काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा है कि भारत से आने वाला कोरोना वायरस कोरोना वायरस (Corona virus) कोविड-19 संक्रमण चीन और इटली से आने वाले संक्रमण से अधिक घातक है। उन्होंने साथ ही देश में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के लिए भारत से अवैध तरीके से प्रवेश करने वालों को जिम्मेदार ठहराया। नेपाल में कोरोना वायरस के मामले बुधवार को बढ़कर 427 हो गए।
ओली ने मंगलवार को कोविड-19 महामारी के बारे में संसद में कहा कि बाहर से लोगों के आने के चलते नेपाल के लिए इस वायरस का संक्रमण रोकना बहुत मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा, कोरोना वायरस के कई मरीज नेपाल में प्रवेश कर गए हैं। यह वायरस बाहर से आया, हमारे यहां यह नहीं था। हम सीमापार से लोगों की घुसपैठ नहीं रोक पाए।
उन्होंने कहा कि देश के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती कोरोना वायरस के बढ़ते मामले हैं। उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी के लिए देशव्यापी लॉकडाउन तोड़ने वाले व्यक्तियों और विशेष तौर पर उन लोगों को जिम्मेदार ठहराया, जो भारत से नेपाल में प्रवेश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, भारत से आने वाला कोरोना वायरस संक्रमण चीन और इटली से अधिक घातक है। काठमांडू पोस्ट ने ओली के हवाले से कहा, भारत से जो अवैध तरीके से आ रहे हैं वे देश में इस वायरस को फैला रहे हैं। कुछ स्थानीय प्रतिनिधि और पार्टी नेता भारत से लोगों को बिना उचित जांच के लाने के लिए जिम्मेदार हैं।
ओली की यह टिप्पणी भारत द्वारा लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचुला से जोड़ने वाली एक प्रमुख सड़क के निर्माण के बाद नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद होने के बीच आई है। उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार वायरस के प्रसार को रोकने के लिए बहुत समय पहले से ही एहतियाती कदम उठा रही है। उन्होंने कहा, देश को कोरोना वायरस से मुक्त करना सरकार की मुख्य प्राथमिकता है।
देश में लॉकडाउन के बीच लोगों की सीमापार आवाजाही रोकने के लिए नेपाल-भारत सीमा पर स्थित सभी प्रमुख प्रवेश बिंदुओं पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के बावजूद विभिन्न सीमा बिंदुओं से रोजाना सैकड़ों लोगों के देश में प्रवेश करने की खबरें हैं।
नेपाल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में कोरोना वायरस के 25 नए मामले सामने आने के साथ ही बुधवार को कुल मामले बढ़कर 427 हो गए। देश में अभी तक इससे दो व्यक्तियों की मौत हुई है। नेपाल के प्रधानमंत्री ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा नेपाल के हैं।
उन्होंने इन क्षेत्रों को भारत से राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों से वापस लेने की प्रतिबद्धता जताई थी। वहीं उनकी अध्यक्षता में उनके मंत्रिमंडल ने एक नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूर किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल के क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया है।
नेपाल के प्रधानमंत्री ने संसद में कहा कि ये क्षेत्र नेपाल के हैं, लेकिन भारत ने वहां अपनी सेना रखकर उन्हें एक विवादित क्षेत्र बना दिया है। उन्होंने कहा, भारत द्वारा सेना तैनात करने के बाद नेपालियों को वहां जाने से रोक दिया गया।
लिपुलेख दर्रा नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा, कालापानी के पास एक दूरस्थ पश्चिमी स्थान है। भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपनी सीमा का अभिन्न हिस्सा बताते हैं। भारत उसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा बताता है और नेपाल इसे धारचुला जिले का हिस्सा बताता है।(भाषा)