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78 साल में पाकिस्तान ने इस तरह बिछाया भारत में अपने खुफिया नेटवर्क का जाल

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WD Feature Desk

, सोमवार, 26 मई 2025 (17:56 IST)
भारत का विभाजन धर्म के आधार पर ही हुआ था क्योंकि कुछ मुट्ठीभर मुसलमानों को अपना अलग मुल्क चाहिए था जो इस्लाम की बुनियाद कर खड़ा हो। हालांकि जिन मुसलमानों ने इसके लिए लड़ाई लड़ी वे सभी हासिये पर चले गए और पाकिस्तान पर पंजाबी मुस्लिमों का कब्जा हो गया। भारत से पाकिस्तान गए मुसलमान को मुहाजिर बनाकर हासिए भी धकेल दिया, शिया, अहमदिया, कादियानी, बलूच, पख्तून और हाजरा को गैर मुस्लिम घोषित कर दिया और हिंदू, सिख और ईसाइयों के साथ क्या किया गया यह दुनिया से छिपा नहीं है।
 
राजनीतिक नेटवर्क:
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने भारत के ऐसे राजनीतिक दलों या राजनीतिज्ञों से संपर्क को बढ़ाया जो भारत एवं पाकिस्तान की मित्रता के पक्षधर हैं और जिनका एजेंडा भारतीय धर्म और संस्कृति के खिलाफ एक नए समाज की रचना करना या माओवादी विचारों को बढ़ावा देना रहा है। जिन दलों का झुकाव चीन की ओर ज्यादा रहा है। पाकिस्तान ने भारत में कुछ राजनीतिक दलों के साथ संबंध विकसित किए हैं, जो भारतीय राजनीति में अस्थिरता पैदा करने और पाकिस्तान के हितों के अनुकूल नीतियों को समर्थन करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ALSO READ: भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ तो क्या करेगा बांग्लादेश?
 
अलगाववादी नेटवर्क: 
पाकिस्तान ने न केवल कश्मीर में अलगाववाद के नेटवर्क को खड़ा किया बल्कि उन्हें हर तरह आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मदद भी की। अंतर्राष्ट्रीय मंच उनकी आवाज को बुलंद करने का प्रयास किया। इन अलगाववादी समूहों ने कश्‍मीर में फसाद, पत्थरबाजी और हिंसा के माध्यम से हिंदुओं को वहां से भगा दिया जो जम्मू और भारत के अन्य राज्यों में चले गए। पाकिस्तान को कश्मीर में जो हासिल करना था वह उसने कर लिया। दूसरी ओर पाकिस्तान ने चीन की शह पर पंजाब, असम, मणिपुर और नागालैंड के अलगाववादियों को भी भरपूर मदद की और कर भी रहा है।
 
अवैध घुसपैठ का नेटवर्क: 
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने श्रीलंका, बांग्लादेश, बर्मा और नेपाल के माध्यम से भी भारत में विभिन्न राज्यों में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा देकर भारत के कुछ स्थानों की डेमोग्राफिक चेंज करना का भी कार्य किया जिसमें वह असम, पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार, उड़ीसा, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में सफल भी हुआ है। यह कार्य जाारी है। ALSO READ: युद्ध या आतंकवाद, सबसे ज्यादा घातक कौन?
 
तस्करी और अवैध गतिविधियां:
पाकिस्तान ने भारत में तस्करी और अवैध गतिविधियों का संचालन किया है, जैसे कि ड्रग तस्करी, हथियार तस्करी, जाली नोट, प्रतिबंधित सामान और हवाला आदि के कारोबार में उसने भारत में एक बहुत बड़ा नेटवर्क खड़ा कर लिया है। कश्मीर से लेकर श्रीलंका तक और नेपाल से मणिपुर तक पाकिस्तान ने अपना जाल बिछा रखा है। इसके माध्यम से वह एक बड़ी रकम जुटाकर उसे आतंकवादी गतिविधियों में लगाता है।
 
आर्थिक नेटवर्क:
पाकिस्तान ने भारत से आयात और निर्यात का अपना खुद का नेटवर्क भी खड़ा कर रखा है जो वैध और अवैध दोनों ही तरीके से कार्य करता है। इसके अलावा यह नेटवर्क भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए विभिन्न आर्थिक तरीकों का इस्तेमाल भी करता है, जैसे कि भारत में आर्थिक अस्थिरता पैदा करना और भारत के व्यापार को बाधित करना। भारत के बंदरगाह वाले क्षेत्र, सीमावर्ती क्षेत्र और व्यापारिक केंद्र में मुस्लिमों की संख्या बढ़ाकर वहां के थोक कारोबार और सप्लाई लाइन पर अपने लोगों का अधिकार सुनिश्चित करना। ऐसे कई कारोबार है जिनकी थोक, रिटेल और स्ट्रीट तक एक पूरी चेन बनी है। भारत का पाकिस्तान से भले ही सीधा ट्रेड न हो लेकिन कई रास्तों से उन तक सामान पहुंच जाएगा और वहां से यहां आ भी जाएगा।ALSO READ: क्या जून में भारत पर हमला करेगा पाकिस्तान, क्या कहते हैं ग्रह नक्षत्र
 
सामाजिक नेटवर्क:
इसी के साथ ही पाकिस्तान ने भारत और पाकिस्तान के मुस्लिमों के बीच निकाह आदि करवाकर लाखों की संख्या में भारतीय मुस्लिम घरों में अपनी पहुंच को बढ़ा लिया है। वर्तमान में ऐसे हजारों भारतीय मुस्लिम लड़के और लड़कियां हैं जिनका विवाह पाकिस्तान में हुआ है और जिनका पाकिस्तान में आना जाना लगा रहता है। ऐसे लोगों की आस्था दोनों मुल्कों में रहती है, लेकिन पाकिस्तान उन्हें धर्म का वास्ता देकर उनसे जासूसी भी करवाता है या ऐसे लोगों का भारतीय आंदोलनों में उपयोग करता है। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत जासूसों ने भारतीय नागरिकों को जासूसी गतिविधियों में शामिल किया है, जैसे कि वीज़ा प्रक्रिया के दौरान SIM कार्ड के माध्यम से जासूसी करना। इससे भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों की जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया गया है।
 
धार्मिक और संस्कृति का नेटवर्क: 
पाकिस्तान ने भारत में कुछ धर्म आधारित समूहों के साथ संबंध विकसित किए हैं, जो भारत में सामाजिक तनाव पैदा करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। वे ईसाई, बौद्ध और मुस्लिमों के साथ मिलकर पाकिस्तान की एक अच्छी छवि को प्रस्तुत करते हैं। इसी के साथ ही पाकिस्तान ने भारत की संस्कृति में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और परियोजनाओं का आयोजन किया है, जो भारत की संस्कृति को नुकसान पहुंचाने और पाकिस्तान की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके लिए वह भारत के ही लोगों और संगठनों का इस्तेमाल करता है। इस्तेमाल होने वाले कई व्यक्तियों और समूहों को तो इसका पता तक भी नहीं चलता है।
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भारतीय मीडिया, सिनेमा और साहित्य में प्रभाव:
पाकिस्तान ने भारत के मीडिया, सिनेमा और साहित्य में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल किया है। वो अपने देश में उन मीडियाकर्मी या समूहों और उन साहित्यकारों को बुलाकर उनका सम्मान करता है जो कि धर्मनिर्पेक्ष, कम्युनिस्ट या जो राष्ट्रवादी विचारधारा के मुखर विरोधी हैं। पाकिस्तान के कई साहित्यकारों को भी भारत में बहुत सम्मान के साथ यही समूह आमंत्रित करके पाकिस्तान की छवि को चमकाने का पूरा कार्य किया जाता है। इसके लिए भारत में स्थित पाकिस्तानी दूतावास भरपूर मदद करता है। इसके अलावा बॉलीवुड तो पाकिस्तानी एक्टर्स, सिंगर और अन्य कलाकारों का एक प्रमुख अड्डा है। पिछले 78 सालों में बॉलीवुड ने पाकिस्तान को लेकर जो काम किया है वह जग जाहिर है।ALSO READ: माओवाद क्या है और भारत में कौन करता है इसका समर्थन?
 
खुफिया नेटवर्क:
पाकिस्तान ने पूरे भारत में जासूसी का अपना जाल बिछा रखा है। इसके लिए पाकिस्तान का दूतावास पिछले 78 वर्षों से लगातार कार्य कर ही रहा है तभी तो वह कश्मीर, पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल सहित पंजाब, केरल और कर्नाटक में बहुत कुछ खेल-खेल रहा है। इसी के साथ ही वह सत्ता के विरुद्ध हाल ही के आंदोलन में क्या कर सकता है यह सभी जानते हैं। किसी तरह उसने सोशल मीडिया के माध्यम से आंदोलन में आग में घी डालने का कार्य किया। फिर चाहे वह किसान आंदोलन हो, शाहीन बाग का आंदोलन हो या अन्य कोई आंदोलन। पाकिस्तान ने भारत में खुफिया नेटवर्क का संचालन किया है, जो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है। 
 
दंगाइयों का नेटवर्क:
इसी के साथ ही वह ऐसे क्षेत्रों में अपना जाल फैला रहा है जहां पर मुस्लिम बहुसंख्यक होते जा रहे हैं या होने वाले हैं। वहां वह दंगा फसाद कराकर गैर मुस्लिमों को भगाने के लिए और देश में दंगों को अंजाम देने के लिए कई तरह से जुटा हुआ है। इस कार्य के लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग की जाती है। तबलीगी जमातों के माध्यम से लोगों में नफरत भरी जाती है और उन्हें भी सहयोग किया जाता है। दार-उल-हरब को दार-उल-इस्लाम में बदलना यही उसका मकसद है। दार-उल-हरब जहां पर मुस्लिम शरीयत विधि लागू नहीं कर सकता इसके लिए पहले उस भूमि को मुस्लिम बहुल बनाना यानी दार-उल-इस्लाम बनाना। इसके लिए जिहाद, फसाद, दंगा और आतंकवाद का सहारा लिया जाता है। पाकिस्तान ने भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दिया है, जिससे भारत में हिंसा और तनाव बढ़ रहे हैं।
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आतंकवाद का नेटवर्क:
पाकिस्तान ने आतंकवादी समूहों को भारत में हमले करने के लिए प्रोत्साहित किया है। भारत के बाहर और भारत के भीतर उसने आतंकवादियों संगठनों का एक बहुत बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया है। अल कायदा, आईएसआई के साथ ही भारत में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI), म्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF), पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) , ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ), बब्बर खालसा, मणिपुर पीपल लिबरेशन फ्रंट, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा, माओवादी, ख़ालिस्तान ज़िंदाबाद फोर्स, दीनदार अंजुमन, जमात-उल-मुजाहिदीन इंडिया, इण्डियन मुजाहिदीन, माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) पीपुल्स वार, नक्सली संगठन (CPI-Maoist),  लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE), जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश आदि कई आतंकवादी संगठनों से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी सीधे संपर्क में है। इन समूहों ने भारत में कई बड़े आतंकवादी हमले किए हैं जिसमें लाखों निर्दोष लोगों की जान चली गई है।

सेना में नेटवर्क: सीआरपीएफ और बीएसएफ जैसे सैन्य संगठनों में भी पाकिस्तान के खुफिया नेटवर्क का जाल बिछा हुआ है। पिछले 78 वर्षों में कई जासूस गिरफ्तार हुए हैं। ऐसे लोग सेना की अहम जानकारी जुटाकर पाकिस्तान को भेजते रहे हैं।

- Anirudh Joshi

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