इसलिए नहीं मिल पा रहा है लोगों को बैंकों से पैसा
आयकर छापे में 5 करोड़ के नए नोट बरामद
बेंगलुरु। नोटबंदी के बाद पूरे देश में नोटों की भारी मारामारी है, दूसरी ओर बेंगलुरु में 5 करोड़ के नए नोट बरामद होने से सनसनी फैल गई है।
इस घटना ने आम आदमी को भी काफी हताश किया है, जो लंबी लाइनों में लगकर 2000 और 2500 रुपए निकालने के लिए एटीएम तक जाता है। कई बार तो घंटाभर खड़े रहने के बावजूद उसको कैश नहीं मिल पाता। बेंगलुरु में आयकर विभाग ने छापे की कार्रवाई में यह बड़ी राशि जब्त की है। ये सभी नए नोट 2000 रुपए के हैं।
जानकारी के मुताबिक आयकर विभाग को ये नोट दो लोगों के पास से मिले हैं। हालांकि पकड़े गए व्यक्तियों के पास ये नोट कहां से आएं और ये लोग इन नोटों का क्या करने वाले थे, इस बात की अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। फिलहाल आयकर विभाग ने इन नोटों को जब्त कर लिया है और इस मामले की जांच चल रही है। इससे इस बात को बल मिला है कि नोटों के मामले में काफी धांधली हुई। यह भी आरोप लग रहे हैं कि बैंकों ने पिछले दरवाजे से अपने 'खास' लोगों को नए और बड़े नोट उपलब्ध करवाए हैं।
दूसरी ओर आम आदमी को बैंकें गंदे और सड़े गले-नोट दे रही हैं या फिर उन्हें निर्धारित 24000 रुपए भी बैंकें उपलब्ध नहीं करा पातीं। इससे यह सिद्ध होता है कि यही बड़ा कारण है कि लोगों तक पैसा नहीं पहुंच पा रहा है और एक बार फिर धन्ना सेठों की तिजोरियां नए नोटों से भरना शुरू हो गई हैं।
कालेधन का बढ़ रहा है दायरा : जानकारों का मानना है कि जिस तरह पुराने नोटों को पिछले दरवाजे से बदला जा रहा है, उससे कालेधन का दायरा और बढ़ जाएगा। यदि एक व्यक्ति को एक करोड़ के पुराने नोटों के बदले 70 लाख वापस मिलते हैं और संबंधित दलाल को 30 लाख रुपए मिलते हैं तो 30 उस व्यक्ति का कालाधन हो जाएगा। अभी तक जो कालाधन एक व्यक्ति के पास था, वह अब दो लोगों के पास चला गया।
बैंकों की मजबूरी : एक तर्क यह भी सामने आ रहा है कि नोटबंदी की इस पूरी कवायद में बैंकें अपने 'खास ग्राहकों' का खास ध्यान रख रही हैं। उन्हें वे हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवा रही हं क्योंकि उन्हीं के जरिए उनके वार्षिक टारगेट पूरे होते हैं। ऐसे में बैंक अपने बड़े ग्राहकों का ध्यान रख रहे हैं।