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अमेरिका में जन्मे अपने बच्चों के लिए वीजा की मांग कर रहे हैं भारतीय

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, शुक्रवार, 5 जून 2020 (13:46 IST)
वॉशिंगटन। कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारतीय सरकार के यात्रा प्रतिबंधों के चलते भारतीय खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं। इनमें अधिकतर एच-1बी वीजाधारक हैं जिनके बच्चे अमेरिका में जन्मे हैं और प्रतिबंधों के तहत वे अब भारत नहीं जा सकते।
 
भारतीय सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए पिछले महीने 'वंदे भारत' अभियान शुरू किया था। इस अभियान के तहत अभी तक 1.07 लाख से अधिक भारतीय स्वदेश लौट चुके हैं।
अमेरिका में कामकाजी वीजा की समय सीमा समाप्त होने के बाद अंगुराज कैलासम को अमेरिकी कानून के तहत जितनी जल्दी हो सके देश वापस लौटना है लेकिन भारतीय कानून के तहत वह अपनी बेटी के साथ भारत वापस नहीं आ सकती। अंगुराज ने कहा कि उसके (बेटी के) पास आपात वीजा है लेकिन मौजूदा यात्रा प्रतिबंध के कारण हम भारत वापस नहीं जा सकते, क्योंकि भारत सरकार ने सभी वीजा निलंबित कर दिए हैं।
 
उन्होंने कहा कि भारतीय वाणिज्य दूतावास ने आपात वीजा के मेरे अनुरोध पर विचार किया और पिछले सप्ताह इसकी अनुमति दे दी लेकिन उसके साथ भी मैं तब तक यात्रा नहीं कर सकती जब तक कि आपातकालीन या प्रवेश वीजा जैसी श्रेणियों के लिए वीजा प्रतिबंधों में छूट न दी जाए। गोपीनाथ नागराजन ने बताया कि भारत में उनकी मां कोमा (निश्चेतावस्था) में हैं।
 
नागराजन ने कहा कि डॉक्टरों का कहना है कि मैं जल्द वहां पहुंच जाऊं तो सही है, क्योंकि उनकी जान खतरे में है और वे अपने आखिरी दिन काट रही हैं। उन्होंने कहा कि मैं जल्द से जल्द भारत जाना चाहता हूं लेकिन मेरी 4 महीने की बच्ची (प्रकृति गोपीनाथ) है। मैं और मेरी पत्नी दोनों भारतीय पासपोर्टधारक हैं।
 
जिंसी मैथ्यू ने कहा कि हम ऐसी स्थिति में हैं, जब हम इस प्रत्यावर्तन उड़ानों में यात्रा नहीं कर सकते, क्योंकि मेरा बच्चा 6 महीने का है और उसके पास भारतीय वीजा या ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड नहीं है। हमारे पास भारत जाने के वैध कारण है लेकिन बच्ची को अमेरिका में छोड़कर हम नहीं जा सकते, वहीं जिंसी का छात्र वीजा भी जल्द खत्म होने वाला है।
 
जिंसी ने कहा कि मैंने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय मिशन में पंजीकरण किया है और अपने बच्चे के लिए आपात वीजा के लिए आवेदन करने की कोशिश की है लेकिन सैन फ्रांसिस्को में मिशन किसी भी आवेदन को स्वीकार नहीं कर रहा है। हम वास्तव में बिना भोजन और पैसे के यहां फंसे हुए हैं।
 
उन्होंने कहा कि मेरे पति की नौकरी मार्च के दूसरे सप्ताह के आस-पास चली गई थी। एक परमार्थ संस्था हमें खाना, डायपर आदि मुहैया करा रही है, कृपया मेरे बेटे को आपात वीजा दिलाने में मदद करें। (भाषा)

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