विशेषज्ञों का मानना है कि अगस्त-सितंबर के बीच तीसरी लहर आ सकती है। ऐसे में बच्चों पर खतरे का अंदेशा है। लेकिन इससे पहले, कोरोना से ठीक हो चुके बच्चों में एक नई बीमारी दिख रही है। ये उन बच्चों को हो रही है जिनमें कोरोना के माइल्ड सिम्प्टम्स थे।
इस बीमारी का नाम मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को कहा है कि वो MIS-C के मामलों पर नजर रखें। इससे निपटने के लिए इंतजाम करें। मई के आखिरी दो हफ्तों में इस बीमारी के मामले सामने आने शुरू हुए थे।
क्या है MIS-C?
MIS-C एक तरह की पोस्ट कोविड बीमारी है। ये सिर्फ 19 साल से कम के किशोरों और बच्चों में होती है। इस बीमारी से जुड़े कॉम्प्लिकेशंस कोरोना होने के 2 से 6 हफ्ते बाद सामने आते हैं। इससे पीड़ित बच्चे को बुखार के साथ शरीर के अलग-अलग हिस्सों में सूजन की शिकायत होती है।
इसके साथ ही फेफड़े, किडनी, दिल, आंतों, ब्लड के सिस्टम, त्वचा, आंख और मस्तिष्क में भी सूजन हो सकती है।
आमतौर पर MIS-C के मरीज को दो या दो से ज्यादा अंगों में सूजन की शिकायत होती है। देश में आए ज्यादातर मामलों में बच्चों को बुखार के साथ आंख लाल होने और उसमें सूजन की शिकायत रही है।
इसे लेकर भारत में इस तरह का कोई एकत्र डेटा नहीं है। हालांकि अलग-अलग राज्यों में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। विशाखापट्टनम, एर्नाकुलम समेत देश के कई और शहरों में इस तरह के केस आए हैं। वहीं, दुनियाभर में हुई स्टडीज बताती हैं कि इस पोस्ट कोविड इन्फेक्शन से 0.15 से 0.2% बच्चे प्रभावित हुए हैं। यानी कोरोना संक्रमित 1000 में एक या दो बच्चों में ये बीमारी होती है। वैसे ज्यादातर बच्चों में कोरोना के गंभीर लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन ये बीमारी एसिम्प्टोमेटिक और माइल्ड लक्षण वाले बच्चों को भी हो सकती है।