कोरोना ने सबकुछ बदलकर रख दिया है। अब भविष्य में होने वाली आपकी यात्राएं भी बदल जाएगी। अब शारीरिक दूरी, मास्क पहनना, हाथों को समय-समय पर सैनिटाइज करना बेहद जरूरी होगा। इन्हीं में से एक सबसे जरूरी होगा वैक्सीन पासपोर्ट।
यानी की भविष्य में जब आप विदेश यात्रा करेंगे तो आपके पास बोर्डिग पास, सूटकेस, पासपोर्ट के साथ ही वैक्सीन पासपोर्ट (डिजिटल वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट) होना जरूरी होगा। इसका मूलभूत उद्देश्य यह है कि जब लोग घूमने या काम के मकसद से दूसरे देशों में जाए तो उन्हें वहां लंबा वक्त क्वारंटाइन में ना बिताना पड़े।
कहां तक पहुंची तैयारी?
चीन और जापान विदेश यात्रा के लिए अपने-अपने प्रमाणपत्र जारी करने की तैयारी कर रहे हैं।
ब्रिटेन ने बीते सप्ताह यात्रा नियमों में ढील देते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा एप को अपडेट किया है। इसके माध्यम से
विदेश यात्रा के दौरान व्यक्ति के टीकाकरण की स्थिति का सत्यापन किया जा सकेगा।
यूरोपीय यूनियन (ईयू) भी इसी तरह के एक डिजिटल प्रमाणपत्र पर काम कर रहा है। ईयू के 30 सदस्य देशों के
नागरिकों के लिए यह जून के आखिर तक उपलब्ध होने की संभावना है।
इसमें व्यक्ति के टीकाकरण की स्थिति और संक्रमित होने वालों के ठीक होने की जानकारी दी जाएगी। प्रमाण पत्र के आधार पर वे ईयू देशों के बीच सफर कर पाएंगे।
ईयू का प्रमाणपत्र एक क्यूआर कोड की तर्ज पर होगा जिसे जांच अधिकारी स्कैन करेगा और ईयू के तकनीकी गेटवे के जरिये यात्री के देश की आधिकारिक एजेंसी के डाटा से टीकाकरण और संक्रमण की स्थिति का सत्यापन किया जाएगा।
चुनौतियां नहीं है कम
सबसे बड़ी बाधा टीकाकरण के सत्यापन के लिए एक केंद्रीयकृत अंतराष्ट्रीय सत्यापन व्यवस्था का नहीं होना है।
कई देशों का एक साथ काम करना तकनीकी लिहाज से बेहद चुनौतीपूर्ण है। निजता और वैक्सीन के नाम पर भेदभाव जैसे सवालों के बीच यह चुनौती और बढ़ जाती है।
पहले से ही कोरोना के इलाज और संक्रमितों को ट्रेस करने के लिए कई अलग-अलग देश अपना-अपना एप चला रहे हैं। ऐसी स्थिति में वैक्सीन पासपोर्ट एक और डिजिटल दस्तावेज होगा। टीकों के असमान वितरण की दलील देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) फिलहाल टीकाकरण के प्रमाण को अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए अनिवार्य दस्तावेज बनाए जाने के पक्ष में नहीं है। हालांकि वह स्मार्ट वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट के संबंध में अंतरिम दिशा-निर्देश बनाने की तैयारी जरूर कर रहा है।