(फ्रेंडशिप डे : 6 अगस्त मित्रता दिवस के अवसर पर विशेष)
Friendship Day : कहते हैं दोस्ती प्यार है, दोस्ती ही जिंदगी है। दोस्ती का ये रिश्ता न होता तो जिंदगी कितनी बेरंग और उत्साह-हीन होती। दोस्तों के अभाव में कितने मौके खुशी से वंचित रह जाते। एक दोस्त ही है जो जिंदगी के हर मौके पर खुशी के रंग भरता है। मौका उत्सव का हो या गम का। सेलिब्रेशन का हो या सलाह और मार्गदर्शन का। एक सच्चा दोस्त हमेशा साथ खड़ा नजर आता है।
6 अगस्त को फ्रेंडशिप डे है। इस मौके पर बात करते हैं दुनिया के कुछ ऐसे ही दोस्तों की जो दोस्ती की मिसाल बने। बेहतरीन दोस्त के तौर पर पहचाने जाने वाले इन दोस्तों में दुनिया के हर क्षेत्र के लोग शामिल हैं। दुनिया के सबसे अमीर लोग हों या राजनीति के धुरंधर। कला और संगीत से जुड़ी शख्सियत हो या हिंदी सिनेमा के सितारों की दोस्ती। साहित्य हो या बिजनेस की दुनिया के रसूखदार। आइए जानते हैं दोस्ती की कुछ ऐसी ही मिसालों के बारे में।
नरेंद्र मोदी- अमित शाह: दोस्त और सिपहसालार
नरेंद्र मोदी और अमित शाह आज की भारतीय राजनीति के दो सबसे बड़े और चर्चित चेहरे हैं। एक देश के प्रधानमंत्री हैं तो दूसरे गृहमंत्री। दोनों ना सिर्फ एक दूसरे के सहयोगी हैं बल्कि अच्छे दोस्त भी हैं। इस जोड़ी को गुरु-चेला, दोस्त-राजदार-भरोसेमंद सिपहसालार की तरह भी देखा जा सकता है। दोनों पिछले करीब 40 साल से एक दूसरे के साथ हैं। नरेंद्र मोदी उम्र में अमित शाह से करीब 14 साल बड़े हैं । इन दो लोगों को एक साथ लाने का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जाता है। मोदी अमित शाह से पहली बार 1982 में संघ की शाखा में मिले। नरेंद्र मोदी जब अपने जीवन का पहला चुनाव लड़े तब अमित शाह ही उनके चुनाव प्रभारी रहे। साल 2002, 2007 और 2012 में हुए चुनावों में अमित शाह नरेंद्र मोदी के राइट हैंड की तरह रहे। 2014 में पीएम बनने के बाद भी नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद सिपहसालार अमित शाह ही रहे। अब तक हैं। दोनों की जोड़ी मौजूदा भारतीय राजनीति की सबसे चर्चित, ताकतवर और सफल जोड़ी है।
अल्बैर कामू- जीन-पॉल सार्त्र : साहित्य की सबसे मशहूर दोस्ती
फ्रांसीसी अस्तित्ववादी जीन-पॉल सार्त्र और अल्बैर कैमस (कामू) एक समय बेहद गहरे दोस्त थे। दर्शन और साहित्य के साथ राजनीति में समान विचारों के कारण प्रारंभ में अल्बैर कामू और सार्त्र की जबर्दस्त दोस्ती रही, लेकिन आगे चलकर राजनैतिक विचारों में मतभेद के कारण यह दोस्ती टूट गई। कामू और सार्त्र दोनों को अस्तित्ववाद का प्रवर्तक माना जाता है, लेकिन दोनों ने ही इससे इन्कार किया, लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद के लेखकों में इन दोनों की प्रसिद्धि विश्वव्यापी रही। साहित्य की दुनिया में यह दोस्ती बहुत मशहूर रही है।
रतन टाटा- शांतनु नायडू : अनोखी दोस्ती
रतन टाटा और उनके 28 साल के यंग दोस्त शांतनु नायडू की दोस्ती काफी मशहूर है। दरअसल, 2021 में रतन टाटा का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उन्होंने शांतनु नायडू के साथ अपना 84वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया था। इस वीडियो में शांतनु ने रतन टाटा के कंधे पर हाथ रखा था। शांतनु टाटा ग्रुप में ही काम करते हैं, लेकिन वो रतन टाटा के कर्मचारी कम और दोस्त ज्यादा हैं। दोनों की बॉन्डिंग काफी अच्छी है। शांतनु नायडू अमेरिका की कार्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। शातंनु, जुलाई 2018 से रतन टाटा के ऑफिस में डिप्टी जनरल मैनेजर के तौर पर काम कर रहे हैं। शांतनु आवारा कुत्तों के लिए किए गए काम की वजह से रतन टाटा के करीब आए। शांतनु की खुद की एक कंपनी मोटोपॉज है, जो कुत्तों के लिए अंधेरे में चमकने वाला रिफ्लेक्टर कॉलर बनाती है।
वारेन बफे- बिल गेट्स : सबसे अमीर दोस्ती
माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स (Bill Gates) और बर्कशायर हैथवे के मालिक वॉरेन बफे बहुत अच्छे दोस्त हैं। बिल गेट्स और वॉरेन बफे की उम्र में 25 साल का फर्क है, लेकिन दोनों एक- दूसरे के बेहद करीबी दोस्त हैं। वॉरेन बफे 92 साल के हैं, वहीं बिल गेट्स अभी 67 साल के हैं। गेट्स साल 2004 से लेकर 15 सालों तक बर्कशायर हैथवे के बोर्ड में रहे। वहीं वॉरेन बफे, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में 15 सालों तक ट्रस्टी रहे। गेट्स और बफे की दोस्ती 90 के दशक में शुरू हुई थी।
रविशंकर- जॉर्ज हैरिसन : संगीत की नई शैली
जॉर्ज हैरिसन ने रविशंकर के साथ एक दिलचस्प दोस्ती बनाई, जो संगीत उद्योग के लिए फायदेमंद थी। हैरिसन ने 1965 में लंदन के एक स्टोर से एक सितार खरीदा और रबर सोल में नॉर्वेजियन वुड में अपना अचूक ड्रोन भी जोड़ा। जब सितार का एक तार टूट गया तो उसे ठीक कराने के लिए वे एशियन म्यूजिक सर्कल पहुंचे, जहां वे रविशंकर से मिले। इस मुलाकात के बाद दोनों की दोस्ती ऐसी हुई कि संगीत जगत को हिलाकर रख दिया। दोनों की जोडी ने संगीत की एक नई शैली को जन्म दिया। सेलिब्रेटी दोस्ती की सूची में दोनों की दोस्ती शीर्ष पर मानी जाती है।
देवआनंद- गुरुदत्त : फिल्मी दोस्ती
सिनेमा की बात करें तो गुरुदत्त और देव आनंद की दोस्ती इतनी गहरी थी कि देव आनंद ने एक बार उनसे कहा था कि अगर उन्हें फिल्म बनाने का मौका मिला तो उसके निर्देशन का जिम्मा वह गुरुदत्त को देंगे। इसके जवाब में गुरुदत्त ने कहा था कि अगर वह फिल्म के निर्देशक बने तो उस फिल्म का हीरो देव आनंद होगा। 40 के दशक में जब देव आनंद और गुरुदत्त दोनों स्ट्रगल कर रहे थे उस दौरान दोनों का धोबी एक ही था और उसने एक दिन गलती से दोनों के कपड़े बदल दिए। कपड़ों को वापस लेने के दौरान दोनों मिले और हमउम्र होने के चलते अच्छे दोस्त बन गए।