पूरी दुनिया में कोविड का कहर अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। वहीं दूसरी और लासा वायरस ने दुनिया में लोगों की चिंता बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि यह बुखार प्रमुख रूप से पश्चिमी अफ्रीकी देशों के यात्रियों से जुड़ा हुआ है। हालांकि इससे मृत्यु दर सिर्फ एक प्रतिशत है लेकिन यह बुखार कुछ लोगों में गंभीर रूप ले रहा है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह ट्राइमेस्टर में हैं। चिंता की बात यह है कि इस बुखार से अभी तक तीन लोगों की जान जा चुकी है।
जानें क्या है लासा फीवर?
विशेषज्ञों के मुताबिक लासा बुखार चूहों से फैलने वाली बीमारी है। यह मुख्य रूप से पश्चिम अफ्रीका के चूहों में पाई जाती है। ये वायरस से होने वाला बुखार है। सबसे पहला मामाला लासा में 1969 में आया था। दरअसल, नाइजीरिया में लासा नाम की एक जगह है वहीं से वायरस निकला है इसलिए इसका नाम लासा वायरस रखा गया। सबसे पहले इस बीमारी से 2 नर्सों की मौत हुई थी।
इन देशों में फैल गई थी यह बीमारी
यह बीमारी बेनिन, घाना, टोगो, सिएरा, लियोन, लाइबेरिया, और गिनी जैसे देशों में फैल गई थी। हालांकि अब यह बीमारी उन क्षेत्रों में खत्म सी हो चुकी है। फिलहाल यह एंडेमिक स्टेज में पहुंच गई है। मतलब उस क्षेत्र के लोग इसी के साथ जीना सीख गए है, उस क्षेत्र में यह बुखार अब सामान्य हो गया है।
जानें कितना खतरनाक है लासा फीवर?
CDC के मुताबिक इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं है। रोगियों को बहुत दुर्लभ केस में अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है। क्योंकि सही इलाज वक्त पर मिलने पर ठीक होने की आशंका ज्यादा है। देरी होने पर मौत की संभावना बढ़ जाती है। वहीं गर्भवती महिलाओं को अधिक खतरा है। उन्हें अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
WHO के मुताबिक, लासा फीवर से होने वाली मृत्यु दर सिर्फ 1 फीसदी से भी कम है। लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है। जानकारी के मुताबिक 80 फीसदी लक्षण सामने नहीं आते हैं वायरस को डिटेक्ट करना आसान नहीं है। सही वक्त पर इलाज नहीं मिलने से यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। अस्पताल में इस बीमारी से करीब 15 फीसदी तक मरीजों की मौत का खतरा कम हो सकता है। फिलहाल भारत में इसका एक भी मामला सामने नहीं आया है। हालांकि इसे चिंता का विषय बताया जा रहा है।
कैसे फैलती है यह बीमारी
यह बीमारी तब फैलती है जब उसके मल या मूत्र से दूषित भोजन खा लें। साथ ही घर में संक्रमित चूहे के संपर्क में आने वाले इंसानों में यह बीमारी हो सकती है। अगर आप संक्रमित व्यक्ति की आंख, नाक या मुंह से निकलने वाले तरल पदार्थ के संपर्क में आते हैं तो आपको बुखार हो सकता है। हालांकि इसका अभी कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
लासा बुखार के लक्षण
-1 से 3 सप्ताह में दिखाई देते हैं
- हल्का बुखार, थकान, कमजोरी, सिरदर्द होना।
- सांस लेने में परेशानी होना।
- चेहरे पर सूजन आना।
- पेट और पीठ में दर्द होना।
- उल्टी होना।
CDC के मुताबिक इस बुखार का सबसे गंभीर लक्षण है बहरापन। एक तिहाई संक्रमित लोग इससे संक्रमित होने के बाद बहरेपन का शिकार हो जाते हैं। तो कई लोग हमेशा के लिए बहरे हो जाते हैं।
लासा फीवर का इलाज -
इस फीवर पर समय पर इलाज होने पर ठीक हो सकते हैं। इस बीमारी के लिए रिबवायरिन नामक एंटीवायरल ड्रग का इस्तेमाल किया जाता है। इस बीमारी से बचाव के लिए चूहों के संपर्क में नहीं आए। साथ ही घर में चूहों की रोकथाम के उपाय करें।