विराट कोहली... नाम बड़े और दर्शन छोटे...ये लाइन विराट के करियर में बतौर बल्लेबाज तो नहीं लेकिन एक कप्तान के रूप में सूट करती है। एक कप्तान की सबसे खास क्वालिटी होती है कि वह अपनी टीम से सर्वश्रेष्ठ निकलवाना जानता हो... मगर ये क्वालिटी विराट में शायद अभी तक डेवलप नहीं हुई है।
इसके अलावा एक आदत है, जो कप्तान साहब की सभी को चुभती है, वो है उनका अपनी गलतियों को स्वीकार ना करना। जी हां, गलती होने पर उसे मानकर, सुधारकर आगे बढ़ना समझदारी है, मगर कप्तान कोहली अपनी गलती मानते ही नहीं हैं... तो सुधारेंगे क्या
अब दूर क्यों जाना टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल को ही ले लीजिए... लीग मैचों में टीम इंडिया ने बहुत अच्छा किया लेकिन अंत में हुआ वही जो कई सालों से होता आ रहा है, निर्णायक मुकाबले में सिट्टी पिट्टी गुल।
गलती कभी नहीं मानते कप्तान साहब
टीम का एक भी बैट्समैन नहीं चला, गेंदबाजों के ऊपर दबाव था। जिसका परिणाम अब जगजाहिर है। हमारे चतुर चालाक कप्तान विराट कोहली ने मैच से एक शाम पहले ही प्लेइंग इलेवन घोषित कर दी। चलो इस बात को, तो हजम कर भी लिया जाए की उनका मन किया, तो उन्होंने कर दी होगी। मगर फिर जब बारिश के चलते पिच की रंगत बदली, तो कोहली ने टीम ही नहीं बदली। ये बात किसी को कैसे हजम हो सकती है।
दुनियाभर के फैंस व एक्सपर्ट्स कहते रहे कि कप्तान को अपनी प्लेइंग इलेवन में बदलाव करना चाहिए, लेकिन विराट ने ऐसा नहीं किया और वह 2 स्पिनर्स के साथ उतरे। साउथम्प्टन में मिलने वाले अतिरिक्त उछाल के बारे में जानते हुए भी विराट ने दो स्पिनर्स खिला दिए।
जबकि कीवी टीम ने बारिश के बाद की परिस्तिथियों के अनुसार टीम चुनी, जिसमें चार तेज गेंदबाज खिलाए, जिन्होंने भारत के चारों खाने चित्त कर दिए। कुल मिलाकर क्रिकेट की समझ रखने वाला हर व्यक्ति ये स्वीकार करता है कि विराट ने गलत प्लेइंग इलेवन चुनी। मगर कप्तान साहब कहां अपनी गलती मानने वाले हैं।
मैच हारने के बाद कोहली ने अपने बयान में कहा था, "मुझे अपनी इलेवन की घोषणा पहले से करने का कोई अफसोस नहीं है, क्योंकि आपको टीम में एक ऑलराउंडर की जरूरत है, लेकिन हमने सर्वसम्मत निर्णय लिया कि ये सर्वश्रेष्ठ इलेवन है, जिसे हम मैदान में ले जा सकते हैं। हमें लगा कि यह हमारा सर्वश्रेष्ठ संयोजन है और साथ में बल्लेबाजी में भी गहराई है और अंतिम समय में स्पिनर भी अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।"
ऐसे बयान के बाद आप क्या उम्मीद करेंगे.... खैर ट्रॉफी तो हाथ से चली ही गई है अब हार का पोस्टमार्टम तो चलता ही रहेगा।
धोनी के मामले पर भी रख लिया था मौन
वैसे ये पहली बार तो हुआ नहीं है कि, विराट कोहली ने गलती की और उसे मानने से इनकार कर दिया। थोड़ा पीछे जाएं, तो 2019 में जब विराट ने महेंद्र सिंह धोनी को नंबर-7 पर भेजा था और पूरी दुनिया उनके उस फैसले पर सवाल उठा रही थी, तब तो कप्तान कोहली ने एक जवाब तक देना ठीक नहीं समझा। जवाब-सवाल के इस खेल के बीच शिकार हो गए थे बल्लेबाजी कोच संजय बांगर।
फैसले लेने में कच्चे है विराट
धोनी अपने फैसलों के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं, ये कहना गलत नहीं होगा की माही तो मिट्टी को छूकर भी सोना बना देते हैं, ये कुछ तो उनका क्रिकेटिंग सेंस का नतीजा है और कुछ उनकी किस्मत भी साथ देती है।
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में ऐसा लगा, जैसे विराट एमएस धोनी को कॉपी कर रहे थे। आपको याद ही होगा कि कैसे 2007 टी20 विश्व कप जोगिंदर शर्मा को गेंद थमाई थी, जबकि हरभजन सिंह का विकल्प उपलब्ध था, मगर मतलब तो सभी को परिणाम से होता है और वह धोनी के फैसले से भारत के हित में रहा, भारत ने ट्रॉफी जीती।
इसके अलावा 2013 चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में इंग्लैंड के सामने जब इशांत शर्मा पहले पिट रहे थे, लेकिन तब भी धोनी ने इशांत को गेंद थमाई और फिर जो हुआ वह इतिहास में दर्ज है, शर्मा जी के लड़के ने धोनी के भरोसे पर खरे उतरते हुए 18वें ओवर में सेट बल्लेबाज बोपारा और मोर्गन को चलता कर दिया था।
ऐसा ही कुछ विराट कोहली ने भी करने की कोशिश की थी, लेकिन बदकिस्मती से परिणाम भारत के हक में नहीं रहा। जसप्रीत बुमराह उस वक्त लय में नहीं थे और उन्हें एक भी विकेट भी नहीं मिला था, लेकिन फिर भी कोहली बार-बार उन्हें गेंद दे रहे थे, सोच रहे थे कि शायद वो कुछ कमाल कर जाएंगे, मगर ऐसा नहीं हुआ और नईया पार होने के बजाए डूब गई।
दबाव में दिखते हैं खिलाड़ी
अब तो मानो ये आम हो चुकी है कि भारतीय टीम आईसीसी इवेंट्स में लीग मैचों में तो अच्छा करेगी, मगर नॉकआउट में पहुंचते ही खिलाड़ी अपनी लय खो बैठते हैं। इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है कि जितना बड़ा मैच होता है, उतना ही खिलाड़ियों पर दबाव भी होता है। मगर बात हैरानी की ये है कि विराट अपने खिलाड़ियों का दबाव कम नहीं कर पाते।
जिसका परिणाम आप चैंपियंस ट्रॉफी 2017, विश्व कप 2019 सेमीफाइनल और अब विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में भी देखने को मिला। भारत की टॉप क्लास बैटिंग लाइन-अप फुस्स हो गई। निराशाजनक बल्लेबाजी के चलते भारत के गेंदबाजों पर WTC फाइनल में दबाव बना, जिसकी कीमत हमें ट्रॉफी गंवाकर चुकानी पड़ी। गेम तो हर प्लेयर को अपना ही खेलना होता है, लेकिन एक कप्तान खिलाड़ियों पर से दबाव कम करता है, ताकि वह बड़े मैच में प्रदर्शन करें। बदकिस्मती से हमारे कप्तान साहब खुद ही बड़े मैचों में फेल हो जाते हैं, तो वह खिलाड़ियों से क्या कहेंगे...
खुद ही देख लीजिए आंकड़े :
इवेंट |
मुकाबला |
विपक्षी टीम |
रन (गेंद) |
आउट करने वाला गेंदबाज |
2017 चैंपियंस ट्रॉफी |
फाइनल |
पाकिस्तान |
5 (9) |
मोहम्मद आमिर |
2019 वनडे वर्ल्ड कप |
सेमी-फाइनल |
न्यूजीलैंड |
1 (6) |
ट्रेंट बोल्ट |
2021 टेस्ट चैंपियनशिप |
फाइनल |
न्यूजीलैंड |
44 (132) और 13 (29) |
काइल जैमिसन |
एक के बाद एक खिताब हाथ से निकलते जा रहे
बतौर कप्तान विराट ने अभी तक कुल तीन बड़े इवेंट में शिरकत की है और तीनों बार टीम को नॉकआउट मुकाबलों में हार नसीब हुई।
इवेंट |
टीम इंडिया का सफर |
हार का अंतर |
2017 चैंपियंस ट्रॉफी |
फाइनल |
180 रनों से मिली हार |
2019 वनडे वर्ल्ड कप |
सेमी-फाइनल |
18 रनों से मिली हार |
2021 टेस्ट चैंपियनशिप |
फाइनल |
8 विकेट से मिली हार |
सुधरना है जरुरी
भले ही अभी तक विराट कोहली पिछले तीनों आईसीसी इवेंट में फैंस और देश की उम्मीदों पर खरे न उतर पाए हो, लेकिन अभी भी उनके खुद को साबित करने का बढ़िया समय है। दरअसल, एक के बाद एक तीन बड़े आईसीसी इवेंट कोहली का इंतजार कर रहे हैं और इस दौरान अगर वह कोई दो टूर्नामेंट जेतने में सफल हो जाते हैं, तो उनके ऊपर लगे सारे दाग पल भर में झूट जाएंगे।
आने वाले तीन बड़े आईसीसी इवेंट
इवेंट |
साल |
मेजबान |
T20 वर्ल्ड कप |
2021 |
यूएई |
T20 वर्ल्ड कप |
2022 |
ऑस्ट्रेलिया |
वनडे वर्ल्ड कप |
2023 |
भारत |