कोरोना वायरस (Corona virus) की वैश्विक महामारी से बचने के लिए सरकार के 21 दिवसीय लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा के देखते रेलवे ने 14 अप्रैल तक अपने सभी यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया है। इनमें शताब्दी, राजधानी, दूरंतो, गतिमान, वंदेभारत, तेजस समेत सभी प्रीमियम, मेल-एक्सप्रेस, सुपरफास्ट, पैसेंजर गाड़ियों के अलावा उपनगरीय सेवाएं भी शामिल हैं। लॉकडाउन को देखते हुए रेलवे ने रिफंड नियमों को आसान कर दिया है।
लॉकडाउन को देखते हुए आईआरसीटीसी (IRCTC) ने रेल यात्रियों के लिए बड़ी सुविधा की घोषणा की है। आईआरसीटीसी ने रेल यात्रियों से अपील की है कि उन ट्रेनों के लिए ऑनलाइन बुक किए गए रेल टिकट को रद्द न करें जिन्हें लॉकडाउन के दौरान रद्द कर दिया गया है।
आईआरसीटीसी ने रेल यात्रियों इस बात का विश्वास दिलाया है कि वे टिकट ऑटोमैटिक कैंसल हो जाएंगी और यात्रियों का पूरा पैसा रिफंड हो जाएगा। रेलवे ने पहले ही काउंटर टिकट रद्द करने के लिए 21 जून तक का समय दिया था।
ऑनलाइन टिकट बुक करने में रेल यात्रियों को बैंक अकाउंट, डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड के द्वारा पैमेंट करना होता है। आईआरसीटीसी ने कहा है कि ग्राहकों के खातों में ये पैसे ऑटोमैटिक तरीके से आ जाएंगे।
आईआरसीटीसी ने कहा कि रेलवे की तरफ से यात्री ट्रेन को बंद किए जाने के बाद ई-टिकट कैंसल करने को लेकर लोगों के बीच कई तरह की आशंकाएं थीं।
आईआरसीटीसी ने बयान में कहा है कि यात्री की ओर से टिकट को रद्द करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यदि यात्री अपनी टिकट को रद्द करता है, तो संभावना है कि उसे कम पैसे वापस मिलें।
आईआरसीटीसी ने रेलयात्रियों को कहा है कि वे उन ट्रेन के लिए ई-टिकट को रद्द न करें, जिन्हें रेलवे ने खुद कैंसल कर दिया है।
आईआरसीटीसी के बयान के अनुसार 'ई-टिकट की बुकिंग के लिए रेल यात्री द्वारा प्रयोग किए किए गए पैमेंट अकाउंट में उनके पैसे भेज दिए जाएंगे। ट्रेन कैंसिल होने के मामले में रेलवे द्वारा कोई शुल्क नहीं काटा जाता है।
रेलवे स्टेशन पर रिफंड लेने वालों की भीड़ को कम करने के लिए रेलवे ने पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (PRS) काउंटर से जारी टिकट पर रिफंड के नियमों में ढील दी है।