लंदन। यूरोप के करीब 15 से ज्यादा देशों में मंकीपॉक्स के 100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। मामले सामने आने के बाद लोगों में यह डर सता रहा है कि क्या मंकीपॉक्स भी कोरोना की तरह महामारी का रूप तो नहीं ले लेगा। इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का बयान बयान सामने आया है।
मंकीपॉक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की शीर्ष विशेषज्ञ ने कहा है कि उन्हें नहीं लगता यह बीमारी एक महामारी का रूप लेगी, लेकिन इसके बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है।
उन्होंने कहा कि एक सवाल यह है कि यह बीमारी वास्तव में किस तरह फैलती है और क्या दशकों पहले चेचक टीकाकरण पर रोक लगाए जाने के कारण किसी तरह इसका प्रसार तेज हो सकता है।
डब्ल्यूएचओ की डॉक्टर रोजमंड लुईस ने सोमवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि विश्व स्तर पर दर्जनों देशों में अधिकतर समलैंगिक, उभयलिंगी या पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष मंकीपॉक्स के शिकार हुए हैं ताकि वैज्ञानिक इसके बारे में और अध्ययन कर सकें और जो लोग इसका शिकार हो सकते हैं, उन्हें ऐहतियात बरतने की सलाह दे सकें।
उन्होंने कहा कि कोई भी इस बीमारी की चपेट में आ सकता है, भले ही उसकी लैंगिक पहचान कुछ भी हो। उन्होंने कहा कि इस बात की आशंका नहीं है कि यह बीमारी महामारी का रूप ले लेगी।
मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है।