Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

'Wuhan virus' अब और नहीं, अमेरिका - चीन 'युद्धविराम' की स्थिति में

हमें फॉलो करें 'Wuhan virus' अब और नहीं, अमेरिका - चीन 'युद्धविराम' की स्थिति में
, बुधवार, 8 अप्रैल 2020 (16:26 IST)
वॉशिंगटन। कोरोना वायरस महामारी को लेकर अमेरिका तथा चीन के बीच चला आ रहा वाकयुद्ध अब 'युद्धविराम' में तब्दील हो गया है और इसके साथ ही कोरोना वायरस अब 'वुहान वायरस' नहीं रहा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 26 मार्च को अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से फोन पर बात होने के बाद से कोरोना वायरस को अब 'चाइनीज वायरस' कहना बंद कर दिया है, वहीं कोरोना वायरस को 'वुहान वायरस' कहते रहे अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ भी अब सहयोग की बात कहते नजर आ रहे हैं।
ALSO READ: चीन से आई खुशखबर, वुहान ने जीती Corona से जंग, 76 दिन बाद खत्म हुआ लॉकडाउन
पोम्पिओ ने चीन के बारे में पूछे जाने पर मंगलवार को कहा कि हम जानते हैं कि यह एक वैश्विक महामारी है और यह समय हर देश के लिए संकट का समाधान निकालने के वास्ते मिलकर काम करने का है, वहीं चीन ने अमेरिका के व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए पिछले महीने यह कह दिया था कि वुहान में वायरस को अमेरिकी सैनिकों ने पहुंचाया।
 
वॉशिंगटन में चीन के राजदूत कुई तियानकई ने अलग मत जताते हुए 'न्यूयॉर्क टाइम्स' से कहा कि अमेरिकियों से उन्हें लगाव है और वचनबद्ध चीन, अमेरिका की मदद के लिए सबकुछ करेगा।
 
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागुस ने कुई की टिप्पणी का स्वागत किया, लेकिन कहा कि चीन वायरस पर ब्योरा साझा करे और अपने यहां लोगों को बोलने की आजादी दे। उन्होंने कहा कि सच्चे सहयोग में पारदर्शिता और वास्तविक कार्य होना चाहिए, न कि सिर्फ बयानबाजी।
ALSO READ: चीन में घातक Corona से राहत, वुहान से रेल व हवाई सेवाएं कल से
बीजिंग पर ट्रंप के आरोप को अनेक पर्यवेक्षकों ने राजनीतिक तिकड़मबाजी करार दिया, क्योंकि वे कोविड-19 से निपटने के लिए त्वरित कदम नहीं उठा पाए जिससे अमेरिका में 12,000 से ज्यादा लोगों की जान गई है। लेकिन ट्रंप को चीन की जरूरत भी है जिसने अमेरिका में आयातित मास्क में से आधे मास्कों का निर्माण किया है।
 
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में एशिया अध्ययन निदेशक एलिजाबेथ इकोनॉमी ने कहा कि वॉशिंगटन, बीजिंग को इस हद तक नाराज नहीं करना चाहता कि वह अमेरिका को चिकित्सा उपकरणों की बिक्री रोक दे। कार्नेगी एंडोवमेंट इंटरनेशनल पीस के स्कॉलर डगलस पॉल ने कहा कि चीन का मकसद ट्रंप को शांत रखना और अनावश्यक नुकसान को रोकना है ताकि दोनों के बीच में संपर्क बना रहे।
पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और जॉर्ज एच. डब्ल्यू बुश के एशियाई मामलों के सलाहकार रहे पॉल ने कहा कि चीन की अमेरिका के नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव पर भी नजर है। चीन की शीर्ष प्राथमिकता यही है कि उसके निर्यात की वैश्विक मांग को फिर से कायम करना है और शुरुआत में उसकी सोच यही थी कि ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति चुने जाने से उसे फायदा होगा।
 
चीन को डर था कि डेमोक्रेट अगर सत्ता में आ गए तो कारोबार के साथ ही मानवाधिकार के मुद्दे पर वे ज्यादा जोर देंगे। लेकिन पॉल, चीन के सरकारी मीडिया में जो बाइडेन को सकारात्मक रूप में पेश किए जाने को लेकर हैरान हैं, जो कि संभावित डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हैं।
 
उपराष्ट्रपति के रूप में बाइडेन ने शी के साथ संबंधों को गहरा करने में काफी मेहनत की थी, जो कि चीन के पिछले कई दशकों में सबसे शक्तिशाली नेता हैं। पॉल ने कहा कि सरकारी मीडिया को मैं जितना पढ़ पा रहा हूं, उसके हिसाब से अब ट्रंप के पुन: निर्वाचन में उनकी 1 साल पहले के मुकाबले अब कहीं कम रुचि है।
 
वे कहते हैं कि और इसलिए अब ट्रंप के साथ काम करने में उनकी महत्वाकांक्षाएं पहले जैसी नहीं हैं। वे पीछे हटते हुए अपने हितों को प्राथमिकता दे सकते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

LockDown के बीच राहुल गांधी ने किसानों के लिए की बड़ी मांग