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कोरोना की तीसरी लहर की आहट के बीच कोवीशील्ड वैक्सीन की किल्लत, इंदौर, भोपाल में बूस्टर डोज नहीं

मध्यप्रदेश में सरकारी सेंटरों पर मुफ्त में लग रहे कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज,सरकारी अस्पतालों मेंं नहीं उपलब्ध है कोविशील्ड के डोज

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विकास सिंह

, गुरुवार, 29 दिसंबर 2022 (15:46 IST)
भोपाल। चीन के बाद अब जापान में कोरोना के बढ़े केसों ने दुनिया के कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जनवरी के मध्य में भारत में कोरोना के मामले बढ़ने की आंशका जताई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना के पिछले ट्रेंड्स के एनलिसिस के बाद अगले 40 दिन भारत में मुश्किल वाले हो सकते है। ऐसे में देश में कोरोना की नई लहर की आंशका भी जताई जा रही है। कोरोना की नई लहर की आहट के बीच सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा भी की जा रही है।

कोरोना की तीसरी लहर की आंशका के बीच सरकार ने लोगों से बूस्टर डोज लगवाने की अपील की है। इसकी बड़ी वजह देश में लगभग 75 फीसदी लोगों का बूस्टर डोज नहीं लगवाना है। चीन में कोरोना विस्फोट के बाद सरकार भले ही लोगों से वैक्सीन के बूस्टर डोज लगवाने की अपील कर रही हो लेकिन देश के कई राज्य वैक्सीन की कमी से जूझ रहे है। वहीं चीन में कोरोना की दहशत के बाद अचानक से वैक्सीन के प्रिकॉशन डोज की डिमांड बढ़ गई है। पिछले 10 दिन में वैक्सीन की डिमांड में तीन गुना का इजाफा देखा गया तो मध्प्रदेश में सहित देश के कई राज्यों में कोविशील्ड वैक्सीन नहीं होने से लोगों को मायूसी हाथ लग रही है।

मध्यप्रदेश में कोविशील्ड वैक्सीन का संकट-मध्यप्रदेश जैसे राज्य जहां जनवरी और फरवरी में कई बड़े आयोजन होने जा रहे है औऱ बड़ी संख्या में दुनिया के कई देशों से लोग पहुंचने वाले है, वहां पर स्वास्थ्य विभाग वैक्सीनेशन के मोर्चे पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।

मध्यप्रदेश में जहां एक ओर कोरोना वैक्सीन का प्रिकॉशन डोज लेने वालों की संख्या 25 फीसदी से भी कम है, वहां कोविशील्ड वैक्सीन की अनुपलब्धता के चलते बूस्टर लगवाने के लिए सेंटर पर पहुंच रहे लोगों बैंरग वापस लौट रहे है। इस बड़ा कारण यह है कि प्रदेश में वैक्सीनेशन के लिए पात्र 80 फीसदी लोगों ने कोविशील्ड का पहला और दूसरा डोज लगवाया था,ऐसे में अब प्रिकॉशन डोज के लिए सबसे ज्यादा मांग कोविशील्ड वैक्सीन की है।

अगर राजधानी भोपाल की बात करें तो कोविन एप पर राजधानी के केवल चिरायु अस्पताल में कोविशील्ड वैक्सीन के डोज उपलब्ध होने की जानकारी उपबल्ध है, जबकि सरकार सेंटरों पर जहां बूस्टर मुफ्त में लग रहे है वहां पर कोविशील्ड का प्रिकॉशन डोज उपलब्ध नहीं है।

वहीं कोरोना की पहली दो लहरों में हॉटस्पॉट बने इंदौर जहां जनवरी में प्रवासी भारतीय दिवस और इन्वेस्टर्स समिट जैसे बड़े कार्यक्रम होने है वहां पर भी कोविशील्ड वैक्सीन का स्टॉक नहीं है। इंदौर में वैक्सीनेशन के लिए पात्र लोगों की संख्या लगभग 30 लाख है जिसमें से 25 लाख लोग ऐसे है जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की प्रिकॉशन डोज नहीं ली है। कोरोना की तीसरी लहर की आंशका में लोग वैक्सीनेशन सेंटर पहुंच है लेकिन कोविशील्ड के डोज नहीं होने से उन्हें निराश होना पड़ रहा है। जिले में कोविशील्ड के पंद्रह डोज की मांग की गई है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार?-मध्यप्रदेश में बूस्टर डोज की कमी पर मध्यप्रदेश के राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. संतोष शुक्ला कहते हैं कि मध्यप्रदेश में सभी सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर पर बूस्टर डोज मुफ्त में लगाए जा रहे है। प्रदेश को जल्द ही कोविशील्ड वैक्सीन के 5 लाख डोज मिलने जा रहे है। लोगों को खुद से प्रिकॉशन डोज लगवाने के लिए आगे आना चाहिए।

अगर मध्यप्रदेश में कोरोना के बूस्टर डोज की बात करें तो वैक्सीनेशन के पात्र 25 फीसदी से लोगों ने प्रिकॉशन डोज ली है। मध्यप्रदेश में वैक्सीनेशन की पहली डोज जहां छह करोड़ 07 लाख से अधिक लोगों ने ली थी। वहीं कोरोना वैक्सीन का प्रिकॉशन डोज लेने वालों की कुल संख्या एक करोड़ 36 लाख ही है। चीन में कोरोना विस्फोट के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोगों से बूस्टर डोज लगवाने की अपील की है।

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