नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को कहा कि कुछ जगहों पर कोविड संक्रमण के मामले कम होने या उनमें कोई परिवर्तन नहीं होने के संकेत मिले है लेकिन इस प्रवृत्ति पर गौर करने की जरूरत है। सरकार ने कहा कि हालांकि देश के 400 जिलों में कोविड-19 की साप्ताहिक संक्रमण दर 10 प्रतिशत से ज्यादा है। सरकार ने कहा कि कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्रप्रदेश, राजस्थान में कोविड-19 के सर्वाधिक मामले आ रहे हैं। उसने कहा कि संक्रमण में वृद्धि को रोकने के लिए सतर्कता बरतने की जरूरत है।
सरकार ने कहा कि साथ ही महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, हरियाणा, पश्चिम बंगाल में कोविड-19 के मामलों और संक्रमण दर में गिरावट आई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि स्पष्ट रुझान हैं कि कोविड-19 के कुछ मामलों में ही ऑक्सीजन युक्त बिस्तरों या आईसीयू बिस्तरों की आवश्यकता हुई। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कोविड-19 के उपचाराधीन मामलों और मौत के मामले पहले की लहरों की तुलना में वर्तमान लहर के दौरान बहुत कम हैं।
कोविड-उपयुक्त व्यवहार बरतने में किसी भी तरह की ढिलाई के खिलाफ चेतावनी देते हुए, अग्रवाल ने कहा कि 400 जिलों में 10 प्रतिशत से अधिक साप्ताहिक कोविड संक्रमण दर की सूचना है, जबकि 141 जिलों में यह 26 जनवरी को समाप्त सप्ताह में पांच से 10 प्रतिशत के बीच थी।
उन्होंने कहा कि दिसंबर में जीनोम अनुक्रमण में ओमीक्रोन स्वरूप के 1,292 मामले मिले और जनवरी में यह संख्या बढ़कर 9,672 हो गई। अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों के मामले में शीर्ष 10 राज्यों का देश में कुल उपचाराधीन मामलों में 77 प्रतिशत से अधिक का योगदान है। इनमें से 90 प्रतिशत से अधिक मरीज घर में पृथक-वास में हैं। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में, भारत में कोविड संक्रमण की दूसरी और तीसरी लहर के दौरान प्रमुख आंकड़ों की तुलना प्रस्तुत की।
इसमें बताया गया कि पिछले साल सात मई को दूसरी लहर के चरम पर होने पर 4,14,188 नए मामले सामने आए और 3,679 मौतें हुईं। उस दिन कम से कम 17,40,446 जांच की गई और पूर्ण टीकाकरण वाले लोगों का अनुपात लगभग तीन प्रतिशत था। इस साल 21 जनवरी को 3,47,254 नए मामले सामने आए और 435 मौतें हुईं। उस दिन कुल 19,35,912 जांच की गई और पूरी तरह से टीका लगाए गए लोगों का अनुपात लगभग 75 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि 11 राज्यों में 50,000 से अधिक उपचाराधीन मरीज हैं जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र और केरल में तीन लाख से अधिक मरीज हैं।
टीकाकरण कवरेज के बारे में संवाददाता सम्मेलन में बताया गया कि भारत के 95 प्रतिशत वयस्कों को कोविड-19 टीके की पहली खुराक दी गई है, जबकि 74 प्रतिशत को टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि देश में 97.03 लाख स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम मोर्चे के कर्मियों और 60 वर्ष तथा उससे अधिक उम्र के लोगों को कोविड-19 रोधी टीके की एहतियाती खुराक दी गई। उन्होंने कहा कि साथ ही, 15-18 वर्ष आयु वर्ग के 59 प्रतिशत किशोरों को अब तक कोविड टीके की पहली खुराक मिल चुकी है।
मीडिया में आई उन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि क्या सभी के लिए तीसरी खुराक की जरूरत है, इस पर चर्चा हो रही है, अग्रवाल ने कहा कि ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने कहा, जब भी कोई विज्ञान और साक्ष्य-आधारित चर्चा होगी हम आपके साथ तथ्यात्मक जानकारी साझा करेंगे। भारत में जिस भी टीके की शुरुआत की गई है, वह संबंधित तकनीकी समूह को सौंपे गए सबूतों पर आधारित है और इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
उन खबरों पर कि केंद्र के दिशा-निर्देशों के बावजूद, निजी प्रैक्टिस करने वाले कुछ चिकित्सकों द्वारा मोलनुपिरवीर दवा को अभी भी दिया जा रहा है, अग्रवाल ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि प्रोटोकॉल को जमीनी स्तर पर लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि हमारे पास एक कार्यबल और एक संयुक्त निगरानी समूह है जिसमें तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं। उनके अनुसार, दी जाने वाली दवाओं का विवरण प्रदान किया गया है और हम सभी से उनका पालन करने का अनुरोध करते हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या कोविड संक्रमण की तीसरी लहर पहले ही चरम पर जा चुकी है, अग्रवाल ने कहा कि हालांकि देश के कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में मामलों की संख्या एक हद तक कम हो गई है और कुछ क्षेत्रों में संक्रमण फैलने की दर भी कम हो गई है, ऐसे क्षेत्र भी हैं जहां संक्रमण फैला है और मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि समग्र तस्वीर अभी सामने नहीं आई है।