भारत के अनुभवी बल्लेबाज मनीष पांडे ने 2015 में अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज किया था। मगर आज तक वह टीम में जगह पक्की नहीं कर सके हैं। घरेलू में अच्छा करके वह टीम में आते हैं, फिर खराब प्रदर्शन के चलते ड्रॉप हो जाते हैं। ये सिलसिला कई सालों से यूं ही चला आ रहा है और अब तो उनके खेल को देखकर क्रिकेट एक्सपर्ट्स मानने लगे हैं कि पांडे टीम में अपनी जगह के लिए ही खेल रहे हैं।
इसके उदाहरण के लिए आपको ज्यादा दूर जाने की जरुरत नहीं है। अभी श्रीलंका दौरे पर खेले गए पहले वनडे मैच में ही कुछ ऐसा दिखा, जिसके चलते कमेंटेटर भी ये कहते नजर आए थे, कि मनीष पांडे अपनी जगह के लिए खेल रहे हैं। असल में, भारत 263 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही थी। एक छोर पर शिखर धवन बैकसीट संभाल रहे थे और उनके सामने आने वाले बल्लेबाज खुलकर शॉट्स खेल रहे थे। पृथ्वी शॉ (43) और ईशान किशन (59) रन बनाकर आउट हुए थे। फिर नंबर-4 पर मनीष पांडे मैदान पर आए और वह भी टुक-टुक वाली बल्लेबाजी करने लगे और 40 गेंद पर 26 रन बनाकर आउट हो गए।
दूसरे मैच में भी मनीष पांडे 37 रन पर रन आउट से अपना विकेट गंवा बैठे थे, जबकि उस वक्त भारतीय टीम मुश्किल में थी और उन्हें क्रीज पर टिक कर खेलना चाहिए था। इसके अलावा यदि थोड़ा और पीछे जाएंगे, तो भी आपको कुछ ऐसे ही आंकड़े दिखेंगे, जो इस बात की गवाही दे रहे हैं कि अब मनीष पांडे टीम इंडिया को जिताने के लिए नहीं बल्कि जगह बचाने के लिए खेल रहे हैं।
आंकड़ों पर गौर करें, तो मध्य क्रम के बल्लेबाज ने 28 वनडे, 39 टी20आई मैच खेले हैं, जिसमें क्रमश: 555, 709 रन बनाए हैं। इस वक्त सभी खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके अक्टूबर-नवंबर में खेले जाने वाले टी20 विश्व कप टीम में चयन के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं। मगर अब शुरुआती दो मैचों में मनीष पांडे का प्रदर्शन देखकर ये कहना गलत नहीं होगा की अब उन्हें शोपीस इवेंट में शायद ही स्क्वाड में शामिल किया जाए।