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राष्ट्रपति ट्रम्प पर महाभियोग लाने की विपक्ष की कोशिशें

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शरद सिंगी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर इस समय महाभियोग की कार्यवाही चल रही है। उन पर आरोप है कि राजनैतिक लाभ के लिए उन्होंने संविधान प्रदत्त अपने अधिकारों और शक्तियों का दुरुपयोग किया है। कहानी को समझने के लिए पहले आपको इस कहानी के किरदारों से परिचय करवाते हैं। ट्रम्प को तो हम जानते ही हैं, जो इस कहानी के नायक हैं किन्तु विपक्ष का प्रयास है कि उनको खलनायक सिद्ध किया जाए।
 
कहानी के दूसरे किरदार हैं अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति 'जो बिदेन', जो ओबामा के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति थे और उनके पुत्र हंटर बिदेन, जो यूक्रेन की एक गैस कंपनी में बोर्ड के सदस्य थे। बिदेन अगले वर्ष के आम चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने की दावेदारी रखते हैं। कहा जाता है कि यदि उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी से टिकिट मिलती है तो वे ट्रम्प को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। 
 
अगले किरदार हैं यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की। इनके अतिरिक्त कुछ सह-कलाकार भी हैं। हुआ दरअसल यूँ कि ट्रम्प ने यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ एक फोन वार्ता के दौरान अपने भावी राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी 'जो बिदेन' और उनके पुत्र पर वित्तीय हेराफेरी की जाँच करवाने की मांग रख दी। ट्रम्प का कहना है कि 'जो बिदेन' ने अपने कार्यकाल के दौरान अपने पुत्र के पक्ष में यूक्रेन पर दबाव डाला था।  
 
इस फोन वार्ता की रिपोर्ट करने वाले मुखबिर ने वार्ता का कुछ ऐसा निष्कर्ष निकाला कि यदि ट्रम्प की मांग नहीं मानी गयी तो वे सैन्य सहायता रोक सकते हैं। बाद में ट्रम्प ने सैन्य सहायता को रोक भी दिया।

व्हाइट हॉउस के प्रवक्ता सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुके हैं कि ट्रम्प ने सैन्य सहायता को रोक दिया ताकि यूक्रेन जांच करने के लिए बाध्य हो। विपक्ष का आरोप है कि ट्रम्प ने यूक्रेन के राष्ट्रपति से गलत तरीके से अपनी मांग रखी जो घूस की श्रेणी में आती है और इस प्रकार अमेरिका के चुनावों में विदेशी दखलंदाजी आमंत्रित की है।  
 
दूसरी ओर ट्रम्प का आरोप है कि जबसे वे राष्ट्रपति बने हैं विपक्ष के पास और कोई मुद्दा नहीं है, वे बस किसी भी गैर मुद्दे को लेकर उन पर अभियोग चलाकर उन्हें राष्ट्रपति पद से हटाने की फ़िराक में हैं। ट्रम्प ने अपनी ओर से बताने की कोशिश की है कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति के सामने ऐसी कोई शर्त नहीं रखी थी कि 'आप करो तो हम करें' इसलिए पद से हटने का कोई प्रश्न ही नहीं। वहीं उनके समर्थकों का भी मानना है कि राष्ट्रपति बिलकुल सही हैं। यदि उन्हें कुछ गलत दिखा है तो यूक्रेन से जाँच की मांग करने और उस पर दबाव डालने में कोई अपराध नहीं है। 
 
वाशिंगटन का राजनैतिक तापमान गर्म है। रोज नए राज खुल रहे हैं। इस महाभियोग को झेलने वाले ट्रम्प अमेरिकी इतिहास में तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति बन सकते हैं। डेमोक्रेट्स उन्हें हटाने पर तुले हैं और रिपब्लिकन्स बचाने के लिए जूझ रहे हैं। आने वाले दिन रिपब्लिकन पार्टी के लिए भी महत्वपूर्ण होंगे, जो यह सिद्ध करने की कोशिश करेगी कि ट्रम्प ने निर्धारित विदेश नीति और उसके द्वारा प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करने के अलावा और कुछ नहीं किया है। 
 
डेमोक्रेट्स सिद्ध करना चाहते हैं कि ट्रम्प का 400 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता का वादा सशर्त था। अभियोग चलने के बाद यदि आरोप सिद्ध भी होता है तो अमेरिका के कानून के अनुसार ट्रम्प को हटाने का प्रस्ताव अमेरिका के दोनों सदनों में पारित होना चाहिए। वर्ष के अंत तक मतदान होने की उम्मीद है। 
 
एक सदन में विपक्ष का बहुमत है और दूसरे में ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी का। अभी तक इस मुद्दे को लेकर रिपब्लिकन पार्टी में कोई दरार नहीं दिखी है। वहीं सीनेट में यह प्रस्ताव पास होने के लिए दो तिहाई बहुमत चाहिए, जो आज तो असंभव दिखता है। 
 
यद्यपि संकेत तो यही हैं कि ट्रम्प ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है किन्तु कुल मिलाकर यह पटाखा फुस होता दिखता है। समय और पैसों की बर्बादी से अधिक कुछ नहीं। सच तो यह है कि विपक्ष तो विपक्ष है, पूरी दुनिया में एक जैसा है।

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