नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को दक्षिण एशियाई और हिंद महासागर के द्वीपीय देशों के बीच सहयोग को और मजबूत बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 महामारी के दौरान दिखाई गई क्षेत्रीय एकजुटता ने साबित किया है कि ऐसा सहयोग संभव है।
कोविड-19 प्रबंधन : अनुभव, अच्छी कार्यप्रणाली और भावी राह पर विस्तारित पड़ोसियों सहित 10 पड़ोसी देशों के साथ आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सहयोग की भावना इस महामारी की महत्वपूर्ण सीख है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि 21वीं शताब्दी को एशिया की शताब्दी बनाना है तो यह दक्षिण एशियाई देशों और हिंद महासागर के द्वीपीय देशों के बीच व्यापक सहयोग के बगैर नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान दिखाई गई क्षेत्रीय एकजुटता ने साबित किया है कि ऐसा सहयोग संभव है।
मोदी ने कहा कि खुलेपन और दृढ़ता की वजह से यह क्षेत्र पूरे विश्व में सबसे कम मृत्यु दर बनाए रखने में सफल हुआ। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र के जनसंख्या घनत्व को देखते हुए महामारी को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं जताई थीं, लेकिन इसके बावजूद विश्व के अन्य देशों के मुकाबले इस क्षेत्र में मृत्यु दर सबसे कम रही।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व और पूरे क्षेत्र की उम्मीदें अब टीकों की तेज गति से उपलब्धता पर टिकी हुई हैं और सभी को इस सहयोगात्मक भावना को बरकरार रखना चाहिए। स्वास्थ्य के क्षेत्र में इन देशों के बीच सहयोग की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि अब लक्ष्यों को और आगे बढ़ाने की जरूरत है। सहयोग की भावना को आगे बढ़ाने के सिलसिले में उन्होंने कई अहम सुझाव भी दिए।
उन्होंने स्वास्थ्यकालीन आपातकाल की स्थिति में चिकित्सकों और नर्सों के आवागमन के लिए विशेष वीजा योजना बनाए जाने, कोविड-19 के टीकों के प्रभाव को लेकर एक क्षेत्रीय मंच बनाने और अन्य देशों द्वारा भारत में चलाई जा रही आयुष्मान भारत और जन औषधि योजनाओं को केस स्टडी के रूप में आगे बढ़ाने का सुझाव दिया।(भाषा)