फिल्म, बॉलीवुड, आत्महत्या, हत्या, प्यार,काला जादू, ब्लैकमेलिंग, ड्रग, महाराष्ट्र बनाम बिहार और अब हरामखोर। स्तर यहां तक आ पहुंचा है।
सोशल मीडिया के सबसे एलिट माध्यम माने जाने वाले ट्विटर पर ट्रेंड चल रहा है हैशटैग हरामखोर।
महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय नेता बाला साहेब ठाकरे की पार्टी शिवसेना के सबसे बड़े नेता संजय राउत ने अभिनेत्री कंगना रानौत को ‘हरामखोर लड़की’ बोला है। इसके पहले उन्होंने कंगना को कहा था कि मुंबई न आए। कंगना ने मुंबई की तुलना पीओके से कर डाली थी।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद चल रहे यह सब के बाद ऐसा लग रहा है किसी ने दुनिया के ‘हमाम’ का दरवाजा खोल दिया है। जिसमें राजनीति, बॉलीवुड और इस देश के ज्यादातर लोगों की मानसिकता उजागर हो गई है।
सुशांत सिंह की मौत को करीब तीन महीने होने जा रहे हैं। सीबीआई, नॉरकोटिक्स और ईडी जैसी एजेंसियां मामले में जांच कर रही हैं।
पहले सिर्फ कहा गया था सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की है। फिर यह हत्या की तरफ आया। इसके बाद मुद्दा महाराष्ट्र बनाम बिहार हो गया। भाजपा और शिवसेना भी इसमें आमने-सामने हुए। फिर इसमें ड्रग कनेक्शन आए। ड्रग्स के तार मुंबई से लेकर गोवा, हैदराबाद और जयपुर तक पहुंचे। मीडिया का ‘सो कॉल्ड’ सच सामने आया। मार-काट प्रतिद्वंदिता। लांछन और नौटंकी।
सुशांत सिंह की मौत ने इस देश के लोगों के ‘हमाम’ का दरवाजा जैसे खोल दिया हो। सब उजागर हो गए। अभिनेत्री कंगना रनौत सुशांत मामले में लगातार बयानबाजी कर रही हैं। उसका तरीका गलत हो सकता है, लेकिन कुछ हद तक उसकी बातों में दम है। क्योंकि सुशांत की संदिग्ध मौत को जिस तरह से आत्महत्या करार देकर मुंबई पुलिस ने लीपापोती की उससे उसका चेहरा उजागर हो गया। मुंबई पुलिस के बचाव में महाराष्ट्र सरकार की भी पोल खुल गई, खामियां उजागर हो गईं और सरकार का मकसद साफ नजर आने लगा। दूसरी तरफ सुशांत के लिए पब्लिक सेंटिमेंट्स साफ निकल कर आया। कौन सच है कौन झूठ पब्लिक सब जानती है, सिर्फ कोर्ट में तय और साबित होना है।
सब अपने-अपने तरीके से लड़ रहे हैं। कोई रिया के लिए कोई सुशांत के लिए। कोई झूठ के लिए तो कोई सच के लिए।
जब कंगना ने मुंबई की तुलना पीओके से की तो गृहमंत्री अनिल देशमुख को काउंटर करने के लिए बयान देने लगे।
बाद में बात यहां तक आ पहुंची कि कंगना ने कहा कि मुंबई आ रही हूं रोक सको तो रोक लो। इसके जवाब में संजय उवाच सामने आया, उन्होंने कंगना को ‘हरामखोर लड़की’ कह डाला।
‘हरामखोर लड़की’ ट्विटर पर ट्रेंड है। इसमें खूब छिछालेदर हो रही है। कोई गाली दे रहा है तो कोई मजाक उड़ा रहा है। जो इस खेल में शामिल हैं सिर्फ वही नहीं, जो इस खेल को देख रहे हैं वो भी उजागर हुए हैं। कुछ सिर्फ देख रहे हैं। सिर्फ दीया मिर्जा ने ऐतराज जताया है संजय राउत की भाषा पर। जो अक्सर अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर तख्ती हाथ और गले में लटका कर आ जाते हैं वे गायब हैं। मानव अधिकार आयोग मौन है। मोमबत्ती गैंग न दिशा सालियान के लिए आई और न ही सुशांत सिंह राजपूत के लिए। उस गैंग ने सिर्फ रोहित वेमूला और गौरी लंकेश के लिए अपना पट्टा ले रखा है, उसके आंसू मौत को चेहरा, धर्म और उसका एजेंडा देखकर ही निकलते हैं, वरना तो सारे आंदोलन और प्रोटेस्ट निरर्थक है उनके लिए। जिस पर वो चाहते हैं वे सिर्फ उसी मौत पर रोते हैं।
सुशांत सिंह राजपूत ने सारे ‘हमाम’ के दरवाजें खोल दिए हैं। जिसमें मैं भी हूं, तुम भी और हम सब हैं। आखिर और कितने चेहरे उजागर करोगे सुशांत।
रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां इस युग में सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं।
‘समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध’
इन सब के बीच सुशांत सिंह राजपूत की मौत, हत्या, आत्महत्या कहीं गुम है, उसकी आत्मा ऊपर किसी आसमान से यह सब देख रही है जितना वो जीते जी नहीं रोया, उतना मृत्यु के पश्चात रो रहा है। अपनी मासूम-सी मुस्कान के पीछे।
नोट: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक की निजी अभिव्यक्ति है। वेबदुनिया का इससे कोई संबंध नहीं है।