नई दिल्ली। वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रिटेन में सबसे पहले पता चले तेजी से बढ़ रहे कोरोनावायरस के नए स्वरूप (स्ट्रेन) से फिलहाल टीकों के कम प्रभावी होने की संभावना नहीं है। लेकिन यदि समय के साथ और उत्परिवर्तन होते हैं तो टीकों में उचित बदलाव करने होंगे। ब्रिटेन में 21 सितंबर को नए वायरस स्ट्रेन वीयूआई-202012/0 का पता चला था।
भारत समेत 40 से अधिक देशों ने ब्रिटेन से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के परिचालन पर रोक लगा दी है और नए वायरस के तेजी से फैलने के मद्देनजर अनेक वैज्ञानिकों ने इसे जरूरी कदम कहा है। लंदन स्थित अनुसंधान संस्थान वेलकम ट्रस्ट यूके के निदेशक जेरेमी फर्रार के अनुसार इस समय ऐसा कोई संकेत नहीं है कि नए स्ट्रेन पर उपचार और टीकों का असर नहीं होगा।
उन्होंने एक बयान में कहा कि हालांकि उत्परिवर्तन वायरस की अनुकूलन की शक्ति की ओर इशारा करता है और भविष्य में इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता। संक्रमण कम करने के लिए तत्काल सक्रियता महत्वपूर्ण है। यूरोपीय रोग रोकथाम और नियंत्रण केंद्र (ईसीडीसी) ने रविवार को घोषणा की कि ब्रिटेन में सार्स-सीओवी-2 के एक प्रकार के तेजी से बढ़ने का पता चला है।
शिव नादर यूनिवर्सिटी में लाइफ साइंसेस विभाग के प्रमुख प्रोफेसर दीपक सहगल ने कहा कि वायरस के नए प्रकार के स्पाइक प्रोटीन में 13 उत्परिवर्तन होने का चला है जिसमें से एन501वाई उत्परिवर्तन वायरस के पहले के प्रकारों की तुलना में इसके 70 प्रतिशत तेजी से फैलने के लिए जिम्मेदार हैं। हालांकि टीके, स्पाइक प्रोटीन में कई क्षेत्रों के विरुद्ध एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं इसलिए एक ही बदलाव से टीके के कम प्रभावी होने की संभावना नहीं लगती। (भाषा)