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क्या है विवादित इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक की हकीकत

हमें फॉलो करें क्या है विवादित इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक की हकीकत
, मंगलवार, 19 जुलाई 2016 (11:51 IST)
दावाह के लिए जाकिर नाइक कर रहे हैं दूसरे धर्मों का अपमान!
यूं तो जाकिर नाइक का समूचा व्यक्तित्व ही विवादित है, लेकिन बांग्लादेश में हुए आतंकवादी हमले के बाद वे बड़े विवाद में घिर गए हैं। दरअसल, इस विवादित इस्लामी धर्म प्रचारक पर आतंकवादियों को प्रेरित करने का आरोप भी लगा है। जाकिर इस्लाम के प्रचार की आड़ अन्य धर्मों का अपमान करने में भी नहीं चूकते। इस बीच, सरकार ने उनकी संदिग्ध गतिविधियों और वीडियो की जांच के निर्देश भी दिए हैं। पिछले दिनों उन्होंने अरब से ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई भी दी, लेकिन उनके भाषण हकीकत से मेल नहीं खाते। यह व्यक्ति इस्लाम का कितना भला कर रहा है यह तो पता नहीं, लेकिन यह तय है कि यह इस्लाम और अन्य संप्रदायों के बीच दूरियां बढ़ाने का काम जरूर कर रहा है।

डॉ. जाकिर नाइक उन लोगों के बीच स्पीच देते हैं जिन्होंने वेद, गीता, उपनिषद, बाइबल, तौरेत और गुरुग्रंथ साहिब को नहीं पढ़ा है या जिन्होंने कुरआन को नहीं पढ़ा है। यह भी हो सकता है कि जिन्होंने कुछ भी नहीं पढ़ा हो। यह भी हो सकता है कि कुछ ने पढ़ा तो है, लेकिन वे सभी इसलिए चुप हैं, क्योंकि जाकिर प्रचार का कार्य कर रहे हैं। जिन्होंने नहीं पढ़ा निश्चित ही वे सभी जाकिर की बातों को सुनकर उन पर सहज भी विश्वास कर लेंगे और यह जानने की कोशिश नहीं करेंगे कि जाकिर ने जिन सूत्रों और आयतों का हवाला दिया है क्या वे सही हैं, क्या उन्हें संदर्भ काटकर कहा गया है या कि कहीं उन्होंने उसका गलत अर्थ निकालकर तो नहीं कहा?

वीडियो...
भारत और दुनिया को ऐसे धार्मिक नेताओं की जरूरत है, जो धर्मों के बीच समानताएं ढूंढें न कि उनकी रैंकिंग करें कि कौन ऊपर है और कौन नीचे। जाकिर यह बताते हैं कि इस्लाम ऊपर है और बाकी सब नीचे। यदि हम तर्कों से और गलत व्याख्या से ही यह सिद्ध करना चाहते हैं तो फिर ऐसा करने में दूसरे धर्म के लोग भी सक्षम हैं और जाकिर से कहीं ज्यादा सक्षम हैं।
 
जाकिर नाइक का उद्देश्य है गैर-मुस्लिमों को मुसलमान बनाना। इसके लिए वे गैर-मुस्लिमों के धर्मों का मखौल उड़ाते हुए इस्लाम को लोगों के बीच प्रचारित और प्रसारित करते हैं। वे कई जगह पर वेद और कुरान की तुलना भी करते हैं और उनके कुछ वीडियो में वे हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाते हुए भी नजर आते हैं। यह सही है कि संविधान उन्हें उनके धर्म के प्रचार की छूट देता है लेकिन क्या संविधान दूसरे के धर्म का अपमान करने की भी छूट देता है?
 
जाकिर नाइक का जन्म 1965 में मुंबई में हुआ। मुंबई स्थित मझगांव के सेंट पीटर स्कूल, केसी कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद डॉक्टरी की पढ़ाई टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज और बीवाईएल नायर चेरिटेबल हॉस्पिटल से की। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद जाकिर ने 1991 में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी जिसके जरिए वो मुस्लिमों और गैर-मुस्लिम लोगों को इस्लाम के बारे में बताते हैं। बचपन में हकलाने वाले जाकिर नाइक ने मझगांव में इस्लामिक इंटरनेशनल स्कूल खोला हुआ है, जहां उनकी दो बेटियां और बेटा भी पढ़ते थे। उनकी पत्नी फरहत इस स्कूल की महिला विंग की प्रमुख हैं। कहते हैं कि जाकिर नाइक का बेटा भी बाप के पदचिह्नों पर चल रहा है। जाकिर नाइक 2013 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पैनल यूनिवर्सिटी कोर्ट के भी सदस्य भी रह चुके हैं। हाल ही में वे इस पद से मुक्त हुए हैं।
 
इनसे प्रभावित है इस्लाम का यह तथाकथित धर्म प्रचारक... पढ़ें अगले पेज पर....

इनसे प्रभावित हैं जाकिर नाइक : जाकिर ने मुंबई के टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड बीवाईएल चैरिटेबल हॉस्पिटल से अपनी एमबीबीएस के आखिरी साल में दक्ष‍िण अफ्रीका के इस्लामिक उपदेशक अहमद दीदात का लैक्चर सुना था। दीदात ने तब दूसरे धर्मों के मुकाबले इस्लाम को महान साबित करके मुसलमानों के बीच काफी नाम कमाया था। 2006 में जब डॉ. नाइक से पूछा गया कि तबलीग की ओर उनका रुख क्यों हुआ और किस व्यक्ति से प्रभावित होकर उन्होंने ऐसा किया? इसके जवाब में उन्होंने कहा भी था कि वे दक्षिण अफ्रीका के प्रसिद्ध उपदेशक मुनाजिर अहमद दीदात से प्रभावित हैं और उन्हीं से प्रेरणा पाकर वे इस क्षेत्र में आए हैं। 
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अहमद दीदात गुजरात के सूरत में पैदा हुए थे। डॉ. जाकिर नाइक ने 1987 में अहमद दीदात से मुलाकात की थी और उन्हें तबलीग के क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा मिली। इसके 3 साल बाद जाकिर नाइक ने दावात के क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया। जाकिर नाइक ने इस्लाम की दावाह (दावते इस्लाम) व तबलीग (धर्म प्रचार) के लिए पारंपरिक उलेमा का रास्ता अख्तियार नहीं किया बल्कि अपना रास्ता खुद चुना।
 
कुछ विद्वान मानते हैं कि उन्होंने काफिर कहे जाने वाले और कादियानी अहमदी समाज से ताल्लुक रखने वाले जनाब मौलाना अब्दुल हक विद्यार्थी की एक किताब पढ़ रखी है जिसमें उन्होंने पैगंबर मोहम्मद सल्ल. के दुनिया के अन्य धर्मों की किताबों में जिक्र होने का उल्लेख किया है। यह किताब सन् 1936 में लिखी गई थी जिसका नाम 'Muhammad in World scriptures' मतलब 'दुनियावी किताबों में मुहम्मद' अर्थात विश्व की पुस्तकों में मुहम्मद है। आरोप है कि जाकिर के इस संबंध में दी गई तकरीर हू-ब-हू इसी से ली गई है।
 
यदि कोई मुहम्मद सल्ल. को चाहने वाला होगा तो वह कतई यह नहीं कहेगा कि 'भविष्य पुराण में उल्लेखित 'महामद' ही हज. मोहम्मद है। जाकिर नाइक ने अपनी स्पीचों में यह कई बार कहा और यह भी कहा कि हिन्दुओं का कल्कि अवतार कोई और नहीं, यह हजरत मोहम्मद ही हैं। पुराणों और वेदों में लिखी बातों की गलत व्याख्या करने से पहले यह तो सोचना चाहिए था कि कहीं इस व्याख्‍या से हजरत मोहम्मद सल्ल. की तोहीन तो नहीं हो रही?
 
देखीए कब होगा कल्कि अवतार...
क्या सचमुच विद्वान हैं जाकिर? : एमबीबीएस डॉ. जाकिर नाइक का उद्देश्य तर्क के द्वारा दूसरे के धर्म का मजाक बनाना और खुद के धर्म को सत्य ठहराना रहा है। यह कोई नई बात नहीं है। यह मध्यकाल से ही चला आ रहा है। खुद को इस्लाम और दूसरे धर्मों का विद्वान कहने वाले जाकिर नाइक ने क्या सचमुच ही दूसरे के धर्मों का गहराई से अध्ययन किया है? यह तो माना जा सकता है कि उन्होंने मदरसे में कुरआन को तो अच्छे से पढ़ ही लिया होगा, लेकिन क्या अच्छे से वेद और त्रिपिटक को पढ़ा है? सिर्फ कुछ सूत्र निकालकर हर कोई स्पीच दे देगा। क्या जाकिर को पता हैं कि त्रिपिटक के लाखों पन्ने हैं। चारों वेदों के हजारों श्लोक हैं।
 
कहते हैं कि उन्होंने कुरआन, हदीस, सीरत, वेद, पुराण, उपनिषद, भगवद् गीता, मनुस्मृति, महाभारत, तौरेत, बाइबल, धम्मपद, गुरुग्रंथ साहिब सब कुछ पढ़ डाला है। उनकी लाइब्रेरी में धर्म और दर्शन से संबंधित 50 हजार किताबें हैं। दरअसल, उन्होंने सभी पढ़ा ही नहीं बल्कि याद भी कर लिया है। इसी आधार पर वे दुनिया की हर मजहबी किताब में मुहम्मद सल्ल. के जिक्र होने का दावा भी करते हैं।
 
जाकिर नाइक को लेकर एक और नया खुलासा हुआ है। जाकिर के पूर्व सहयोगी और पीस टीवी के पूर्व कर्मचारी जुबैर खान ने खुलासा किया है कि जाकिर नाइक की पूरी स्पीच उनकी रिसर्च टीम तैयार करती थी। जुबैर ने बताया कि बाद में उसे अच्छे से एडिट करके हम स्पीचों को जोड़ते थे। फिर वो स्पीच दुबई से अपलिंक होता था। ...इससे क्या सिद्ध होता है? 
 
जाकिर का सोशल साम्राज्य : धर्म प्रचारक जाकिर गैर-मुस्लिमों को इस्लाम के बारे में समझाते वक्त उन्हें इस्लाम की दावत भी देते हैं। जाकिर की सभा में खुलेआम धर्मांतरण भी किया जाता है। 1994 से 2005 तक जाकिर नाइक के सैकड़ों और हजारों व्याख्यान पूरी दुनिया में फैल चुके थे। जाकिर नाइक पिछले 20 सालों में 30 से ज्यादा देशों में 2,000 से भी ज्यादा सभाएं कर चुके हैं। फेसबुक और ट्विटर पर उनके डेढ़ करोड़ से अधिक फॉलोअर हैं। जाकिर के ऑफिस में उनकी एक बड़ी टीम उनके ई-मेल, ट्व‍िटर, यू-ट्‍यूब और फेसबुक अकाउंट को हैंडल करती है। यू-ट्यूब पर जाकिर के वे सभी विवादित वीडियो अपलोड हैं जिन्हें देख और सुनकर देश में असंतोष की आग जल रही है।
 
जाकिर का पीस टीवी : इसके अलावा अपने दावाह को दुनियाभर में आम करने के लिए उन्होंने कई भाषाओं में टीवी चैनल शुरू किया जिसका नाम पीस टीवी रखा। उर्दू, बांग्ला, अंग्रेजी, चीनी भाषाओं में प्रसारित होने वाला उनका पीस टीवी चैनल दुनियाभर में 20 करोड़ से भी अधिक लोग देखते हैं। भविष्य में अरबी और फ्रेंच भाषा में भी पीस टीवी लांच किए जाने की तैयारी चल रही है। पीस टीवी का उद्देश्य उन मुसलमानों और गैर-मुस्लिमों तक पहुंच बढ़ाना है, जो कि गैर-मुस्लिम मुल्क के हैं।
 
कहने को तो पीस टीवी दुबई से प्रसारित किया जाता है, लेकिन उसका सारा काम मुंबई से होता है। सूचना व प्रसारण मंत्रालय साल 2008 और 2009 में पीसी टीवी के लाइसेंस की अर्जी को खारिज कर चुका है। फिर भी यहां पीस टीवी दिखने के लिए उसने गैर-कानूनी हथकंडे अपनाए हैं। पीस टीवी के कार्यक्रम ज्यादातर जाकिर नाइक के भाषणों, तकरीरों, सर्वधर्म बहस, तुलनात्मक अध्ययन और विवादित सवाल के जवाब जैसे शो पर आधारित होते थे जिसमें दूसरे धर्मों को कुतर्कों द्वारा असिद्ध किया जाता है।
 
कोट-पैंट पहने जाकिर नाइक पूरी दुनिया में घूम-घूमकर दूसरे धर्मों का मजाक बानाते हुए इस्लाम पर लैक्चर देते हैं। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य मुल्कों में उनके समर्थकों की संख्या जब बढ़ने लगी, तब उनके कट्टरपंथी विचार खुलकर सामने आने लगे। वे दूसरे धर्मों के लोगों द्वारा किए गए वैचारिक हमले का भी जवाब देने लगे। इस तरह वे धीरे-धीरे विवादित उपदेशक बन गए। जिस रफ्तार से वो पूरी दुनिया में तकरीरें देने लगे, उसी रफ्तार से उनकी तकरीरों को सुनकर युवक आतंकी गतिविधियों में भी शामिल होने लगे।
 
जाकिर के भाषणों से सभी खफा : हिन्दू, सिख और ईसाई ही नहीं, जाकिर के भाषणों से मुसलमान भी खफा हो गए थे। जाकिर ने साई बाबा का भी अपमान किया था। 2009 में जाकिर के भाषणों के चलते सुन्नी मौलवी उनके खिलाफ एकजुट हो गए थे और शिया भी नाइक के खिलाफ एकजुट होकर मुंबई के तत्कालीन ज्वॉइंट कमिश्नर केएल प्रसाद के पास शिकायत लेकर चले गए थे। प्रसाद ने जाकिर से माफी मंगवाकर इस मामले को सुलझाया था। कई लोग यह मानते हैं कि जाकिर इस्लाम की गलत व्याख्या करते हैं। वे वहाबी और सलाफी विचारधारा से प्रभावित हैं। जाकिर के पूर्व सहयोगी और पीस टीवी के पूर्व कर्मचारी जुबैर खान का आरोप है कि जाकिर दुनिया के सामने कुछ और तथा असल जिंदगी में कुछ और हैं। जाकिर इस्लाम को लेकर लोगों को सिर्फ बेवकूफ बना रहा।
 
जाकिर से क्यों प्रभावित होते हैं आतंकवादी... पढ़ें अगले पेज पर....

क्यों प्रभावित होते हैं आतंकी : दरअसल, जाकिर नाइक उस कट्टरपंथी विचारधारा के समर्थक हैं जिसे वहाबी कहते हैं। माना जाता है कि दुनियाभर में वहाबी विचारधारा के लोग ही आतंकवाद को फैलाने के लिए दोषी हैं। इस्लाम के 73 फिरकों में सबसे अतिवादी और दहशतगर्द फिरका सुन्नी माना गया है। सुन्नियों में भी वहाबी और सलाफी नामक फिरके को आतंक के लिए जिम्मेदार माना जाता है। वहाबी फिरका 18वीं सदी में अपने वजूद में आने से लेकर आज तक बड़े-बड़े दहशतगर्दों के संगठन जैसे अल कायदा, बोको हराम, हमास, हिज्बुल्ला, तालिबान आदि को पैदा करने के लिए जाना जाता है।
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दरअसल, वहाबी-सलाफी विचारधारा और इस्लामी कट्टरपंथ में उन्हें एक ऐसा मार्ग मिल जाता है, जो उन्हें सही लगता है, क्योंकि यह कायदों का मार्ग है, उसमें हुक्म हैं और पाबंदियां हैं और यह एक ऐसा मार्ग है, जो आस्तिक और नास्तिक के बीच एक साफ लकीर खींचता है। इस तरह से यह विचारधारा उन्हें इस बात का एहसास दिलाती है कि वे एक एलीट-ग्रुप का हिस्सा हैं, जो दुनिया को बचाने का काम कर रहा है और यही अल्लाह का सच्चा मार्ग है। बाकी सभी मार्ग दोजख में डालने वाले, गफलत से भरे मार्ग हैं।
 
वहाबियों ने बहुत-सी सूफी दरगाहों और यहां तक कि मुहम्मद (सल्ल.) की मजार भी जमीन में मिला दी, क्योंकि उनकी नजर में यह शिर्क है। जाकिर भाई भी मन्नत मांगने, मजार पर जियारत करने आदि को शिर्क कहते हैं और इसको गैर-इस्लामी करार देते हैं। इसके अलावा जाकिर ने गोश्त खाने, मजार पर मन्नत मांगने, मूर्ति पूजने, मुस्लिम मुल्क में गैर-मुस्लिमों पर पाबंदी लगाने, स्त्रियों पर पाबंदी लगाने आदि के संबंध में अपने कट्टरपंथी विचारों से सभी को अच्छे से अवगत करा रखा है। कुछ लोग उन्हें कुतर्की मानते हैं।
 
ये आतंकवादी प्रभावित थे जाकिर नाइक से : 2010 में मुंबई में जाकिर नायक ने कहा था कि 'मैं सारे मुस्लिमों से कहता हूं कि हर मुसलमान को आतंकी होना चाहिए। आतंकी मतलब ऐसा आदमी, जो पूरी दुनिया में डर फैलाए।' बांग्लादेश हमले के संदिग्ध आतंकी रोहन इम्तियाज ने जाकिर नायक के इसी बयान को फेसबुक पर लिखकर मुस्लिमों से आतंकवादी बनने की अपील की थी।
 
2009 में न्यूयॉर्क के सब-वे में फिदायीन हमले की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार नजीबुल्ला जाजी के दोस्तों ने बताया कि वो काफी वक्त तक डॉ. नाइक की तकरीरों को टीवी पर देखता था। 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में आरोपी राहिल शेख भी डॉ. नाइक से प्रभावित था। 2007 में बेंगलुरु का एक शख्स कफील अहमद ग्लासगो एयरपोर्ट को उड़ाने की कोशिश करते हुए घायल हो गया। जांच में पता चला कि जिन लोगों की बातों से वो प्रभावित था उनमें से डॉ. जाकिर नाइक भी एक था। डॉ जाकिर आतंकी कनेक्शन को लेकर पहले भी चर्चा में रहे हैं। 7/11 बम धमाकों में एक आरोपी राहिल रिसर्च फाउंडेशन में आता था। 
 
ढाका हमले में मारे गए 6 में से 2 आतं‍की निब्रास इस्लाम और रोहन इम्तियाज जाकिर से प्रभावित थे और उसकी स्पीच सुनते थे। इम्तियाज ने तो पिछले साल जाकिर की एक स्पीच को फेसबुक पर शेयर भी किया था। भारत के हैदराबाद में पकड़े गए युवक भी जाकिर से प्रभावित थे। उल्लेखनीय है कि डॉक्टर नाइक ओसामा बिन लादेन की तारीफ कर चुके हैं।
 
ट्विटर पर साल 2012 से आतंकी बुरहान वानी ने @Gazi_Burhan2 हैंडल से अकाउंट बनाया हुआ है। उसने अपने आखिरी ट्वीट में लिखा था- Support Zakir Naik or Time Will Come When Qur’an Recitation will be Bannedpic.twitter.com/pVfoSLnCEj — Burhan Bhai (@Gazi_Burhan2) July 8, 2016...यानी जाकिर का समर्थन कीजिए, वरन ऐसा समय भी आ जाएगा जब कुरान पढ़ने पर भी पाबंदी लगा दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि गाजी शब्द का अर्थ होता है वह मुस्लिम जिसने इस्लाम धर्म के प्रचार के रास्ते में आने वाले हर काफिर को मिटा दिया हो और मुसलमानों में वह वीर या योद्धा जो धर्म के लिए विधर्मियों से युद्ध करता हो।
 
जाकिर पर प्रतिबंध : हाल ही में बांग्लादेश ने जाकिर के चैनल पीस टीवी पर प्रतिबंध लगा दिया है। 2011 से ब्रिटेन और कनाडा में जाकिर के लैक्चर बैन हैं। मुंबई पुलिस ने उनको शहर में कांफ्रेंस करने पर पाबंदी लगा रखी है। कनाडा, ब्रिटेन और मलेशिया समेत पांच देशों में नाईक प्रतिबंधित हैं। भारत सहित अन्य देश भी अब उनके भाषणों की जांच में जुट गए हैं।
 
पिछले सप्ताह मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर और बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह ने अपने खुलासे में कहा था कि उन्होंने 2008 में मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते जाकिर नाइक से संबंधित एक रिपोर्ट दी थी लेकिन सरकार ने उस पर कोई कार्रवाई नही की। सूत्रों के मुताबिक जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को यूके और सऊदी अरब से 2012 में 15 करोड़ रुपए मिले थे। अब गृह मंत्रालय जांच कर रहा कि इस फंड को कहां खर्च किया गया। जाकिर के दफ्तर में जकात और चंदे के नाम पर करोड़ों रुपया आता है।
 
शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने नाइक को उस नेटवर्क का हिस्सा बताया है, जो छद्म रूप से आतंकवाद को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है। गुरुवार को मौलाना जव्वाद ने कहा कि सरकार को विवादित मुस्लिम धर्म प्रचारक के खिलाफ जरूर कार्रवाई करनी चाहिए। विदेश से उसकी भारी फंडिंग की भी जांच की जानी चाहिए। उनका कहना था, "दुनिया में आतंकवाद फैलाने के लिए इस तरह के धर्म प्रचारक ज्यादा जिम्मेदार हैं। इस तरह के लोग आइएस के प्रति आकर्षित होने वाले युवाओं से ज्यादा खतरनाक हैं। नाइक इस प्रकार के लोगों के नेटवर्क का हिस्सा है। मौलाना कल्बे जव्वाद बोले, 'जब नाइक यह कहता है कि मुस्लिम युवकों को अमेरिका के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना चाहिए तो ऐसा कह कर वह युवाओं को भड़का ही रहा है। जाकिर नाइक वहाबी विचारधारा का प्रचारक है। सभी आतंकवादी इसी विचारधारा के अनुयायी हैं।'
 
अगले पन्ने पर हिन्दुओं के प्रति नफरत का प्रचार...

हिन्दुओं के प्रति नफरत का प्रचार : अधिकतर भारतीय मुसलमान उन्हें इसलिए अच्छा मानते हैं, क्योंकि उन्होंने हिन्दू धर्म का खंडन-मंडन किया। उन्होंने यह पाठ पढ़ाया कि गैर-मुस्लिमों की भावनाओं की परवाह करने से अच्छा है अल्लाह को चाहना।
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उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पूर्वज सभी हिन्दू थे इसलिए अभी भी हमारे कुछ मुसलमान भाइयों की मजार जाने की आदत नहीं गई है, जो कि मूर्ति पूजा का ही एक रूप है। जाकिर हिन्दुओं की मूर्ति पूजा करने का भी मजाक उड़ाते हैं। जाकिर हिन्दुओं को अनेकेश्वरदावी या बहुदेववादी मानकर भी इसका मजाक बनाते हैं। हालांकि वे वेदों के कुछ श्लोक निकालकर यह कहते हैं कि वेदों में भी मूर्ति पूजा का विरोध किया गया है। वेद भी एकेश्वरवाद की घोषणा करते हैं, लेकिन हिन्दू भटके हुए हैं।
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जाकिर कहते हैं कि हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवता हैं, लेकिन लोगों को 33 के बारे में नहीं पाता। महाभारत के युद्ध में कृष्ण और अर्जुन के उस संवाद का जिक्र करते जिसमें कृष्ण अर्जुन के हथियार डाल देने पर उन्हें समझाते हैं। जाकिर नाईक गीता के हवाले से कहते हैं कि इसमें कत्ल का संदेश है।
 
भगवान शिव और गणेशजी का अपमान : जाकिर ने अपनी एक स्पीच में कहा कि भगवान शिव कैसे भगवान हैं, जो अपने पुत्र को ही नहीं पहचान सके और उसकी गर्दन काट दी। फिर उसकी गर्दन पर हाथी का सिर लगाया। उस हाथी के सिर लगे हुए को ये लोग (हिन्दू) भगवान मानते हैं। वे कहते हैं कि आपका भगवान अपने बेटे को नहीं पहचान सकता तो मैं तकलीफ में होऊंगा तो मुझे कैसे पहचानेंगे? जाकिर कहते हैं कि बस आपको अपना मुंह खोलकर अपने गैर-मुस्लिम भाइयों से बस यही कहना है।
 
यदि जाकिर ने भगवान शिव के संपूर्ण चरित्र और उनके कार्यों को पढ़ा होता तो वे हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को यूं आहत नहीं करते। चूंकि उन्होंने यह बात इस्लाम की दावत देने के संदर्भ में कही इसलिए इस कुतर्क पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। जाकिर खुद को यह कहते हैं कि अल्लाह के खिलाफ बोलने वाले का सिर काट देने चाहिए लेकिन शिव के खिलाफ बोलने वाले के साथ क्या सलूक किया जाना चाहिए? जाकिर को मालूम है कि शिव कौन हैं? हिन्दुओं के लिए शिव क्या हैं?
 
अपनी एक स्पीच में जाकिर नाइक 'अवतार' शब्द का अर्थ बताते हुए कहते हैं कि अवतार का अर्थ अव+त्र अर्थात भेजा हुआ, लेकिन जाकिर द्वारा निकाला गया अर्थ सही नहीं है। अवतार का संबंध अवतरण से होता है। किसी में किसी का उतरना अवतरित होना। भगवान का पृथ्वी पर अवतरण, जन्म लेना अथवा उतरना ही 'अवतार' कहलाता है। जाकिर नाइक ओशो रजनीश के खुद को भगवान कहने पर भी आपत्ति उठाते हैं। दरअसल जाकिर को भगवान शब्द का अर्थ नहीं मालूम है। भगवान कौन? भगवान का अर्थ ईश्वर या परमेश्‍वर नहीं। ईश्‍वर तो एक ही है, जो अजन्मा है और जिसने किसी को जना नहीं है, लेकिन भगवान कई हैं। 'भगवान' शब्द संस्कृत के 'भगवत' शब्द से बना है। 'भगवान' शब्द का स्त्रीलिंग भगवती है। जितेंद्रिय और स्थित प्रज्ञ को भगवान कहते हैं।
 
क्यों नहीं कर सकते जाकिर पर कार्रवाई? : वर्तमान में सभी धर्मों में कट्टरपंथी विचारधारा अपने चरम पर है। किसी की धार्मिक भावनानों को आहत करने पर मुस्लिम देशों में फांसी पर लटका दिया जाता है जबकि गैर-मुस्लिम देशों में गिरफ्‍तार करके उस पर मुकदमा चलाया जाता है और वहां के कानून के अनुसार एक तय सजा को भुगतना होता है। डॉ. जाकिर नाइक ने अपनी स्पीचों में हिन्दुओं की भावनाओं को एक बार नहीं कई बार आहत किया, लेकिन वे चर्चा में तब आए जबकि बांग्लादेश में विस्फोट करने वाले आतंकवादी उसके फैन निकले।
 
यू-ट्यूब पर अपलोड जाकिर की तकरीरों के कुछ विवादित बोल...

* इस्लाम एकमात्र सही धर्म है इसलिए हम (इस्लामिक देशों में) दूसरे धर्मों को फैलाने की अनुमति नहीं देते। जब धर्म ही गलत है, चर्च में पूजना गलत है, बुतपरस्ती गलत है, इसलिए हम गलत चीज हमारे मुल्क (इस्लामिक देशों) में स्वीकार नहीं करेंगे।...जाकिर नाईक साहब फरमाते हैं कि मुस्लिम देशों में किसी अन्य धर्मांवलम्बी को किसी प्रकार के मानवाधिकार प्राप्त नहीं होने चाहिए, यहां तक कि किसी अन्य धर्म के पूजा स्थल भी नहीं बनाए जा सकते।
 
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* मुसलमान का धर्म परिवर्तन : मेरे बेटे ने कई गैर-मुसलमानों का इस्लाम में धर्म परिवर्तन कर दिया है। अगर मेरा बेटा धर्म परिवर्तन कर ले तो वो मेरा बेटा ही नहीं रहेगा। धर्म का भाईचारा खून के रिश्ते से बड़ा होता है। अगर मेरा बेटा गैर-मुसलमान से शादी कर लेता है तो मैं उससे कहूंगा कि तुम जहन्नुम में जाओगे। उसे मेरी जायदाद का कोई हिस्सा नहीं मिलेगा, क्योंकि वो मुसलमान नहीं रहा।
 
जाकिर नाईक साहब फरमाते हैं कि यदि कोई व्यक्ति मुस्लिम से गैर-मुस्लिम बन जाता है तो उसकी सजा मौत है, यहां तक कि इस्लाम में आने के बाद वापस जाने की सजा भी मौत है।

देखें वीडियो...
* ओसामा बिन लादेन पर : अगर वो (ओसामा बिन लादेन) इस्लाम के दुश्मनों से लड़ रहा है, मैं उसके साथ हूं। मैं उन्हें नहीं जानता। मैं उनके संपर्क में नहीं हूं। अगर वो सबसे बड़े आतंकी अमेरिका को डरा रहा है, तो मैं उसके साथ हूं। हर मुसलमान को आतंकी होना चाहिए। अगर वो आतंकी को डरा रहे हैं, वो इस्लाम का पालन कर रहे हैं। क्या वो ऐसा कर रहे हैं, मुझे नहीं पता। आप बाहर जाकर ये न कहिए कि जाकिर नाइक ओसामा बिन लादेन के पक्ष में है।
 
* सानिया मिर्जा की स्कर्ट : सानिया मिर्जा जो कपड़े पहनती हैं वो हराम है, इस्लाम के खिलाफ है। लेकिन वो उन मुसलमान क्रिकेटरों से कम दोषी हैं, जो नमाज नहीं पढ़ते। उन मुसलमान कलाकार से कम दोषी हैं, जो फिल्मों में शिर्क (गैर-इस्लामी काम) करते हैं। अगर बीच वॉलीबॉल अंतरराष्ट्रीय खेल बन जाता है तो क्या आप अपनी बेटियों को इसे खेलने के लिए बिकिनी में भेजेंगे? कुछ लोग कहते हैं कि ऐसे कपड़े से उनका प्रदर्शन बेहतर होता है। तो फिर तैराकी में क्यों नहीं पुरुषों और महिलाओं से कहा जाता कि वे नग्न तैरें, उससे प्रदर्शन और बेहतर होगा? हमें (मुसलमानों को) ऐसे सवालों का जवाब देना आना चाहिए और बहस को पलट देना चाहिए।
 
* सुसाइड हमलों पर : शेख सलमान ओहदा कहते हैं, आम परिस्थितियों में आत्महत्या हराम है लेकिन अगर समय की जरूरत हो, जैसे फिलीस्तीन में हजारों लोगों की हत्या हो रही है, वहां अगर मौत का खतरा हो और विपक्ष को नुकसान हो सकता है तो आखिरी उपाय के तौर पर शरिया, कुरान और हदीस के नियमों का पालन करते हुए सुसाइड किलिंग, बांबिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है...। मैं शेख सलमान ओहदा से इत्तफाक रखता हूं।
 
* तालिबान पर : (मलेशिया में एक डॉक्टर दंपति ने बताया कि) तालिबान की पगड़ी पहनने का तरीका अलग है। वो डॉक्टर कहने लगे मुझसे कि जिस तरीके से बीबीसी और सीएनएन में दिखा रहे थे, तालिबान औरतों को मार रहे हैं, वो तालिबान हैं ही नहीं। वो कलाकारों को लेकर आए थे। ...मीडिया ऐसी चीज है कि किसी को भी हीरो या जीरो बना सकती है।
 
* दासता : लोग कहते हैं कि कुरान दासता की बात करता है, क्या ये सही है? मैं कहता हूं, हां क्यों नहीं। आपको पता है क्यों? दासता पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध है लेकिन आपको पता है कि ग्वांतानामो-बे में क्या हो रहा है? इस्लामिक कानून ग्वांतामो-बे में जो हो रहा है उससे बहुत बेहतर है। इस्लामी कानून में कैदियों को इधर-उधर घूमने की आजादी है।

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