How to get POK: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि अब पाकिस्तान से बात होगी तो POK और आतंकवाद पर ही बात होगी। पाकिस्तान को जल्द ही पीओके खाली करना होगा। अब सवाल है कि पीओके को भारत में शामिल करने के क्या रास्ते हो सकते हैं और इसमें क्या अड़चने आ सकती है?
 
									
			
			 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	POK लेने के 2 तरीके: पीओके को भारत में शामिल करने के दो ही रास्ते हैं- पहला पाकिस्तान से बातचीत के जरिये यह क्षेत्र खाली कराया जाए जो कि संभव नहीं नजर आता तब दूसरा रास्ता युद्ध ही बच जाता है।
 
									
										
								
																	
	 
	युद्ध में है कई जटिलताएं: 
	पाक अधिकृत कश्मीर (POK) को भारत में शामिल करने या उस पर नियंत्रण स्थापित करने की बात केवल भावनात्मक या राजनीतिक नहीं है, बल्कि इसमें कई जटिल रणनीतिक, सैन्य, दुर्गम क्षेत्र, कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय पहलू शामिल हैं। भारत का POK को पुनः प्राप्त करने की दिशा में निम्नलिखित अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है:
 
									
											
									
			        							
								
																	
	 
	1. सैन्य चुनौती:
	पाक सेना और आतंकी कैंप: POK में पाकिस्तानी सेना की भारी मौजूदगी है। इसी के साथ ही यहां पर आतंकवादियों के कई अड्डे हैं जिनके पास अत्याधुनिक हथियार है। भारत को इस क्षेत्र पर नियंत्रण पाने के लिए एक बड़े सैन्य अभियान की आवश्यकता होगी। 
 
									
											
								
								
								
								
								
								
										
			        							
								
																	
	 
	कठिन मौसम और दुर्गम मार्ग: भारत के जम्मू और कश्मीर और उधर के जम्मू-कश्मीर के बीच कई दुर्गम जंगल और ऊंचे ऊंचे पहाड़ है जिन्हें पार करना कठिन है। दूसरा यह कि इस क्षेत्र का मौसम भी एक समस्या है। कारगिल के युद्ध में हमने देखा था कि किस तरह ऊंचे पहाड़ों को फतह करने में भारतीय सेना को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	संभावित युद्ध: पीओके को सैन्य तरीके से हासिल करने का प्रयास भारत और पाकिस्तान के बीच एक पूर्ण युद्ध को जन्म देगा। ऐसे में पाकिस्तान किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। उसके परमाणु संयंत्र और बम असुरक्षित स्थान और गैर-जिम्मेदार लोगों के हाथों में है।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	2. अंतरराष्ट्रीय दबाव:
	संयुक्त राष्ट्र संघ: POK एक विवादित क्षेत्र माना जाता है, जिस पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव भी हैं। ऐसे में किसी सैन्य कार्रवाई पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत पर किसी भी तरह का दबाव बना सकता है। हालांकि यह भारत सरकार पर निर्भर करता है कि वह किसी के दबाव में आती है या नहीं।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	चीन की प्रतिक्रिया: चीन ने POK के कुछ हिस्सों में (विशेष रूप से गिलगित-बाल्टिस्तान) में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि CPEC। पीओके पर कब्जे की सैन्य कार्रवाई के चलते चीन इस मामले में दखल दे सकता है, क्योंकि चीन ने भी भारत के कई हिस्सों को दबा कर रखा है। चीन पाकिस्तान को हर तरह की सैन्य मदद दे सकता है।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	3. आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद
	आतंकवादी हमलों में वृद्धि: पीओके में स्थित आतंकवादी कैंप और भारतीय कश्मीर में उनके एजेंट सक्रिय होकर पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन भारत में हिंसक गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	स्थानीय अस्थिरता: POK के कुछ हिस्सों में जनता की सोच भारत के प्रति मिश्रित हो सकती है। स्थानीय विद्रोह, विरोध या असहमति को संभालना भी एक चुनौती है जो सेना के लिए कठिनाइयों को जन्म दे सकता है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	4. कूटनीति और आर्थिक प्रभाव
	विदेशी रिश्तों पर असर: पीओके पर सैन्य कार्रवाई को लेकर अमेरिका, यूरोप, अरब देशों और अन्य वैश्विक शक्तियों के साथ भारत के संबंध प्रभावित हो सकते हैं। इसके लिए भारत को पहले से ही इस सभी समस्याओं से निपटने का प्लान बनाना होगा।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	व्यापार और निवेश में गिरावट: युद्ध या सैन्य टकराव के डर से विदेशी निवेशक हिचक सकते हैं और भारत में वे अपने निवेश को रोक सकते हैं। शेयर बाजार पर भी इसका बुरा असर देखने को मिलेगा। भारत को अपनी आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए अभी से ही एक प्लान तैयार करके उस पर काम करना होगा।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	5. राजनीतिक और कानूनी बाधाएं: यदि भारत POK को पुनः प्राप्त कर लेता है, तो उसे भारत में पूर्ण रूप से एकीकृत करने के लिए संवैधानिक संशोधन और नई प्रशासनिक संरचना तैयार करनी होगी।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	भारत इस तरह से हासिल कर सकता है POK
	1. पीओके की जनता का समर्थन: भारत को इसके लिए POK की जनता को अपने विश्वास में लेने के लिए उन्हें यह बताना होगा कि उनका भविष्य एक संयुक्त और पूर्ण कश्मीर के साथ ही सुरक्षित और उज्जवल है। यह आपकी गरीबी और गुरबत के दिन न केवल दूर करेगा बल्कि आपको आजाद से जीने का अधिकार भी देगा। भारत के रुख को स्थानीय भाषाओं में प्रचारित करना (पुंछी, कोटी, गिलगित, बाल्टी आदि)। POK का कश्मीर से एकीकृत होने के पहले ही पुनर्निर्माण के लिए विशेष आर्थिक पैकेज को घोषित और प्रचारित करना। आधारभूत संरचना, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के लिए विस्तृत नीति को पहले से ही POK के लोगों के बीच प्रचारित और प्रसारित करना। 
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	2. आंतरिक रणनीति: जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास को गति देना। वहां के पर्यटन को बढ़ावा देना, स्थानीय लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ देना और उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के साथ ही उनके उज्जवल भविष्य को लेकर अपने उद्देश्यों को प्रचारित करना। पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा से उन्हें अवगत कराना। जम्मू और कश्मीर के युवाओं को रोजगार और शिक्षा के अवसर प्रदान कर कट्टरपंथ को रोकना। 
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	3. अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक रणनीति: इसके लिए POK में मानवाधिकार उल्लंघनों का दस्तावेजीकरण और प्रचार करने के साथ ही यह भी कि यह भारत का अभिन्न हिस्सा रहा है जिसे पाकिस्तान ने कब्जे में लेकर इसे आतंकवाद का ट्रेंनिंग सेंटर बना रखा है। इसी के साथ ही चीन को अलग थलग करने के लिए उसकी मंशा और उसके कार्य को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष उजागर करना। CPEC पर वैध आपत्ति दर्ज कराना और चीन को गिफ्ट में मिले क्षेत्र पर अपने दावे को मजबूत करना। इस सभी मुद्दों को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष मजबूत करना जरूरी है। जैसे UN, G20, SCO, BRICS आदि जगहों पर इन मुद्दों को सबूत और तथ्यों के साथ प्रस्तुत करना। अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ, और मुस्लिम देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से अपने पक्ष को रखना। POK में हो रहे अत्याचारों को उजागर करना (वीडियो, रिपोर्ट्स, साक्ष्य)। विश्व मीडिया को स्वतंत्र रिपोर्टिंग की अनुमति देने की मांग करना।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	4. सैन्य कार्रवाई: 
	1. भारत को पूर्ण युद्ध की तैयारी के साथ सैन्य कार्रवाई की तैयारी करना होगी। इसके लिए उसके पास सबसे पहले बलूचिस्तान को अलग करने और पख्तूनों एवं अफगानिस्तान का समर्थन हासिल करने का विस्तृत प्लान होना जरूरी है। कम से कम 1 वर्ष से 2 वर्ष के युद्ध की पूर्ण तैयारी जरूरी है। उसे पीओके में घुसने के लिए पंजाब के रास्ते के प्लान पर भी काम करना चाहिए। भारतीय थल सेना पंजाब के रास्ते आसानी से पीओके में दाखिल हो सकती है। हालांकि जम्मू कश्मीर के अलावा लद्दाख के मार्ग को हवाई हमले के लिए उपयोग में लिया जा सकता है। 
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	2. भारतीय सेना को बांग्लादेशी फ्रंट और चीन की सीमा पर भी अपनी तैनाती को पहले से ही बढाकर रखना होगा। इसी के साथ ही इसका प्लान भी तैयार रखना होगा कि यदि बांग्लादेश से किसी भी प्रकार की सैन्य या आतंकी कार्रवाई होती है तो उससे कैसे निपटा जाए।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	3. युद्ध में एक बार उतरने के बाद पीछे पलटकर देखने की जरूरत नहीं। फेंक जहाँ तक भाला जाए और जो लड़ सका वही तो महान है। जब किसी समस्या का समाधान टेबल पर नहीं हो तो मैदान पकड़ना जरूरी है।