नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को राजकोट जिले में कोविड-19 के लिए नामित एक अस्पताल में हुए अग्निकांड के बारे में गुजरात सरकार की रिपोर्ट पर अप्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि तथ्यों को छिपाने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। इस अग्निकांड में कई कोविड मरीजों की मृत्यु हो गई थी।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि हमने गुजरात का जवाब देखा है। 7वीं मंजिल पर 5 मरीजों की मृत्यु हुई। यह किस तरह का हलफनामा है? तथ्यों को छिपाने का कोई प्रयास नहीं होना चाहिए। पीठ ने पिछले सप्ताह इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया था।
हलफनामे में दी गई जानकारी पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि जांच समिति गठित की गई है। प्राथमिकी दर्ज हुई है लेकिन अपरिहार्य कारणों से लोगों को जमानत भी मिल गई है। आयोग के बाद आयोग गठित होते हैं लेकिन इसके बाद कुछ नहीं होता।
पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस रिपोर्ट का अवलोकन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि शीर्ष अदालत में बेहतर हलफनामा दाखिल किया जाए। पीठ ने कहा कि मिस्टर मेहता, आप इस हलफनामे पर गौर कीजिए और देखें कि वे क्या दाखिल कर रहे हैं। मेहता ने पीठ से कहा कि वे रिपोर्ट का अवलोकन करेंगे और इस बारे में राज्य सरकार से बात करेंगे। पीठ ने इस मामले को अब 3 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
मेहता ने पीठ को सूचित किया कि केंद्र ने देशभर के अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए है। केंद्र सरकार ने अग्नि सुरक्षा के बारे में दिशा निर्देश जारी किए हैं। मैंने हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र ने सोमवार को सभी राज्यों को अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अग्नि सुरक्षा के समुचित बंदोबस्त सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। केंद्र ने कहा था कि जब पूरा देश कोरानावायरस महामारी से जूझ रहा है तो ऐसी स्थिति में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है।
केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने गुजरात के 2 अस्पतालों में अग्निकांड की घटनाओं के मद्देनजर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखे थे। इन अग्निकांड में 14 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है। गृह सचिव ने कहा था कि हाल के दिनों में अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अग्निकांड की कई घटनाएं हुई हैं और प्राधिकारियों द्वारा अपने अधिकार क्षेत्रों में अग्नि सुरक्षा के उपायों का पालन सुनिश्चित नहीं करना बहुत ही चिंता का विषय है।
न्यायालय ने 27 नवंबर को राजकोट में कोविड-19 अस्पताल में हुए अग्निकांड की घटना पर स्वत: ही संज्ञान लेते हुए गुजरात सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। न्यायालय ने बार-बार इस तरह की घटनाएं होने के बावजूद इन्हें कम करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाने पर राज्यों की तीखी आलोचना की। पीठ ने इस घटना को बेहत हतप्रभ करने वाला बताते हुए कहा था कि यह बहुत ही गंभीर मामला है और यह नामित सरकारी अस्पतालों की स्थिति को दर्शाता है, क्योंकि इसी तरह की घटनाएं दूसरे स्थानों पर भी हो चुकी हैं।
पीठ ने कहा था कि यह घटना इस बात का प्रतीक है कि ऐसी स्थिति से निबटने के लिए अग्नि सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त नहीं हैं। मेहता ने पीठ को आश्वस्त किया था कि केंद्रीय गृह सचिव शनिवार तक बैठक आयोजित करेंगे और देशभर के सरकारी अस्पतालों के लिए अग्नि सुरक्षा निर्देश जारी करेंगे।
गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बताया था कि राजकोट जिले में निर्दिष्ट कोविड-19 अस्पताल के आईसीयू में आग लगने से संक्रमण के इलाज के लिए भर्ती 5 मरीजों की मौत हो गई जबकि इसमें उपचार के लिए भर्ती 26 अन्य मरीजों को सुरक्षित निकालकर अन्य जगह स्थानांतरित किया गया है।
पटेल ने यह भी कहा था कि आनंद बंगला चौक इलाके में स्थित 4 मंजिला उदय शिवानंद अस्पताल की पहली मंजिल पर स्थित आईसीयू में रात में करीब 12.30 बजे आग लगी थी। इस अग्निकांड के समय इसमें करीब 31 मरीज भर्ती थे। इस अग्निकांड से 4 दिन पहले ही 23 नवंबर को न्यायालय ने कोविड-19 के तेजी से बढ़ रहे मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि दिल्ली में महामारी के हालात बदतर हो गए हैं और गुजरात में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है। (भाषा)