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अगर इंडिया हुआ ‘लॉकडाउन’ तो 69 रुपए रोज कमाने वाले का कैसे भरेगा पेट?

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नवीन रांगियाल

सरकार की तरफ से ‘जनता कर्फ्यू’ लागू करने की अपील से कोरोना वायरस की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। उधर ज्‍यादातर कंपनियों ने ‘वर्क फ्रॉम होम’ का कॉन्‍सेप्‍ट अपना लिया है। मीडिल क्‍लास और अपर मीडिल क्‍लास के लोग इस नई व्‍यवस्‍था के साथ सामंज्‍य बैठा ही लेंगे, लेकिन सबसे ज्‍यादा तकलीफ दिहाड़ी या डेली वैजेस पर काम करने वाले लोगों की होगी।

यानी वे लोग जिन्‍हें रोजाना दिन के हिसाब से वेतन मिलता है, इसी से उनके घर का चूल्‍हा जलता है और वे पेट भरते हैं। ऐसे में लॉकडाउन की स्‍थिति में ऐसे दिहाड़ी या श्रमिक लोगों के जीवन का क्‍या होगा यह एक बड़ा सवाल है।

चौंकाने वाली बात है कि देश के कुछ राज्‍यों में लाखों ऐसे अकुशल मजदूर हैं, जिनकी मजदूरी 69 रुपए है। हालांकि कुशल मजदूरों को ज्‍यादा मिलता है, लेकिन बावजूद वे अपनी रोज की कमाई पर ही निर्भर हैं। ऐसे में ‘लॉकडाउन’ के दौरान उस भयावह स्‍थिति का अंदाजा इन कुछ उदाहरणों से लगा सकते हैं।

वेबदुनिया डॉट कॉम के इस प्रतिनिधि ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘जनता कर्फ्यू’ वाले संबोधन के बाद इंदौर की स्‍थिति जानने के लिहाज कुछ श्रमिकों से बात की।

इस दौरान साइकिलों के पंचर बनाने वाले एक व्‍यक्‍ति से पूछा गया कि बाजार का ज्‍यादातर हिस्‍सा बंद है, ऐसे में वो घर क्‍यों नहीं गया। इस पर उसका जवाब था कि मेरे घर का चूल्‍हा रोज की कमाई पर निर्भर करता है। यानी दिनभर में जितनी कमाई होगी, उसकी थाली में उतनी ही भोजन सामग्री होगी। यह दुखद और निराशा से भरने वाला जवाब था।

जब उसे कहा गया कि कोरोना वायरस का खतरा फैला हुआ है तो उसने कहा कि पेट की आग ज्‍यादा तकलीफदेह है सर।

इसी तरह अनाज मंडी में बोरे ढोने वाले एक शख्‍स का कहना था कि वो मंडी में अनाज ढो कर ही घरवालों के लिए रोज के भोजन का इंतजाम करता है, अगर मंडी में किसी दिन काम नहीं मिलता है तो फिर किसी दूसरी फैक्‍टरी या गोदाम में जाकर दिहाडी निकाल लेता है, लेकिन अगर सबकुछ बंद हो जाएगा तो दो वक्‍त की रोटी भी मुश्‍किल हो जाएगी।

दरअसल सिर्फ एक बानगीभर है। देशभर में मजदूर या श्रमिकों की संख्‍या से इस भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

साल 2012 की एक पुरानी रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक भारत में मजदूरों की संख्या लगभग 487 मिलियन थी, जिनमें 94 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र के थे। भारत में मजदूरों की ये तस्वीर दुनिया में चीन के बाद दूसरा स्थान रखती है।

मध्‍यप्रदेश
साल 2015 में मुख्‍यमंत्री असंगठित मजदूर कल्याण योजना के तहत कई श्रमिकों ने पंजीयन करवाए थे। यह आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश में हर चौथा व्यक्ति मजदूर है। प्रदेश की कुल आबादी 7.50 करोड़ में से 2 करोड़ 4 लाख से अधिक लोगों ने अपना पंजीयन मुख्यमंत्री असंगठित मजदूर कल्याण योजना के तहत श्रमिक के रूप में कराया था।

इस योजना में प्रदेश में सबसे ज्यादा पंजीयन छिंदवाड़ा जिले में हुए थे। यहां 7 लाख 53 हजार 619 पंजीयन हो चुके थे। इसके बाद धार में 7 लाख 20 हजार 499, रीवा में 6 लाख 73 हजार 121, जबलपुर में 6 लाख 24 हजार 662 लोगों ने श्रमिक के रूप में पंजीयन कराया। सागर संभाग के छतरपुर जिले में 5 लाख 94 हजार 823 लोग पंजीयन करा चुके थे।

छतरपुर पंजीयन के मामले में प्रदेश में छठवें स्थान पर रहा था। 5 लाख 10 हजार 273 पंजीयन के साथ सागर जिला प्रदेश में 11वें स्थान पर था। प्रदेश में जहां हर चौथा व्यक्ति श्रमिक है, वहीं सागर में हर पांचवां व्यक्ति मजदूर है।

पिछले साल यानी 2019 में लोकसभा में देश के सभी राज्‍यों के मजदूरों की दिहाडी के बारे में जानकारी दी गई थी। जानते हैं किस राज्‍य में कितनी मजदूरी मिलती है।

आंध्रप्रदेश
आंध्रप्रदेश में अकुशल मजदूरों को 69 रुपए जबकि अतिकुशल मजदूरों को 895 रुपए दिए जाते हैं।
असम
यहां 244 रुपए अकुशलों के लिए और 485 रुपए अतिकुलश श्रमिकों को दिए जाते हैं।
बिहार
बिहार में 181 रुपए अकुशल और 282 रुपए अतिकुशल मजदूरों को मिलता है।
छत्तीसगढ़
इस राज्‍य में 234 रुपए अकुशल और 338 रुपए अतिकुशल मजदूरों की दिहाड़ी है।
गुजरात
गुजराज में अकुशल श्रमिकों को 100 रुपए और कुशल को 293 रुपए मिलते हैं।
हरियाणा
हरियाणा में यह राशि 326 रुपए और 417 रुपए है।
झारखंड
झारखंड में अकुशल को 229 रुपए और अतिकुशल को 366 रुपए मिलते हैं।
कर्नाटक
कर्नाटक में अकुशल श्रमिकों को 262 रुपए और अतिकुशल मजदूरों को अधिकतम 607 रुपए मिलते हैं।
केरल
केरल में अकुशलों को 287 रुपए से लेकर 510 रुपए तक मिलते हैं। वहां अतिकुशल श्रमिक को 284 से लेकर 556 रुपए तक मिलते हैं।
मध्यप्रदेश
मध्‍यप्रदेश में यह राशि 283 रुपए से लेकर 419 रुपए तक है।
महाराष्‍ट्र
महाराष्ट्र में अकुशल श्रमिकों को 180 रुपए से लेकर 315 रुपए तक मिलते हैं।
ओडिशा
ओडिशा में अकुशलों को 200 रुपए और अतिकुशल मजदूरों को 260 रुपए मिलते हैं।
पंजाब
पंजाब में 311 रुपए और अतिकुशल को 415 रुपए देने का प्रावधान है।
राजस्‍थान
राजस्थान में यह राशि क्रमशः 207 और 277 रुपए है।
उत्‍तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में यह राशि 228 रुपए और 324 रुपए है।
बंगाल
बंगाल में अकुशल श्रमिकों को 211 रुपए और अतिकुशल को 370 रुपए मिलते हैं।
दिल्‍ली
दिल्ली में सबसे ज्यादा अकुशलों को 538 रुपए और कुशल श्रमिकों को 652 रुपए मिलते हैं।

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