नई दिल्ली। दिल्ली में ऑक्सीजन का संकट काफी गहराता जा रहा है। हालात यह हो चुके हैं कि कुछ अस्पताल ऑक्सीजन संकट के चलते नए मरीजों की भर्ती तक नहीं कर रहे हैं, जबकि कुछ अस्पतालों में अगले डेढ़-दो घंटे की ही ऑक्सीजन बची है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर उनसे सहायता की गुहार लगाई है। सिसोदिया का कहना है कि कैसे दिल्ली में ऑक्सीजन को आने से पड़ोसी हरियाणा और यूपी की तरफ से रोका जा रहा है।
ग्राउंड रिपोर्ट : पूर्वी दिल्ली में 200 बेड वाले शांति मुकुंद अस्पताल के प्रशासन ने मुख्य द्वार पर एक नोटिस लगाया है जिसमें लिखा है- 'हमें खेद है कि हम अस्पताल में मरीजों की भर्ती रोक रहे हैं क्योंकि ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो रही है।
रोहिणी के सरोज अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक गई है। अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि बैकअप भी अधिक समय तक नहीं चलेगा। अभी अस्पताल के 120 मरीजों में से 70 की हालत गंभीर है। उन्होंने कहा कि अगर अस्पताल में समय से ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हुई तो कई जानें जा सकती हैं।
शांति मुकुंद अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि वे अपने ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल में अभी कोरोनावायरस के 110 मरीज हैं। हमारे पास मरीजों को दूसरे अस्पतालों में भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट के मुख्य परिचालन अधिकारी संजीव शर्मा ने कहा कि उनका ऑक्सीजन स्टॉक शाम चार बजे तक ही चलेगा। उन्होंने कहा कि आपूर्तिकर्ता ने सुबह अंतिम रिफिल दिया था, उसके बाद से हम अपने स्तर से काम कर रहे हैं। कुल 71 मरीज ऑक्सीजन पर हैं। जनकपुरी स्थित 210 बिस्तरों के माता चानन देवी अस्पताल के अधिकारियों ने दिल्ली सरकार को आपात संदेश भेज कर कहा कि मरीजों के अनुपात में उनके यहां ऑक्सीजन की कमी है।
आईसीयू के प्रमुख डॉक्टर ए सी शुक्ला ने कहा कि करीब 40 मरीज आईसीयू में भर्ती हैं। हमें कल रात करीब 500 किलोग्राम ऑक्सजीन मिली। आपूर्तिकर्ता को तड़के चार बजे और ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी थी लेकिन तब से वह फोन नहीं उठा रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के हस्तक्षेप से हमे 21 डी श्रेणी के सिलेंडर मिले लेकिन इसकी नियमित आपूर्ति की जरूरत है। स्थित बहुत ही गंभीर है।
50-बिस्तरों वाले धर्मवीर सोलंकी अस्पताल के डॉ. पंकज सोलंकी ने बताया कि अस्पताल बैकअप में रखी ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों से 30 मरीजों को स्थानांतरित करने के लिए संपर्क किया गया है। हालांकि, कुछ बड़े अस्पतालों ने कहा कि उन्हे गत रात को ऑक्सीजन की नयी खेप मिली है एवं और आने की उम्मीद है।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ.सुरेश कुमार ने बताया कि ऑक्सीजन के तीन टैंकर रात को अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुबह साढे आठ बजे तक आठ घंटे के लिए ऑक्सीजन बची थी। हां, अब और आ रही है।
सर गंगाराम अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि सुबह करीब छह बजे गैस की आपूर्ति की गयी। उन्होंने कहा कि यह स्टॉक शुक्रवार सुबह 10 बजे तक चलेगा। एक निजी विक्रेता से भी आपूर्ति की प्रतीक्षा है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया निर्देश : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार रात को केंद्र को आदेश दिया था कि वह तुंरत ऑक्सीजन की उन अस्पतालों को आपूर्ति करे, जहां उसकी जरूरत है और जहां पर कोविड-19 के उन मरीजों का इलाज हो रहा है, जिनकी हालत गंभीर है। अदालत ने टिप्पणी की कि ऐसा लगता है कि राज्य के लिए इन्सानों की जान की कोई कीमत नहीं है।
केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वस्त किया कि वह दिल्ली को आवंटित 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था करेगी और यह बिना किसी बाधा के दिल्ली पहुंचेगी। हालांकि कई निजी अस्पतालों ने शिकायत की कि उन तक कोई मदद नहीं पहुंची है।
रोकी जा रही है आपूर्ति : इस बीच उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पुलिस दिल्ली की ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक रही है। उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि वह नगर में जीवनरक्षक गैस की सामान्य आपूर्ति सुनिश्चित करे, भले ही इसके लिए अर्धसैनिक बलों की मदद लेनी पड़े। उन्होंने कहा कि यह जंगल-राज तीन दिनों से चल रहा है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के कुछ अस्पताल में ऑक्सीजन समाप्त होने के कगार पर है। उनके पास कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है। मुझे लगातार कॉल, संदेश, ई-मेल मिल रहे हैं। हम आंतरिक, अस्थायी व्यवस्था कर रहे हैं, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं चल सकता।
सिसोदिया दिल्ली में कोविड-19 प्रबंधन के नोडल मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा कि अगर अस्पतालों को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं मिली तो कुछ समय बाद यहां कोरोना वायरस मरीजों की जान बचा पाना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र को जरूरत पड़ने पर अर्धसैनिक बलों की मदद लेनी चाहिए और दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। (इनपुट भाषा)