नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) द्वारा वयस्कों और किशोरों में कोवैक्सीन (covaxine) के दीर्घकालिक प्रभावों पर अध्ययन की भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने समीक्षा की और पाया कि इसमें गंभीर पद्धतिगत खामियां हैं।
जाधव ने उच्च सदन में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि अध्ययन में टीकाकरण और टीकाकरण नहीं किए गए समूहों के बीच घटनाओं की दरों की तुलना करने के लिए टीकाकरण न किए गए व्यक्तियों की कोई कंट्रोल शाखा नही थी। इसलिए, अध्ययन में रिपोर्ट की गई घटनाओं को कोविड-19 टीकाकरण से जोड़ा या जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
'किशोरों और वयस्कों में बीबीवी152 कोरोना वायरस वैक्सीन का दीर्घकालिक सुरक्षा विश्लेषण: उत्तर भारत में एक वर्षीय भावी अध्ययन से निष्कर्ष' शीर्षक वाला अध्ययन मई में स्प्रिंगर नेचर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
आईसीएमआर द्वारा उजागर की गई 'गंभीर पद्धतिगत खामियों' का विस्तार से जिक्र करते हुए, जाधव ने कहा कि अध्ययन ने आबादी में देखी गई घटनाओं की पृष्ठभूमि दर प्रदान नहीं की है जिससे टीकाकरण के बाद की अवधि में देखी गई घटनाओं की दरों में बदलाव का आकलन करना असंभव हो गया है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अध्ययन प्रतिभागियों के बारे में कोई आधारभूत जानकारी प्रदान नहीं की गई थी। (भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta