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Corona से जीती जंग, दिल्ली के पहले मरीज की कहानी, उन्हीं की जुबानी

हमें फॉलो करें Corona से जीती जंग, दिल्ली के पहले मरीज की कहानी, उन्हीं की जुबानी
, सोमवार, 16 मार्च 2020 (15:33 IST)
नई दिल्ली। Covid-19 यानी कोरोना वायरस (Corona Virus) को लेकर पूरी दुनिया में खौफ का माहौल है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन, सबसे खास बात यह है कि कोरोना को हराया जा सकता है। इससे डरने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है। समय रहते सतर्कता से न सिर्फ इससे बचा सकता है, बल्कि कोरोना संक्रमित होने पर भी घबराने की जरूरत नहीं।
 
कोरोना से डर के बीच ही दिल्ली से बहुत ही खबर है। इसके मुताबिक कोरोना संक्रमित रोहित दत्ता ने इस वायरस के खिलाफ अपनी जंग जीत ली। साथ ही देश‍वासियों को यह संदेश भी दिया कि इसे हराया जा सकता है।

नवभारत टाइम्स की इसी सकारात्मक स्टोरी के कुछ अंश हम आभार सहित जनहित में प्रकाशित कर रहे हैं ताकि लोगों को डर से लड़ने में मदद मिले।
 
इस तरह दी कोरोना को मात : दरअसल, यह कहानी दिल्ली के 45 वर्षीय रोहित दत्ता की है, जो कोरोना का शिकार बने थे। मयूर विहार फेज-2 के रहने वाले दत्ता सफदरजंग हॉस्पिटल से ठीक होकर अपने घर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए नई जिंदगी में कदम रखने जैसा अहसास है। मैं अब पूरी तरह ठीक हूं और लोग कोरोना से डरें और घबराएं नहीं। हां, उन्होंने लोगों को सावधानी रखने की जरूर सलाह दी। साथ ही कहा कि अपने स्वास्थ्य और सफाई का विशेष ध्यान रखें।
 
रोहित ने बताया कि आइसोलेशन वॉर्ड किसी भी प्राइवेट वॉर्ड के वीआईपी रूम से बेहतर था। उन्होंने कभी भी खुद को अलग-थलग महसूस नहीं किया। इस दौरान उन्होंने घरवालों से बात की। फिल्में देखीं, किताबें पढ़ीं। सोशल मीडिया पर भी उनकी नजरें थीं। 
 
...जब स्वास्थ्य मंत्री का फोन आया : उन्होंने बताया कि होली पर जरूर उन्होंने अकेलापन महसूस किया। उसी दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की वीडियो कॉल आई। उन्होंने न सिर्फ हालचाल पूछा बल्कि अस्पताल के इंतजाम के बारे में भी जानकारी ली। दत्ता ने कहा कि उन्होंने मेरा हौसला भी बढ़ाया। 
 
रोहित ने कहा कि एक वक्त वह भी था, जब पूरे देश की नजर मुझ पर ही थी। सबको लग रहा था कि पता नहीं मैं वापस घर लौट भी पाऊंगा या नहीं। मगर डॉक्टरों को पूरा भरोसा था कि मुझे कुछ नहीं होगा। इस बीच, 9 और 11 मार्च को उनके दोबारा सेंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए और जब दोनों की रिपोर्ट नेगेटिव आई, तो उन्हें 14 मार्च को छुट्‍टी दे दी गई। 
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रोहित की लोगों को सलाह : दत्ता के मुताबिक वे वायरस से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें अभी अगले 14 दिन भी घर में ही रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि मैं लोगों से यही कहना चाहता हूं कि डरें नहीं और घर में बंद होकर न बैठें। बाहर निकलें, लेकिन साथ में पूरी सावधानी बरतें और यदि जरा भी कोरोना के लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत अस्पताल जाकर जांच कराएं। उन्होंने कहा कि यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है और मैं इसका जीता-जागता उदाहरण हूं।
 
डरें नहीं सतर्क रहें : रोहित ने बताया कि दिन में दो-तीन बार डॉक्टर उन्हें चेक करने के लिए आते थे। उनके कपड़े बदले जाते थे। वार्ड को साफ-सुथरा रखा जाता है। खास बात यह रही कि उनका इलाज पूरी नि:शुल्क हुआ।
 
रोहित ने कहा कि लोगों को सबसे ज्यादा डर और भ्रम इस 'आइसोलेशन' शब्द को लेकर ही है। लोगों को लग रहा है कि उन्हें पता नहीं किस कालकोठरी में डाल दिया जाएगा, जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने बताया कि मुझे ज्यादा दवाइयां भी नहीं खानी पड़ती थीं। 
 
टेक्सटाइल का बिजनेस करने वाले रोहित दत्ता ने बताया कि वे अपनी पत्नी के भाई साथ लेदर फेयर में शामिल होने के लिए इटली गए। वहां से लौटने के बाद उन्हें हल्का बुखार हुआ, लेकिन दवाई लेने के बाद वे ठीक हो गए। 28 फरवरी को उन्हें फिर तकलीफ हुई। इस बीच, कोरोना की खबरें भी मीडिया में आने लगी थीं। मैंने डॉक्टर से मशविरा किया और जांच कराई रिपोर्ट पॉजिटिव आने में सफदरजंग अस्पताल पहुंच गया। ...और वहां मिले इलाज के बाद में पूरी तरह होकर अपने घर आ गया। (Symbolic photo)

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