नई दिल्ली। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू रहने के बीच ड्रोन कानून प्रवर्तन अधिकारियों और अन्य सरकारी एजेंसियों के कामकाज में एक महत्वपूर्ण औजार साबित हो रहे हैं।
मानवरहित छोटे विमानों (ड्रोन) की तैनाती लोगों तक पहुंच बनाने के अलावा निगरानी व साफ-सफाई के लिए की जा रही है। इससे एजेंसियों के कर्मचारियों के संक्रमित होने का खतरा भी कम हो जाता है।
गुजरात पुलिस लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए राज्यभर में 200 ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है, वहीं दिल्ली पुलिस ने एशिया के सबसे बड़े फल और सब्जी थोक बाजार आजादपुर मंडी में सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन की तैनाती की है।
उधर मदुरै में नगर निगम के अधिकारी शहर के एक अस्पताल के कोरोना वायरस वार्ड के पास के क्षेत्रों को संक्रमण मुक्त बनाने के उनका उपयोग कर रहे हैं।
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में ये यूएवी के इस्तेमाल के कुछ उदाहरण हैं।
सिर्फ सरकारी एजेंसियां ही इस कठिन समय में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। मीडिया संगठन भी दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन के प्रभाव को दिखाने के लिए लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं।
ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीएफआई) के निदेशक-भागीदारी स्मित शाह ने पीटीआई भाषा से कहा कि अनुमान है कि सरकार के साथ पंजीकृत 20,000 ड्रोनों में से लगभग 450-500 ड्रोन विभिन्न राज्यों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता के लिए इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं।
शाह ने कहा कि ड्रोन स्टार्टअप ने खुद ही सरकार को बिना किसी खर्च के आधार पर अपना समर्थन दिया है। अधिकतर ड्रोन सेवा प्रदाता उन सेवाओं के लिए शुल्क नहीं ले रहे हैं। (भाषा)