नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के असर को कम करने के प्रयास के तहत राज्यों से घर-घर जाकर स्कूल जाने वाले बच्चों का सर्वेक्षण करने और उनका स्कूलों में पंजीकरण कराने की योजना बनाने की सिफारिश की है। अधिकारियों ने बताया कि मंत्रालय ने इस साल बच्चों को फेल (अनुत्तीर्ण) करने के नियमों में भी ढील देने की सिफारिश की है।
उन्होंने बताया कि यह सिफारिश महामारी के दौरान प्रभावित हुए प्रवासी बच्चों की पहचान करने, प्रवेश देने और शिक्षा जारी रखने के उद्देश्य से की गई है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 महामारी की वजह से हमारे स्कूली बच्चों के समक्ष उत्पन्न चुनौती को कम करने के लिए यह महसूस किया गया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ड्रॉपआउट बढ़ने एवं पंजीकरण कम होने, पढाई के नुकसान, हाल के वर्षों में सार्वभौमिक एवं गुणवत्तापरक जो शिक्षा मुहैया कराई गई है, उसमें कमी की समस्या से निपटने के लिए उचित नीति बनाने की जरूरत है।
अधिकारी ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि 6 से 18 साल उम्र के उन बच्चों की पहचान के लिए घर-घर सघन सर्वेक्षण किया जाए जो स्कूलों से दूर हैं, साथ ही उनका स्कूलों में पंजीकरण कराने के लिए उचित कार्ययोजना तैयार की जाए। मंत्रालय ने विद्यार्थियों को स्कूल बंद होने के दौरान और दोबारा उनके खुलने के बाद पहुंचाई जाने वाली मदद संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने बताया कि स्कूलों के बंद रहने के दौरान विद्यार्थियों की मदद करने के लिए चलते-फिरते स्कूल, गांवों में छोटे-छोटे समूह में कक्षाओं का संचालन, बच्चों तक ऑनलाइन एवं डिजिटल स्रोतों की पहुंच बढ़ाने, पढ़ाई का नुकसान कम करने के लिए टेलीविजन एवं रेडियो के जरिए पढ़ाई की संभावनाओं पर गौर करने की सिफारिश की गई है। (भाषा)