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Special Report : Corona काल में लक्ज़मबर्ग सरकार दे रही है 50 यूरो का वाउचर

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डॉ. रमेश रावत

, शनिवार, 6 जून 2020 (16:03 IST)
'Restart Luxembourg' स्लोगन के साथ लक्ज़मबर्ग में 4 मई के बाद से जनजीवन सामान्य होने लगा है। कोविड-19 (Covid-19) के चलते जहां 12 मार्च से लोगों के जीवन में कई प्रकार की चुनौतियां आई थीं, वह अब कम होती जा रही है। जनजीवन पहले की तरह तो सामान्य नहीं हुआ है, इसमें अभी और वक्त लगेगा। इन्ही सब मुद्दों को लेकर भारत में जन्मी, पढ़ी-बढ़ी एवं वाइल्ड लाइफ, सेंचुरी एशिया व ईवाय (EY) इंडिया में काम कर चुकीं कृतिका कपाड़िया ने वेबदुनिया से खास बातचीत की। कृतिका फिलहाल में लक्ज़मबर्ग में बतौर मैनेजर EY में कार्यरत हैं। 
 
बदला जीवन : कृतिका ने बताया कि मार्च के बीच तक लक्ज़मबर्ग में कोरोना (Corona) संक्रमण के केस बहुत कम थे। इसी दोरान यूरोप में इटली एवं अन्य स्थानों पर तेजी से फैलते संक्रमण के कारण पूरे यूरोप में अलर्ट जारी हुआ था। इसके चलते सभी बड़े आयोजन रद्द कर दिए। 12 मार्च को लक्ज़मबर्ग में स्कूलों को बंद करने, व्यापारिक संस्थानों एवं कंपनियों की गतिविधियों को घर से ही संचालित करने के लिए वर्क फ्रॉम होम का निर्णय लिया गया। 13 मार्च से लोगों ने जरूरत के सामान का संग्रहण करना आरंभ कर दिया।
 
इसी के साथ प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री एवं अन्य मंत्रियों ने नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए आवश्यक दिशानिर्देश जारी करते हुए 15 मार्च को सभी दुकानों, रेस्टोरेंट आदि को बंद रखने के आदेश जारी कर दिए। हालांकि लोगों को जरूरी सामग्री खरीदने, वॉक करने एवं लक्ज़मबर्ग के आधिकारिक स्लोगन 'स्टे एट होम' के लिए ही घर छोड़ने की अनुमति थी।
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कृतिका बताती हैं कि घर पर कार्य करने से बहुत से परिवर्तन आए। हमने घर पर कार्य करने के लिए एक डेस्क स्थापित की एवं एक अन्य स्क्रीन खरीदी। इसी के साथ ही हमें यह भी अहसास हो गया था कि हम एक निश्चित समय के लिए बाहर काम करने नहीं जा सकेंगे। ऑनलाइन मीटिंग एवं कार्य के लिए तकनीक ही एकमात्र सहारा था। इसके साथ ही अचानक से ही हाथों को नियमित रूप से सेनिटाइज करने एवं धोने की आदत का विकास करना भी शामिल था। इसकी जल्द ही हमें आदत हो गई। घर पर रहने के साथ ही एक नई वास्तविकता के साथ हमारे जीवन के प्लान भी परिवर्तित होने लगे।
 
गर्भावस्था में चुनौतियों का सामना : मैं 8 महीने से गर्भवती हूं। जिस समय स्टे एट होम आरंभ हुआ उस समय में 6 महीने की गर्भवती थी। हमने अपनी छुट्टियां भी कैंसिल कर दी। मेरी माताजी जो कि मेरे बच्चे के जन्म के समय मदद करने के लिए आने वाली थीं, उनकी यात्रा भी रद्द हो गई। साथ ही मैं यह नहीं जानती की मेरे बच्चे के जन्म के समय मेरे माता-पिता उपस्थित हो पाएंगे या नहीं। कोविड-19 के कारण चिकित्सकीय गतिविधियों में भी परिवर्तन हुए हैं। इसका प्रभाव मेरे डॉक्टर्स के साथ निर्धारित अपॉइंटमेंट पर भी पड़ा है। मेरे पति भी अब मेरे साथ डाक्टर्स से नहीं मिल पाते। 
 
रिस्टार्ट लक्ज़मबर्ग : मई को रिस्टार्ट लक्ज़मबर्ग की घोषणा हुई है। देश विभिन्न चरणों में खुल रहा है। एक्टिव केस 40 से भी कम रह गए हैं। इन्हें फिर से ट्रेस किया जा रहा है। इसका प्रभाव हमारे जीवन में भी बहुत आया है एवं हम इसमें एडजस्ट होने का प्रयास कर रहे हैं। मास्क पहनकर एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घर से बाहर की गतिविधियों में अधिक से अधिक भाग लेने का प्रयास कर रहे हैं। 
 
वर्तमान में मैं कंसल्टेंसिंग का कार्य कर रही हूं, जो कि कम्यूटर के जरिये ही पूरा हो जाता है। पिछले दो सप्ताह से मातृत्व अवकाश के कारण मैं घर से ही कार्य कर रही हूं। मेरे पति नियमों का पालन करते हुए हुए घर के बाहर जरूरी सामान खरीदने जाते हैं। घर पर सामान लाने के बाद मैं उसे साफ करती हूं। सब्जियों को प्रयोग में लेने से पहले गर्म पानी से साफ करते हैं। हम ऑनलाइन सामान भी खरीदते हैं। अब यहां दुकानें खुलने लगी हैं तो हम बाहर से भी सामान खरीदने जाते हैं।
 
इस दौरान सभी मीटिंग, इवेंट्‍स, कॉन्फ्रेंस आदि कैंसिल कर दिए गए हैं। सामाजिक बैठकों के आयोजन पर प्रतिबंध है। हम सभी मित्रों एवं परिजनों से जूम एप से जुड़े है। हालांकि रिस्टार्ट लक्ज़मबर्ग के साथ ही हमने लोगों से खुले आसमान के नीचे पार्कों एवं रात्रि के भोजन पर मिलना आरंभ कर दिया है।  
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मार्च के मध्य से मई के मध्य तक गतिविधियों में कमी आई थी। बहुत से लोग अभी भी घर से ही काम कर रहे हैं। उनकी गाड़ियां रोड पर ही हैं। सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कम ही किया जा रहा है। यहां अनुकूल मौसम के चलते लोगों का रुझान, वॉक, दौड़, साइकलिंग की ओर हुआ है। प्लेग्राउंड बंद हैं, लेकिन बच्चे रोड पर एवं घर से बाहर खेलने में रुचि ले रहे हैं। अब बहुत-सी गतिविधियां आरंभ हो गई हैं। 
 
आरंभ में सरकार ने यहां अस्पतालों को कोविड एवं नॉन-कोविड सेक्शन में विभाजित कर दिया था। इसके साथ ही 24 मेडिकल केयर हाउसेज को कोविड टेस्ट स्टेशन में तब्दील कर दिया गया है। 
 
मीडिया की भूमिका : यहां आरटीएल नियमित रूप से कोविड-19 से संबंधित जानकारी के लिए अपडेट करता है। राष्ट्रीय टीवी एवं रेडियो चैनल पर कोविड मुख्य विषय के रूप में छाया रहता है। सरकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस मुख्य रूप से सूचना प्रदान करने का कार्य कर रही है। टीवी एवं रेडियो पर पुनः स्कूल खोलने सहित अनेक विषयों पर डिबेट का प्रसारण किया जा रहा है। यहां लोग सरकार का समर्थन करते है एवं उनकी सोच भी वैज्ञानिक है।
 
सरकार का काम सराहनीय :  प्रधानमंत्री जेवियर बेटटेल एवं स्वास्थ्य मंत्री पॉलेट लेहनर्ट ने बहुत ही अच्छा कार्य किया है। सरकार ने यहां पर इस संकट की घड़ी में सही समय पर सही निर्णय लिए हैं। सरकार ने आरंभ में ही एक बहुत ही मजबूत सपोर्टिव पैकेज की घोषणा की है। साथ ही रिस्टार्ट लक्ज़मबर्ग के तहत एक नई स्ट्रेटजी भी सरकार की जनजीवन को पटरी पर लाने की है। सरकार स्वास्थ्य मानकों पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ कार्य कर रही है। 
 
इटली एवं स्पेन से सबक : यूरोप, इटली एवं स्पेन में संक्रमण पहले से ही बहुत फैल गया था। वे इसकी भयावहता को समझ नहीं पाए। परिणामस्वरूप वे वायरस की चपेट में आ गए। बाद में वायरस को रोकने के लिए उन्होंने सख्त कदम उठाए, जिसके परिणाम स्वरूप अब वहां स्थिति पहले से ठीक है। 
 
अधिकांश यूरोपीय देशों ने इन दोनों देशों को एक चेतावनी के रूप में देखा है एवं उन्होंने कोरोना संक्रमण से बचने के लिए समय रहते कदम उठाए एवं कामयाब भी रहे। ब्रिटेन को संक्रमण को रोकने में अधिक समय लगा। वहां इसके उपाय भी अन्य कई देशों की तुलना में कम किए गए। इसका प्रभाव वहां पर मौतों की संख्या में देखने को मिला।
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चीन की गंभीरता पर सवाल : कृतिका कपाड़िया कहती हैं कि मुझे लगता है कि चीन को दिसंबर में ही कोविड के आगमन की सूचना देने वाले डॉक्टर की रिपोर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए था। इसके चलते अन्य देश कोरोना संक्रमण के मामलों को संभालने में और बेहतर काम कर सकते थे। चीन ने बाद में इसे गंभीरता से लेते हुए इससे निपटने की कोशिश की। हालांकि अमेरिका ने कोविड-19 को कभी भी इतनी गंभीरता से नहीं लिया। इसका आकलन हम वहां पर मौतों की संख्‍या से कर सकते हैं। 
 
लक्ज़मबर्ग में यूं तो लोग सरकारी निर्देशों का पालन कर रहे हैं। हालांकि कुछ लोग लापरवाही भी करते हैं। पुलिस उनकी निगरानी रख रही है एवं जुर्माना भी वसूल रही है। पिछले डेढ़ महीने में कोरोना संक्रमण के मामले काफी कम हुए हैं। 
 
अपराध घटे : लॉकडाउन के दौरान अपराध दर में कमी आई है। हालांकि स्थायी प्रभाव के बारे में अभी कुछ नहीं कह सकते हैं। वर्क फ्राम होम कल्चर से साइबर अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। हमारे घर के पास भी किसी ने रिसाइकिलिंग डिब्बे में आग लगाने की घटना के संबंध में जानकारी दी। पुलिस ने उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया।
 
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव : अन्य देशों की तरह यहां भी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। विशेषकर रेस्टोरेंट व्यवसाय जिसे बिना किसी आय के दो महीने तक संकट से गुजरना पड़ा। सरकार ने इसके लिए कारगर कदम उठाए एवं कंपनियां एवं लोग आंशिक बेरोजगारी के लिए आवेदन कर सकते हैं।

दूसरी योजना के तहत श्रमिकों का वेतन 80 प्रतिशत भुगतान बेरोजगारी बीमा के द्वारा किया जाता है। इससे आर्थिक संकट में कमी तो आई है, लेकिन कई व्यवसायों के लिए किराए जैसी निश्चित लागत भी है। बेरोजगारी की दर बढ़ी है। फरवरी में बेरोजगारी 5.5 प्रतिशत एवं अप्रेल में 6.9 प्रतिशत रही। बावजूद इसके सरकारी उपाय सराहनीय हैं। हम अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव अभी भी देख सकते हैं। 
 
लक्ज़मबर्ग की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ता से सेवाओं पर आधारित है। इसमें भी खासकर वित्त उद्योग में। यहां घर पर कार्यालय से ही ज्यादा काम होने के कारण अर्थव्यवस्था पर इतना प्रभाव नहीं है। जहां उद्योग बंद हो गए हैं, वहां अर्थव्यवस्था पर अधिक प्रभाव पड़ा है।

कोविड का प्रभाव अभी ओर लंबे समय तक अर्थव्यवस्था एवं उद्योग पर रहने की संभावना है। इस संकट में कई कंपनियों ने विज्ञापन देना बंद कर दिया है। कुछ सुपर मार्केट में पदोन्नति पर रोक लगा दी गई है। लक्ज़मबर्ग एक छोटा देश है। इस कारण से यहां पर पर्यटन पर भी प्रभाव पड़ा है। सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एवं मदद करने के लिए स्थानीय होटल में खर्च करने के लिए प्रत्येक नागरिक को 50 यूरो का वाउचर जारी करने का फैसला किया है।
सार्वजनिक स्थानों पर लौट रही है रौनक : जब संक्रमण अधिक था तो सार्वजनिक स्थान बहुत खाली थे। अब चीजें सामान्य होती नजर आ रही हैं। पार्क फिर से भर रहे हैं, लेकिन लोग दूरी बनाए हुए हैं। दुनिया भर के अन्य शहरों के मुकाबले लक्ज़मबर्ग शहर को गतिशीलता के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार का अवसर नहीं मिल पाया है। उदाहरण के लिए पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों को पूरे शहर में प्राथमिकता देते हुए गति सीमा 20 किलोमीटर प्रति घंटा है। गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए एवं सार्वजनिक परिवहन की भीड़ से बचने के लिए कई पॉपअप साइकिल लैन्स भी हैं। 
 
अंत में मुझे लगता है कि जिस तरह से प्रत्येक देश कोविड से निपटेगा तो यह उस देश की विशिष्टताओं, सीमाओं और उसके अर्थशास्त्र और समाज पर भी निर्भर रहेगा। इसके लिए स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को संतुलित बनाए रखना भी आवश्यक है। 

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