीलापन उद्यम जोखिम कंपनियों की प्रबंधन रणनीतियों में एकीकृत है, हालांकि केवल 55 प्रतिशत साइबर सुरक्षा जानकार ही इस बात पर सहमत हुए। एक्सेंचर के सहयोग से किए गए डब्ल्यूईएफ सर्वेक्षण में पाया गया कि खतरे का पता चलने के बाद भी लगभग दो-तिहाई लोगों के लिए अपनी टीम के भीतर कौशल की कमी के कारण साइबर सुरक्षा के खतरे से निपट पाना चुनौतीपूर्ण होगा।