नई दिल्ली। कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 मामलों में देशभर में हो रही वृद्धि के मद्देनजर सीबीएसई के बोर्ड परीक्षा कार्यक्रमों में बदलाव के बाद परीक्षा रद्द होने से जहां 10वीं के छात्रों ने राहत की सांस ली है, वहीं 12वीं कक्षा के छात्रों में अपनी परीक्षा स्थगित होने के कारण भविष्य को लेकर नई बेचैनी है।
बारहवीं के छात्रों और उनके अभिभावकों को देरी से परीक्षा होने, परिणाम में देरी और इस कारण कॉलेज में दाखिले, विदेश में पढ़ने की इच्छा सभी चीजों को लेकर अनिश्चितता नजर आ रही है। कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सीबीएसई ने बुधवार को एक घोषणा में जहां 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दीं वहीं 12वीं की बोर्ड परीक्षा को स्थगित कर दिया है।
12वीं की परीक्षाओं को लेकर जून में स्थिति की समीक्षा की जाएगी और 10वीं के छात्रों का मूल्यांकन बोर्ड द्वारा तय वस्तुनिष्ठ मानदंड के आधार पर होगा। दोनों बोर्ड परीक्षाएं चार मई से शुरू होनी थीं। राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाली 12वीं की छात्रा निकिता सेठी का कहना है, या तो उन्हें परीक्षा रद्द कर देनी चाहिए थी या फिर कार्यक्रम के साथ फेरबदल नहीं करना चाहिए था। अब फिर से यह परीक्षा और भविष्य की योजनाएं... कॉलेज में दाखिले के लिए इंजतार की लंबी घड़ी...।
वहीं 10वीं के छात्र त्रिदीप गोहैण का कहना है, मुझे खुशी है कि उन्होंने परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया है उसे स्थगित करने का नहीं। अब कम से कम मानसिक तनाव तो नहीं है। मैंने 11वीं की पढ़ाई शुरू कर दी है, अब मैं उस पर ध्यान दे सकता हूं।
पहचान जाहिर न करने के इच्छुक 12वीं के एक छात्र ने कहा, मेरी योजना विदेश पढ़ने जाने की थी, लेकिन 12वीं की परीक्षा और परिणाम में देरी के कारण अब दिक्कत होगी। मैंने जिन विश्वविद्यालयों में आवेदन दिया था, उन्हें पत्र लिखकर पूछा है कि क्या परिणाम में देरी के बावजूद दाखिला संभव है।
वहीं 10वीं की छात्रा टिया गुप्ता ने कहा, 10वीं की परीक्षा रद्द करने के सीबीएसई के फैसले से मैं संतुष्ट हूं। हर साल इस समय तक 10वीं की बोर्ड परीक्षा समाप्त हो जाती है, लेकिन कोविड-19 के कारण इस साल बोर्ड परीक्षाएं स्थगित होने से कई छात्र चिंता में थे।
उसने कहा, डर और बेचैनी का हमारी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। दूसरी बात कोविड-19 के बढ़ते मामलों की है। हमारे माता-पिता के दिमाग में इन हालात को लेकर डर है कि उनके बच्चे अपनी परीक्षा कैसे देंगे। दिल्ली अभिभावक एसोसिएशन (डीपीए) ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि 12वीं की परीक्षा महत्वपूर्ण है और उसे कराया जाना चाहिए।
एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा, 10वीं की परीक्षा 12वीं जितनी महत्वपूर्ण नहीं है। इसलिए हम 10वीं की परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे थे। 12वीं की परीक्षा महत्वपूर्ण है और वह किसी भी सूरत में कराई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि छात्रों को बेचैनी से गुजरना पड़ रहा है और अभूतपूर्व फैसले करने के लिए अभूतपूर्व समय की जरुरत होती है। वहीं अखिल भारतीय अभिभावक एसोसिएशन (एआईपीए) के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा, सीबीएसई ने छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया होगा। हमें इसका स्वागत करना चाहिए। विभिन्न तबकों से परीक्षाएं रद्द करने की मांग हो रही थी।(भाषा)