कहते हैं कि इतिहास अपने आप को दोहराता है,लेकिन शायद ही कभी भी किसी ने इतिहास इस तरह अपने आप को दोहराते हुए नहीं देखा होगा। दिल्ली से लेकर मुंबई तक,राजस्थान से लेकर मध्यप्रदेश तक प्रवासी मजदूरों के पलायन की जो तस्वीरें समाने आ रही है उसको देखकर यही कहा जा सकता है कि एक बार फिर इतिहास अपने को दोहरा रहा है। कोरोना के बढ़ते हुए मामलों के बाद राज्य सरकारों के लॉकडाउन और सख्त फैसलों के बाद प्रवासी मजदूरों का पलायन एक बार फिर शुरु हो गया है।
दिल्ली में सोमवार रात से लगाए गए लॉकडाउन के बाद हजारों की संख्या में प्रवासी अपने घरों की लौटते हुए दिखाई दे रहे है। दिल्ली के आनंद विहार बस स्टेशन पर प्रवासी लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है। घर लौटने की ठीक वैसी ही जद्दोजहद दिखाई दे रही है जैसे एक साल पहले दिखाई दे रही है। तमाम शंका और अंशाकाओं को दरकिनार कर प्रवासी यात्री अपनी जान को भी जोखिम में डालने से नहीं चूक रहे है।
लॉकडाउन लगने के बाद दिल्ली से मध्यप्रदेश के प्रवासी लोगों को लेकर लौट रही ओवरलोड बस ग्वालियर के जौरसी घाट पर अंसतुलित होकर पलट गई। हादसे में 3 प्रवासियों की मौत हो गई है वहीं कई घायल है। बताया जा रहा है कि बस में टीकमगढ़ और छतरपुर के आसपास के लोग बड़ी संख्या में सवार थे। घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक 60 सीटर बस में 100 से ज्यादा लोग सवार थे।
लॉकडाउन की दहशत और पलायन की पुरानी पीड़ा का याद कर सिहर जाने वाले प्रवासी मजदूर इस कदर बैचेन है कि वह जान-अनजाने अनहोनी को अंमत्रित कर रहे है। प्रवासी मजूदरों के पलायन की तस्वीरें हर ओर से आ रही है। मजूदरों के पलायन से फिर से लौटता हुआ वक्त वापस आता दिखाई दे रहा है। पिछले साल जब देश के सड़कों पर प्रवासी मजदूरों को कुछ इसी तरह पलायन का 'लांग मार्च' शुरु हुआ तो सड़क पर इसी तरह मजूदर मरते हुए दिखाई दिए थे।
बेबसी के मारे प्रवासी मजूदरों की तस्वीरें सामने आने के बाद सियासत तो जाग गई है और सियासी रोटियां भी सिंकना भी शुरु हो गई है, लेकिन पलायन की यह तस्वीरें और मौत का खौफनाक मंजर चीख-चीख कर यह बता रहा है कि सरकार से लेकर सिस्टम तक सिर्फ कोरे वादे और दावे ही करते है।
प्रवासी मजदूरों के पलायन की तस्वीरें बता रही है कि देश की अवाम का अब अपने हुक्मरानों पर किचिंत मात्र भी भरोसा नहीं रहा है। पीएम मोदी के साथ दिल्ली के साथ कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रवासी मजदूरों को वापस नहीं लौटने की अपील की है लेकिन पलायन की तस्वीर बता रही है कि अब उनको न तो सरकार और न ही उसके सिस्टम पर कोई भरोसा बचा है।