टोकियो। कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन स्वरूप का उप स्वरूप बीए.2 न केवल तेजी से फैलता है बल्कि यह गंभीर बीमारी का कारण भी बनता है। प्रयोगशाला में किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन के परिणाम की अभी स्वतंत्र रूप से समीक्षा नहीं की गई है। इसे अभी 'बायोआरएक्सिव' पर प्रकाशित किया गया है। इसमें कहा गया है कि बीए.2 कोरोनावायरस के पुराने स्वरूप की तुलना में गंभीर बीमारी का कारक बन सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गुरुवार को कहा कि बीए.2, बीए.1 की तुलना में अधिक संक्रामक है, लेकिन उप स्वरूप अधिक गंभीर नहीं है। डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 टेक्निकल लीड मारिया वान केरखोवा ने एक वीडियो में कहा कि सभी उपस्वरूपों में बीए.2, बीए.1 की तुलना में अधिक संक्रामक है। हालांकि गंभीरता के मामले में कोई अंतर नहीं है।
नवीनतम अध्ययन में टोकियो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक जापानी टीम ने पाया कि बीए.1, बीए.2 के समान ओमिक्रॉन का उप स्वरूप काफी हद तक कोविड-19 रोधी टीकों से तैयार प्रतिरक्षा से बच जाता है। अध्ययन के लेखकों ने कहा कि प्रयोगों से पता चला है कि टीके से तैयार प्रतिरक्षा बीए.2 की तरह बीए.1 के खिलाफ काम करने में नाकाम रहती है।
ओमिक्रॉन के आरंभिक मामले पहली बार नवंबर 2021 में बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका से आए थे। इसका बीए.1 उप स्वरूप तब से दुनियाभर में तेजी से फैल चुका है और डेल्टा जैसे अन्य स्वरूपों पर हावी हो गया है। इस साल फरवरी तक डेनमार्क और ब्रिटेन जैसे कई देशों में ओमिक्रॉन के एक अन्य उप स्वरूप बीए.2 वंश का पता लगाया गया। शोधकर्ताओं ने कहा है कि बीए.2 ने बीए.1 को पीछे छोड़ना शुरू कर दिया है। इससे पता चलता है कि यह मूल ओमिक्रॉन स्वरूप की तुलना में अधिक संक्रामक है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि बीए.2 को ओमिक्रॉन स्वरूप के रूप में माना जाता है, लेकिन इसका जीनोमिक अनुक्रम बीए.1 से काफी अलग है, जो बताता है कि बीए.2 की विशेषताएं बीए.1 से अलग हैं। शोधकर्ताओं ने चूहों पर इसका अध्ययन किया। अध्ययन के दौरान इन जीवों को बीए.2 और बीए.1 से संक्रमित किया गया तो देखा गया कि बीए.2 से संक्रमित जानवर बीमार हो गए और उनके फेफड़े खराब हो गए। उन्होंने कहा कि ऊतकों के नमूनों में बीए.2-संक्रमित चूहों के फेफड़ों को बीए.1 से संक्रमितों की तुलना में अधिक नुकसान हुआ।