नई दिल्ली। महाराष्ट्र के नंदुरबार में रेलवे द्वारा तैनात किए गए पृथकवास कोचों के ऊपर जूट के बोरे डाले गए हैं और पानी की ड्रिपिंग प्रणाली लगायी गई है ताकि उनके भीतर के तापमान को कम करके उन्हें कोविड-19 मरीजों के इस्तेमाल के योग्य बनाया जा सके।
पृथकवास कोचों को पिछले साल केवल कुछ राज्यों में कोविड-19 देखभाल केंद्रों के रूप में तैनात किया गया था। अब महाराष्ट्र के इस जिले में इन्हें फिर से उपयोग के लिए रखा जा रहा है क्योंकि ये कोच भीतर में अधिक तापमान होने के कारण महीनों तक निष्क्रिय रहे थे।
एक अधिकारी ने कहा कि नंदुरबार में पृथकवास कोचों का तापमान कम करने के लिए उन्हें कई स्तर के जूट के बोरों से ढंका गया है, इसमें पानी ड्रिपिंग प्रणाली का इस्तेमाल किया गया है। यह देखा गया है कि इसकी वजह से कोच के भीतर का तापमान 8 से 10 डिग्री तक कम हो सकता है, इससे जिला अधिकारी कोचों का उपयोग करने के लिए सहमत हो गए हैं।
अधिकारी ने कहा कि रेक को 11 अप्रैल को खड़ा किया गया था और नंदुरबार रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर कुल 21 कोच लगाए गए हैं। इसमें से 8 कोच मरीजों के लिए तैयार कर दिए गए हैं। अधिकारी ने कहा कि नंदुरबार जिला प्रशासन ने 94 कोचों की आवश्यकता बताई है और अब तक छह कोविड-19 रोगियों को उनमें भर्ती किया गया है।
अधिकारी ने कहा कि अभी तक किसी अन्य राज्य ने कोचों की मांग नहीं की है। रेलवे ने कहा कि वर्तमान में, 4,002 परिवर्तित कोच रेलवे के 16 ज़ोन में उपलब्ध हैं और अनुरोध पर राज्य सरकारों को उपलब्ध कराए जा सकते हैं। उसने कहा कि प्रत्येक कोविड-19 देखभाल रैक में 20 कोच हैं जिसमें परिवर्तित स्लीपर और जनरल कोच शामिल हैं और इनमें से प्रत्येक कोच में 16 मरीजों को भर्ती किया जा सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार कोचों की जिम्मेदारी रेलवे और राज्य सरकार द्वारा साझा की जाएगी। रेलवे ने कहा कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) स्टेशन परिसर और प्लेटफार्म क्षेत्र में सुरक्षा प्रदान करेगा, जहां कोच खड़े किए गए हैं। उसने कहा कि जिला प्रशासन ऑक्सीजन सिलेंडर, अपशिष्ट के निस्तारण, खानपान, डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ, एम्बुलेंस और समग्र पर्यवेक्षण के लिए जिम्मेदार होगा। दिशा-निर्देशों के अनुसार रेलवे के इन कोचों का उपयोग बहुत हल्के मामलों के लिए किया जा सकता है। (भाषा)