भोपाल। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से पहले अधिक से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन करने के लिए अब मध्यप्रदेश सरकार वैक्सीन का ग्लोबल टेंडर निकालने जा रही है। आज शिवराज कैबिनेट की हुई बैठक में वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर निकालने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि वैक्सीन की आवश्यकता और डिमांड को देखते हुए वैक्सीन का ग्लोबल टेंडर किया जाएगा। वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर निकालने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए है। अभी प्रदेश में कोवैक्सीन और कोविशील्ड के जरिए लोगों का टीकाकरण हो रहा है। वैक्सीन की डिमांड की अपेक्षा सप्लाई कम होने से लोगों को वैक्सीनेशन के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है।
मध्यप्रदेश में 18 से 44 साल आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए राज्य सरकार कोविशील्ड और कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनियों से वैक्सीन ले रही है लेकिन दोनों ही कंपनियां डिमांड के अनुरूप वैक्सीन की सप्लाई नहीं दे पा रही है। ऐसे में लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार अब वैक्सीन आयात करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकालने जा रही है।
क्या है वैक्सीन का ग्लोबल टेंडर?- कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सबसे अहम हथियार वैक्सीन की कमी को पूरा करने के लिए राज्य सरकार कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से टेंडर बुलवाती है। ग्लोबल टेंडर में कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली विदेशी कंपनियां शामिल होगी और वह राज्यों को अपनी वैक्सीन की कीमत बताने के साथ वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में जानकारी देगी। राज्य को जिस वैक्सीन निर्माता कंपनी के साथ मुनाफे का सौदा लगेगा उसको वैक्सीन का टेंडर मिलेगा। ग्लोबल टेंडर के लिए राज्य वैश्विक स्तर पर कंपनियों से निविदा आमंत्रित करते है।
ग्लोबल टेंडर में सिर्फ उन्हीं कंपनियों को चयन किया जा सकता है जिनकी वैक्सीन को या भारत में मंजूरी मिल गई हो या अगले कुछ दिनों में मिलने के आसार हो। राज्यों के वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर जारी करने को लेकर नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल पहले ही कह चुके है कि कोई भी वैक्सीन जिसे FDA या WHO ने अप्रूव किया हो, उसे भारत आने की अनुमति होगी।