देश में चारों तरफ कोरोना महामारी का प्रकोप है। केंद्र और राज्य सरकारों के पास अभी तक ऐसी कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है जिससे आम जनता में यह विश्वास जग सके कि हम इस महामारी से निबटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। ऐसे कठिन दौर में देश के कई प्रतिष्ठित अनुभवी चिकित्सकों और जमीनी कार्य करने वाले समाजसेवियों के साथ कई दिनों के गहन विचार-विमर्श के बाद भारतीय राजस्व सेवा के सेवानिवृत वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टर आरके पालीवाल, पूर्व प्रिंसिपल चीफ़ कमिश्नर इनकम टैक्स, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ ने कोरोना के प्रभावी नियंत्रण के लिए एक कार्ययोजना बनाई है जिसे 'राष्ट्रीय कोरोना नियंत्रण मिशन' नाम दिया है। जानतेइस कार्ययोजना के बिंदु-
मिशन के दायित्व : कोरोना से बचाव के बारे में व्यापक स्तर पर जनजागरूकता अभियान चलाना, जिससे कोरोना के प्रसार को यथाशीघ्र रोका जा सके। देश के सभी नागरिकों को नजदीकी स्वास्थ केन्द्र पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करना। स्वस्थ लोगों के लिए वर्क फ्रॉम होम की सुविधाएं उपलब्ध कराना जिससे बेरोजगार लोगों को अपनी आजीविका चलाने में मदद मिले और वे देश की अर्थव्यवस्था में योगदान कर सकें। नागरिकों और समाजसेवी संस्थाओं को कोरोना वॉलेंटियर बनने और आयकरदाताओ एवं बड़ी कंपनियों को कोरोना रोकने के प्रयास के लिए आर्थिक सहायता करने के लिए प्रेरित करना। लॉकडाउन आदि के उल्लंघन के दोषियों के खिलाफ उचित कार्यवाही सुनिश्चित कराना। राष्ट्रीय मिशन में सब नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करनी है क्योंकि सरकार के साथ साथ कोरोना पर नियंत्रण हम सब नागरिकों की भी सामूहिक ज़िम्मेदारी है।
मिशन की कार्ययोजना : पैथोलॉजी का एक गोल्डन रूल है... "प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर"। इस लिहाज़ से भारत जैसी घनी आबादी वाले देश के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम कोरोना के दिन ब दिन तेज होते प्रसार को यथाशीघ्र रोकें। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए निम्न प्रभावी कदम तत्काल उठाए जाने चाहिऐं ।
- दूरदर्शन, रेडियो, अखबारों और डिजिटल प्लेटफॉर्म आदि के माध्यम से कोरोना से बचाव के लिए व्यापक जनजागरुकता अभियान चलाना। इसे स्थानीय प्रशासन, पंचायतों और समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से गांव गांव तक पहुंचाना।
- कोरोना से बचाव की दो तीन मिनट की शॉर्ट फिल्म पंचायत सदस्यों, स्वास्थ कर्मियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, धार्मिक स्थलों और यू ट्यूब एवम फेसबुक आदि के माध्यम से जन जागृति अभियान चलाना। स्कूलों और कॉलेजों की ऑनलाइन क्लासेज में कोरोना जागरूकता अभियान चलाना। शहरों और महानगरों में रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री आदि के सहयोग से जागरूकता अभियान चलाना।
स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए यह कदम उठाना चाहिए
1. ग्राम स्तर पर प्राइमरी स्कूल या पंचायत भवन को अस्थाई क्वारंटाइन केन्द्र/अस्पताल की तरह उपयोग में लिया जाना चाहिए, जिससे संक्रमित लोगों का उपचार गांव में ही किया जा सके और गांव के स्वस्थ लोगों में रोग नहीं फैले।। इसके सुचारू संचालन के लिए लिए ग्रामीण आंगनवाड़ी/स्वास्थ्य कर्मियों को प्राइमरी ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।
2. इन केंद्रों को सीटी स्कैन सुविधा, टेस्टिंग सुविधा और ऑक्सीजन और जीवनरक्षक दवाओं आदि की जरूरी सुविधाओं से अपग्रेड किया जाना चाहिए जिससे ग्रामीण इलाकों के मरीजों और उनके तीमारदारों को शहरों और महानगरों की तरफ न भागना पड़े।
3. जिला स्तर पर बड़े अहाते वाले कॉलेजों और खुली जगह वाले बड़े इंस्टिट्यूट आदि को अस्थायी तौर पर कोविड क्वारंटाइन सुविधा और कोविड स्पेशल अस्पतालों के रूप में विकसित किया जाना चाहिए जिससे बाकी अस्पताल दूसरी घातक बीमारियों पर ध्यान दे सकें।
4. स्वास्थ केंद्रों और अस्पतालों में मरीजों की बढ़ी संख्या के मद्देनजर डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ बढ़ाने के लिए सभी बेरोजगार नर्सों और डाक्टरों को एक साल की अस्थाई सेवा में लिया जाना चाहिए और यह कार्य केवल डिग्री के आधार पर बिना किसी अतिरिक्त परीक्षा के किया जा सकता है। ऐसे लोगों को उनके गृह नगर या नजदीकी जिलों में नियुक्ति दी जानी चाहिए जिससे वे तुरंत कार्य शुरु कर सकें।
5. इन सेवाओं में सहभागिता के लिए एनएसएस, एनसीसी और स्वयंसेवी संस्थाओं को सक्रिय सहभागिता करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
वर्क फ्रॉम होम की सुविधा कोरोना नियंत्रण में बहुत अहम भूमिका निभा सकती है। इसके लिए ये प्रयास किए जा सकते हैं-
1. केन्द्र और राज्य सरकार के आधिकांश कर्मचारी अपने घर से काम कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें लैपटॉप और फ्री इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है जो उनके यातायात भत्ते को बंद करके बिना किसी अतिरिक्त खर्च किए की जा सकती है।
2. छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों को घर से चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए जिससे उद्यमशील लोग घर से ही काम कर सकें।
3. हर कॉलोनी और गांवों में जरूरी चीजों की सप्लाई होम डिलीवरी से कराने के लिए काफ़ी युवाओं को रोजगार मिल सकता है। पंचायत भवन आदि का इस्तेमाल गांव में जरूरी चीजों के भंडारण के लिए किया जा सकता है जिससे ग्राम वासियों को शहर नही आना पड़े।
4. ई बैंकिंग, ई मार्केटिग और होम डिलीवरी प्रोवाइडर्स को आयकर आदि की छूट दी जानी चाहिए जिससे उन्हें बढ़ावा मिले।
5. इंटरनेट कनेक्टिविटी को मजबूत और सर्व सुलभ बनाने के प्रयास होने चाहिए और एक साल के लिए सब नागरिकों को निश्चित डाटा मुफ्त प्रदान किया जा सकता है जिसका उपयोग नेट बैंकिंग, होम डिलीवरी ऑर्डर और ई मार्केटिंग के लिए किया जा सकता है।
नागरिकों और समाजसेवी संस्थाओं की सहभागिता :
1. सभी स्वंयसेवी संस्थाओं के युवा कार्यकर्ताओं को उनके इलाकों में जनता की विविध सेवा के लिए काम करने के लिए ऑथराइज करना चाहिए।
2. एनएसएस और एनसीसी के कैडेट्स को भी जनसेवा के कार्यों की अनुमति मिलनी चाहिए।
3. सीएसआर फंड का कम से कम पचास प्रतिशत उपयोग कोरोना नियंत्रण कार्यों के लिए रिजर्व किया जा सकता है।
4. समाजसेवी संस्थाओं को भी अपनी दानराशि का पचास प्रतिशत कोरोना नियंत्रण में खर्च करने के लिए नियम बना सकते हैं।
5. धार्मिक स्थलों के संचालकों से भी विनम्र अपील करनी चाहिए कि वे भी अपनी दानराशि का पचास प्रतिशत इसी कार्य में खर्च करें।
6. इस वर्ष अप्रैल से सीएसआर नियमों में कुछ परिर्वतन किए हैं और चैरिटेबल संस्थाओं के दोबारा पंजीकरण का नियम बना है जिससे बहुत सी समाज सेवी संस्थाएं परेशान हो रही हैं और उन्हें अपने संसाधन इन कार्यों में लगाने पड़ रहे हैं। इन परिवर्तित नियमों को इस वर्ष की बजाए अगले वर्ष से लागू करना चाहिए।
लॉकडाउन के सख्त पालन के लिए
1. लॉक डाउन का पालन करने के लिए पुलिस बल की स्पेशल ऑनलाइन ट्रेनिंग आवश्यक है जिससे एक तरफ़ वे मजबूरी में बाहर निकले लोगों की सहायता करने में रुचि दिखाएं और दूसरी तरफ बेवजह कानून का उल्लंघन करने वालों के साथ सख्ती से निबटें।
2. जो लोग और जो प्रतिष्ठान कोरोना के लॉक डाउन और मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग आदि जरूरी नियमों का उल्लंघन करते हैं उन्हें चिन्हित करने के लिए ऐसी जगहों पर सीसी टीवी कैमरे लगाने चहिए जहां काफ़ी लोगों के एकत्र होने की संभावना है। इस कार्य के लिए हर क्षेत्र में आब्जर्वर की नियुक्ति होनी चाहिए जेसे चुनावों में आब्जर्वर नियुक्त होते हैं।
3. कोरोना कानूनों के उल्लंघन करने वालों को जेल भेजने या जुर्माना लगाने की बजाए 15 दिन कम्युनिटी सर्विस की सजा दी जानी चाहिए, जिसमें उनसे अस्पतालों और क्वारेंटाईन केंद्रों की साफ सफाई और गरीबों को राशन आदि वितरित करने के काम कराए जा सकते हैं।
त्रिस्तरीय समितियों की संरचना : जनजागरुकता अभियान और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार से कोरोना पर निश्चित रूप से एक तय समयावधि में प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है। मिशन की सफ़लता सुनिश्चित करने के लिए तीन स्तरों पर नियम समिति बनाई जानी चाहिए।
1. राष्टीय स्तर पर एक निगरानी समिति बनाई जानी चाहिए जिसमें प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और सभी प्रदेशों के मुख्य मंत्री और स्वास्थ मंत्रियों के साथ साथ कम से कम बारह गैर राजनीतिक और गैर सरकारी सदस्य भी रहें जिनमे हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज, प्रतिष्ठित डॉक्टर, समाजसेवी, पत्रकार और स्पोर्ट्स औय फिल्म के साफ छवि वाले ब्रांड एंबेसडर आदि रहें।
2. प्रदेश स्तर पर प्रादेशिक निगरानी समिति का स्वरूप भी राष्ट्रीय समिति की तरह होना चाहिए जिसमें मुख्य मंत्री की अध्यक्षता में स्वास्थ मंत्री, चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी के साथ-साथ प्रदेश के कम से कम बारह गैर राजनीतिक और गैर सरकारी सदस्य भी रहने चाहिएं।
3. जिला स्तर पर जिलाधिकारी के नेतृत्व में सरकारी और गैर सरकारी सदस्यों की मिली जुली निगरानी समिति बननी चाहिए जो प्रतिदिन वर्चुअल बैठक कर हालात का जायजा लेगी। इस समिति में स्थानीय सांसद, विधायक और मेयर भी रहने चाहिएं। यह समिति राष्ट्रीय एवम प्रादेशिक मिशन की योजनाओं को जन जन तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होगी।
केंद्र और राज्य सरकारें अपने व्यापक आर्थिक एवं मानव संसाधन एक साल के लिए राष्ट्रीय कोरोना नियंत्रण मिशन के कार्यों को समर्पित कर दें। इन प्रयासों से हम देश की बडी आबादी को काल कवलित होने से बचा लेंगे और कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने में पूरी तरह सफल होंगे।
डॉक्टर आरके पालीवाल
(पूर्व प्रिंसिपल चीफ़ कमिश्नर इनकम टैक्स, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़)