मैनचैस्टर। न्यूजीलैंड ने वर्ल्ड कप के पहले सेमीफाइनल में भारत को बेहद रोमांचक अंदाज में 18 रन से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। इस मैच में एक समय भारत का स्कोर 47.4 ओवर में 209/6 था और टीम को जीत के लिए 14 गेंदों में 31 रनों की आवश्यकता थी। रवीन्द्र जडेजा (77) और महेंद्र सिंह धोनी (50) के रूप में 2 सेट बल्लेबाज मैदान में थे लेकिन वे भारत को फाइनल में प्रवेश नहीं दिला सके।
न्यूजीलैंड के सबसे बेहतरीन गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट ने धमाकेदार बल्लेबाजी कर रहे जडेजा को कप्तान विलियम्सन के हाथों झिलवाकर न्यूजीलैंड को बड़ी सफलता दिलाई। यह मैच का 'टर्निंग पाइंट' था। बोल्ट ने इस मैच में सिर्फ दो विकेट लिए और यह दोनों ही विकेट सबसे कीमती थे। जडेजा के पहले उन्होंने कप्तान विराट कोहली (1) का विकेट झटका था।
जडेजा भले ही बोल्ट का शिकार होकर पैवेलियन लौट चुके थे लेकिन राहत की बात ये थी कि महेंद्र सिंह धोनी ने मैदान संभाल रखा था। टीम इंडिया का यह बेस्ट फिनिशर कभी भी मैच का पासा पलटने की क्षमता रखता था। धोनी इससे पहले भी भारत को कई बार विकट परिस्थितियों से निकालकर मैच जिता चुके हैं। लक्ष्य का पीछा करते हुए धोनी ने 50 में से 47 मैच जिताए हैं।
बहरहाल, भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को धोनी से बड़ी उम्मीदें थीं कि 49वां ओवर लेकर लौकी फर्ग्यूसन आए। धोनी ने इस ओवर की पहली ही गेंद पर छक्का मारकर इस गेंदबाज पर दबाव बनाया। इसी ओवर की तीसरी गेंद पर उन्होंने शॉट मारा और 2 रनों के लिए निकल गए। हालांकि मार्टिन गुप्टिल ने बेहतरीन थ्रो कर धोनी को पैवेलियन का रास्ता दिखा दिया। इस विकेट के आउट होते ही भारत मैच से बाहर हो गया।
इस मैच में धोनी 7वें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे। कोहली ने उनसे पहले ऋषभ पंत, दिनेश कार्तिक, हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ियों को मौका दिया। अगर मैच में धोनी को पहले खेलने का मौका मिलता तो टीम को अनुभव का फायदा मिलता। इसका असर मैच के परिणाम पर भी हो सकता था।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी मानते हैं कि धोनी को नंबर 5 पर बल्लेबाजी करने के लिए उतारना था ताकि मिडिल ऑर्डर में एक अनुभवी बल्लेबाज हो। यदि धोनी नंबर 5 पर आते तो ऋषभ पंत और हार्दिक जैसे बल्लेबाज टीम इंडिया को मझदार में नहीं छोड़ते। इन दोनों को ही अनुभव की कमी ले डूबी। सचिन की राय में पंत को नंबर 4 पर उतारना भी कोहली की बड़ी भूल थी।